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India-China tension: भारत और चीन के सीमा विवाद पर अमेरिका और ब्रिटेन के मीडिया ने क्या कहा?

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नई दिल्‍ली। छह मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोग झील पर भारत और चीन के सैनिकों की बीच झड़प हुई थी। अब इस घटना को करीब एक माह होने वाले हैं। एक माह से दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव बरकरार है। लद्दाख जो एलएसी का वेस्‍टर्न सेक्‍टर है उस पर मिलिट्री टेंशन की खबर सिर्फ भारत या पडेासी देश की मीडिया ही नहीं बल्कि पश्चिमी देशों के मीडिया को भी है। अमेरिकी मीडिया इस तनाव पर खासतौर पर अपनी नजरें गड़ाए हुए है। एलएसी पर जारी विवाद को सुलझाने के मकसद से छह जून को जनरल स्‍तर की वार्ता होने वाली है। वार्ता चुशुल में होगी और 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह वार्ता की अगुवाई करेंगे।

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समस्‍या का हल निकलना मुश्किल

समस्‍या का हल निकलना मुश्किल

वॉशिंगटन पोस्‍ट जो अमेरिका का अग्रणी अखबार है, उसने 'बॉर्डर क्‍लैश बिटवीन द वर्ल्‍डज बिगेस्‍ट नेशंस' इस टाइटल के साथ खबर लिखी। अखबार ने लिखा है कि चीन का भारत के साथ सीमा पर जारी विवाद दूर से भले ही किसी दूर की जगह पर होने वाला विवाद नजर आता हो, लेकिन इसका असर दुनिया पर होने वाला है। अखबार के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के बीच दो धरती पर सबसे ज्‍यादा जनसंख्‍या वाले देशों के मध्‍य क्‍या चल रहा है, इस बात का सटीक अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। सीमा का बहुत सा क्षेत्र ऐसा है जो मीडिया के लिए बंद है इसलिए बस बयानों और छन-छनकर आने वाली खबरों पर निर्भर रहना पड़ता है। वॉशिंगटन पोस्‍ट ने यह भी लिखा है कि यह अस्थिर टकराव से जड़ में मौजूद समस्‍या का हल निकलना संभव नहीं है।

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'टकराव भारत को अमेरिका की तरफ लाएगा'

'टकराव भारत को अमेरिका की तरफ लाएगा'

ब्‍लूमबर्ग ने भारत-चीन के बीच जारी तनाव पर एक ओपिनियन लिखा है। इस ओपिनियन में ब्‍लूमबर्ग ने लिखा है कि भारत का हमेशा से ही गुट-निरपेक्षता का इतिहास रहा है और इसकी वजह से वह साझा दुश्‍मन के खतरे को रास्‍ता दे रहा है। ब्‍लूमबर्ग के आर्टिकल के मुताबिक ययह विवाद अमेरिका-चीन-भारत के त्रिपक्षीय संबंधों के लिए काफी महत्‍वपूर्ण है। इसकी वजह से 21वीं सदी में रणनीतिक परिदृश्‍य का आकार देने में बड़ी मदद मिलेगी। आर्टिकल के मुताबिक, 'जिस तरह से अमेरिका और चीन की दुश्‍मनी वैश्विक अंतरराष्‍ट्रीय हो गई है, भारत ही अकेले ऐसा गुट-निरपेक्ष देश है जो प्रभाव और फायदे के बीच संतुलन पैदा कर एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अच्‍छी खबर यह है कि त्रिपक्षीय भौगोलिक राजनीति अमेरिका-भारत की साझेदारी को और मजबूत कर रही है। बुरी खबर यह है कि व्‍यापारिक टकराव और भारत की आतंरिक राजनीति रास्‍ते में आ रहे हैं।'

'चीन की मजबूत सेना से भारत हट जाएगा पीछे'

'चीन की मजबूत सेना से भारत हट जाएगा पीछे'

अमेरिका के दूसरे सबसे अखबार न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने लिखा है चीन अपनी ताकत को पूरे एशिया में बढ़ा रहा है। हिमालय क्षेत्र में विवादित भारत-चीन बॉर्डर पर भारत खुद को घिरा हुआ महसूस कर रहा है। दोनों पक्ष युद्ध नहीं चाहते हैं लेकिन हजारों की संख्‍या में सैनिक भेजे जा चुके हैं। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने अपने आर्टिकल में साल 2017 में हुए डोकलाम विवाद का जिक्र भी किया है। अखबार ने लिखा है, 'कोई नहीं सोचता है कि भारत और चीन युद्ध की तरफ बढ़ रहे हैं। लेकिन तेज गति से होने वाले निर्माण ने साल 2017 के बाद इस टकराव को सबसे ज्‍यादा गंभीर बना दिया है और यह शायद इशारा है कि दुनिया की दो सबसे ज्‍यादा आबादी वाले देश तेजी से टकराव की तरफ से बढ़ रहे हैं और यह दुनिया के सबसे निर्जन बॉर्डर पर हो रहा है।' न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की मानें तो चीन की मजबूत सेना के आगे भारत मजबूर होकर पीछे हट जाएगा।

तनाव की वजह से रूका बॉर्डर पर निर्माण कार्य

तनाव की वजह से रूका बॉर्डर पर निर्माण कार्य

ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने भी विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। इस अखबार ने लिखा है, 'हिमालय के बॉर्डर पर दोनों चीन और भारत के बीच तनाव बढ़ चुका है, चीन पर आरोप लगाया है कि उसने विवादित सीमा में हजारों की संख्‍या में सैनिक भेज दिए हैं और क्षेत्र में मिलिट्री एयरबेस बढ़ा रहा है।' अखबार की मानें तो चीन ने भारत की तरफ से एलएसी पर तैयार हो रही सड़कों और हवाई पट्टो के निर्माण के जवाब में यह कदम उठाया है। गार्डियन की मानें तो यह निर्माण कार्य इस क्षेत्र में भारतीय सेना की गतिविधियों को आसान करने के मकसद से हो रहा है। लेकिन जब से तनाव बढ़ा है निर्माण कार्य रूक गया है।

चीन का इरादा बता पाना मुश्किल

चीन का इरादा बता पाना मुश्किल

जापान से निकलने वाली मैगजीन द डिप्‍लोमैट के मुताबिक भारत-चीन सीमा पर तनाव फिर से बढ़ने लगा है। दोनों देशों के बीच बॉर्डर पर हुई हालिया घटनाओं से दुनिया का ध्‍यान इधर गया है और अब इस सीमा पर बढ़ती आक्रामकता सवालों के घेर में है। मैगजीन के मुताबिक सवाल यह है कि क्यों बढ़ रहा है और इसका कोई साफ जवाब भी नहीं है। मैगजीन ने लिखा है कि चीन के इरादे की व्याख्या करने की कोशिश करना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है और भारत-चीन सीमा के मामले में तो और ज्‍यादा चुनौतीपूर्ण है। डिप्‍लेमैट के मुता‍बिक भारत की नजरें अब अमेरिका पर हैं कि वह कम से कम इस विवादित सीमा को लेकर उसकी मदद करे।

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English summary
What world media is saying on India China stand off in Eastern Ladakh.
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