जब नौकरशाही से आजिज पीवी नरसिम्हा राव ने यूके से पूछा, 'कैसे काम करता है आपका पीएमओ'
देश के नौंवे प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव 90 के दशक में उस समय देश के पीएम थे जब तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने देश में आर्थिक सुधारों को लॉन्च किया था। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वह देश में मौजूद लाल फीताशाही से तंग आ चुके थे।
लंदन। देश के नौंवे प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव 90 के दशक में उस समय देश के पीएम थे जब तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने देश में आर्थिक सुधारों को लॉन्च किया था। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वह देश में मौजूद लाल फीताशाही से तंग आ चुके थे। वह इस कदर निराश थे कि उन्होंने यूके की सरकार से इससे जुड़े एक सवाल का जवाब मांग लिया था। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। लंदन में नेशनल आर्काइव्स की ओर से कुछ डॉक्यूमेंट्स जारी किए गए हैं और इन्हीं डॉक्यूमेंट्स से साफ होता है कि राव ने ट्रेड और इंडस्ट्री डिपार्टमेंट से सवाल का जवाब के तहत एक रिक्वेस्ट भेजी गई थी। इस रिक्वेस्ट में डिपार्टमेंट से पूछा गया था, 'उनका प्रधानमंत्री कार्यालय कैसे काम करता है।' यूके की सरकार ने उनके इस सवाल को एक 'असाधारण सवाल' माना था।
नए आइडियाज की तलाश में राव
राव ने उस समय लंदन में कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधि मोहित सारोबार के जरिए ब्रिटिश पीएमओ के फंक्शन की जानकारी मांगी थी। 25 जून 1991 को डिपार्टमेंट के डेविड मेलेविले की ओर से पीएम के आफिस में तैनात स्टीफन वॉल को चिट्ठी लिखी गई थी। इस चिट्ठी में लिखा था, 'हमें मिस्टर सरोबार के जरिए भारतीय प्रधानमंत्री की ओर से अनुरोध मिला है जिसमें उन्होंने संक्षिप्त में जानकारी मांगी है कि हमारा पीएमओ कैसे काम करता है।' इसमें आगे लिखा था, 'भारतीय पीएम को लगता है कि उनके ऑफिस में नौकरशाही सीमा से परे है और अब वह इसे और प्रभावी बनाने के लिए नए आइडियाज चाहते हैं।' इस चिट्ठी के मुताबिक राव की रिक्वेस्ट वास्तविक है। इसके बाद 27 जुलाई 1992 को विदेश ऑफिस में तैनात क्रिस्टोफर प्रेंटिस ने वॉल को चिट्ठी लिखकर इसका जवाब दिया गया था।
राव के सवाल का जवाब
क्रिस्टोफर ने वॉल को जो चिट्ठी लिखी थी, उसमें उन्होंने लिखा था कि लंदन भारत के आर्थिक और उदारवादी सुधारों को प्रोत्साहित करना चाहती है। क्रिस्टोफर ने लिखा, 'हम जानते हैं कि सीआईआई के तरूण दास ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ निजी मुलाकातें की हैं। तरूण दास से हमें पता लगा है कि नरसिम्हा राव ने उन्हें निजी तौर पर नौकरशाही की वजह से नीतियों को लागू करने में होने वाली देरी के बारे में बताया है, खासतौर पर आर्थिक उदारवाद और निजीकरण की दिशा में होने वाली देरी से उनको खासी निराशा है।' क्रिस्टोफर के मुताबिक उन्हें राव की ओर से पूछा गया सवाल वास्तविक लगता है।
जुलाई 1991 में शुरू हुए सुधार
वहीं दास ने इस पर कहा है कि उन्होंने राव के साथ रेगुलर मीटिंग्स नहीं कीं लेकिन उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी एएन वर्मा के साथ उनकी मीटिंग्स जरूर हुई थीं। उनकी मानें तो पीएमओ सुधार की शुरुआत कर रहा था और सीआईआई आंकड़ों, एनालिसिसि और सलाह के लिए एक विश्वसनीय जरिया था। 24 जुलाई 1991 को मनमोहन सिंह की ओर से आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई थी और इस पर पश्चिमी देशों की पैनी नजरें थीं। उस समय मनमोहन सिंह ने जो बजट पेश किया था उसे एतिहासिक बजट माना गया। इस बजट को एक ऐसे आर्थिक संकट के समय मनमोहन सिंह ने पेश किया था जब भारत बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास सोना तक गिरवी रखना पड़ गया था। जो सुधार मनमोहन सिंह ने लॉन्च किए उसके बाद सर्विसेज सेक्टर में और विस्तार हुआ और साथ ही निवेश को बढ़ावा मिल सका।