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जब अमरीका जासूसों ने चुराया रूसी स्पेसक्राफ़्ट

आज से 60 साल पहले सीआईए के कुछ ख़ास जासूस एक बेहद ख़ुफिया मिशन को अंजाम देने में लगे थे. ये मिशन था रूसी अंतरिक्ष यान लूना के पुर्जे-पुर्जे खोलकर उनकी तस्वीरें लेना और फिर उसे पहले की तरह वापस लगा देना जिससे रूसी अधिकारियों को इसकी ख़बर भी न लगे. अगर दुनिया को इस बारे में पता चल जाता तो सोवियत संघ के साथ स्पेस रेस में लगी हुई पश्चिमी दुनिया को भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ती.

By BBC News हिन्दी
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लूना
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लूना

आज से साठ साल पहले...सीआईए के कुछ ख़ास जासूस एक बेहद ख़ुफिया मिशन को अंजाम देने में लगे थे.

ये मिशन था रूसी अंतरिक्ष यान लूना के पुर्जे-पुर्जे खोलकर उनकी तस्वीरें लेना और फिर उसे पहले की तरह वापस लगा देना जिससे रूसी अधिकारियों को इसकी ख़बर भी न लगे.

क्योंकि अगर दुनिया को इस बारे में पता चल जाता तो सोवियत संघ के साथ स्पेस रेस में लगी हुई पश्चिमी दुनिया को भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ती.

ऐसे में ये मिशन अहम था और इससे ज़्यादा खास बात थी कि ये मिशन ख़ुफिया रहे.

और इस काम के लिए सीआईए के जासूसों को सिर्फ आठ घंटों का समय मिला था.

इस मिशन को चार चरणों में बांटकर अंज़ाम दिया गया.

पहला चरण - कैसे हुई जासूसी?

दुनिया के पहले कृत्रिम सैटेलाइट स्पुतनिक को पृथ्वी की कक्षा में भेजने के बाद सोवियत संघ ने लूना (ल्युनिक) नाम की एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की थी.

साल 1959 के सितंबर महीने में लूना-2 चांद की सतह पर पहुंचने वाला पहला मानव निर्मित अंतरिक्ष यान बना.

इसके ठीक एक महीने बाद, पहले लूना-3 नाम के अंतरिक्ष यान ने पहली बार चांद के छुपे हुए हिस्से की तस्वीर खींचकर इतिहास रच दिया.

इसी वजह से सोवियत संघ ने 1959 से 1960 के बीच दुनिया में अपनी औद्योगिक और आर्थिक प्रगति दिखाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दौरा शुरू किया.

इस दौरे में सोवियत संघ ने अपने अंतरिक्ष यान लूना को भी साथ ले लिया.

लेकिन क्या ये अंतरिक्ष यान लूना था या उसकी एक नकल?

साल 1995 में सार्वजनिक हुए सीआईए के एक दस्तावेज़ के मुताबिक़, अमरीकी विश्लेषकों को शक था कि कहीं सोवियत संघ अपने दौरे में असली अंतरिक्ष यान लूना को लेकर तो नहीं गया है. ऐसे में ये जानने के लिए एक ऑपरेशन की योजना बनाई गई.

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इसके बाद अमरीकी जासूस एक दिन उस जगह पहुंच गए जहां सोवियत संघ का प्रचार-प्रसार कार्यक्रम चल रहा था.

अमरीकी जासूसों ने अपनी पड़ताल में पता लगाया कि ये कोई नकल नहीं बल्कि असली अंतरिक्ष यान लूना है जिसमें से इंजन और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट निकाल दिया गया है.

हालांकि, इस अंतरिक्ष यान के बारे में गहरी जानकारी के लिए उन्हें इसे प्रदर्शनी हॉल के बाहर निकालकर देखना था जहां सोवियत संघ के गार्ड्स का भारी पहरा हुआ करता था.

इसके बाद सीआईए ने एक जासूसी फ़िल्म की कहानी जैसी योजना बनाई.

दूसरा चरण - लूना का अपहरण

ये योजना बनाई गई कि सीआईए के एजेंट्स अंतरिक्ष यान लूना के एक शहर से दूसरे शहर में होने वाले ट्रांसफर पर नज़र रखेंगे.

सीआईए एजेंट्स ने ये सुनिश्चित किया कि इस ऑपरेशन के दिन अंतरिक्ष यान आखिरी ट्रक में ट्रैवल करेगा.

इसके बाद स्थानीय लोगों की तरह कपड़े पहने हुए अमरीकी एजेंटों ने आख़िरी स्टॉप पर ट्रक को रोक लिया.

आधिकारिक दस्तावेज़ के मुताबिक़, "इसके बाद ट्रक के ड्राइवर को होटल भेज दिया गया जहां उसने रात बिताई. इसके बाद ट्रक को तुरंत एक स्क्रैप यार्ड ले जाया गया जिसे फौरी तौर पर किराए पर लिया गया था."

लगभग तीस मिनट तक सीआईए एजेंटों ने इस बात की पुष्टि करने की कोशिश की कि कहीं सोवियत संघ को किसी तरह की गड़बड़ होने की भनक तो नहीं लगी है.

इसके बाद लगभग साढ़े सात बजे सीआईए से वो जासूस पहुंचे जिन पर वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने की ज़िम्मेदारी थी.

तीसरा चरण - अंतरिक्ष यान खोलकर तस्वीरें खींचा जाना

इन जासूसों को पता था कि अंतरिक्ष यान लूना को लेकर जाने वाला कंटेनर अंदर से बंद था.

इसमें बिना किसी को भनक लगे सिर्फ़ छत के रास्ते घुसा जा सकता था.

ऐसे में उन्हें रस्सी के सहारे अंदर जाना पड़ा. इसके साथ ही उन्हें अपना काम बांटना पड़ा.

दो एजेंट्स को इंजन वाले हिस्से में गए. वहीं, दो एजेंट्स उस हिस्से में पहुंचे जहां दो इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट गायब थे.

लूना
Getty Images
लूना

इस दूसरे हिस्से में एक सोवियत सील लगी हुई थी.

सीआईए के दस्तावेजों के मुताबिक़, उन्होंने ये सील तोड़ी और सीआईए के दफ़्तर में बनी हुई सील लगाई.

इस कंटेनर में फ्लैशलाइट्स से रोशनी पैदा करके सीआईए एजेंट्स ने लूना के मुख्य हिस्सों को निकालकर उनकी तस्वीरें लीं और वापस उन्हें पहले जैसा लगा दिया.

सीआईए के एक दस्तावेज़ के मुताबिक़, "हमने अपने सारे उपकरण सुबह 4 बजे तक समेट लिए और हमारी कार हमें बिठाकर ले गई."

इसके बाद सोवियत गार्ड्स के आने से पहले कारगो को रेलवे यार्ड तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी ट्रक के असली ड्राइवर पर थी.

सीआईए के मुताबिक़, आजतक एक भी संकेत ऐसा नहीं मिला है कि सोवियत संघ के अधिकारियों को इसकी भनक थी कि उनके अंतरिक्ष यान को एक रात के लिए अगवा कर लिया गया था.

चौथा चरण - जानकारी हासिल करना

सीआईए के इस ऑपरेशन में हासिल हुई जानकारी अमरीका के लिए अहम साबित हुई.

इससे पहले, सीआईए द्वारा साल 1994 में जारी किए गए एक अन्य दस्तावेज़ के मुताबिक अमरीकी जासूस इंजन जैसे तमाम दूसरे हिस्से के आकार और वजन को जानने में सक्षम हो गए थे.

इसके बाद अमरीका को अपनी स्पेस तकनीक पर पुनर्विचार करने का मौका मिला.

हालांकि, आने वाले सालों में सोवियत संघ यूरी गागरिन को अंतरिक्ष पर पहुंचाने में सफल हुआ.

अमरीका की बात करें तो अमरीका 20 अप्रैल 1969 को अपने अंतरिक्ष यान अपोलो 11 से नील आर्मस्ट्रॉन्ग को चांद पर पहुंचाने में सफल रहा था.

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English summary
When Russian spies stole Russian spacecraft
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