न्यूजीलैंड पहुंचे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को क्यों रगड़नी पड़ी नाक?
ऑकलैंड। देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपनी विदेश यात्रा के आखिरी दिन शनिवार को न्यूजीलैंड पहुंचे, जहां उन्होंने माओरी समुदाय की परंपरा का बखूबी पालन किया। इस परंपरा के तहत आने वाले मेहमान को माओरी समुदाय के प्रमुख के साथ नाक लड़ानी पड़ती है, तो राष्ट्रपति ने भी ऐसा किया।
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क्या है परंपरा?
दरअसल माओरी समुदाय का मानना है कि वो पहले से तो जान नहीं सकते कि आने वाला व्यक्ति दोस्त है या दुश्मन इसलिए ये प्रथा बनायी गई है। नाक रगड़ने से हम इंसान की मंशा भांप लेते हैं। नाक रगड़ने के बाद हम व्यक्ति के सामने एक पौधा रखते हैं, अगर वाकई आने वाला मेहमान दोस्ती का पैगाम लेकर आया है तो उसे पौधा उठाने में कोई दिक्कत नहीं होगी और अगर वैसा वो कर लेता है तो हम उसके पीछे चल लेते हैं।
न्यूजीलैंड पहुंचे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को क्यों रगड़नी पड़ी नाक?
प्रणव दा ने किया परंपरा का पालन
महामहिम प्रणब मुखर्जी ने पूरी परंपरा का बखूबी पालन किया और उसके बाद दोनों देशों ने मिलकतर दोस्ती का नया पैगाम लिखा। प्रणवा दा के स्वागत में परंपरागत माओरी समुदाय ने अपना नृत्य भी पेश किया।
न्यूजीलैंड को 'मेक इन इंडिया' अभियान में शामिल होने का निमंत्रण
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को न्यूजीलैंड के निवेशकों और उद्यमियों को 'मेक इन इंडिया' अभियान में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। मुखर्जी ने कहा कि न्यूजीलैंड डेयरी विकास, खाद्य प्रसंस्करण, संचार, बायोटेक्नोलॉजी, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य और सेवाओं के क्षेत्र में काफी विकास किया है।
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