क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

भारत अब लड़ाका बन गया है: चीनी मीडिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में चीन रवाना होने वाले हैं. दोनों देशों के बीच तनाव का इस सम्मेलन पर कितना रहेगा असर?

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
मोदी और जिनपिंग
Getty Images
मोदी और जिनपिंग

चीन में फुजन प्रांत के शियामेन शहर में तीन से पांच सितंबर तक ब्रिक्स देशों का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. ब्रिक्स में ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका शामिल हैं.

यह ब्रिक्स का नौवां शिखर सम्मेलन है. ब्रिक्स का यह शिखर सम्मेलन काफ़ी अहम है. जटिल अंतरराष्ट्रीय माहौल के बीच इस सम्मेलन में ब्रिक्स देश न केवल इस संगठन की उपलब्धियों की समीक्षा करेंगे बल्कि आने वाले वक़्त में उठाए जाने वाले नए क़दमों की भी रूपरेखा तय करेंगे.

इस सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शरीक होने वाले हैं. ब्रिक्स के बहाने मोदी का चीन दौरा काफ़ी अहम है, क्योंकि पिछले दो महीनों से डोकलाम सीमा पर दोनों देशों की सेना आमने-सामने खड़ी थी.

दोनों देशों के बीच तनाव की छाया मीडिया में काफ़ी दिख रही थी. चीनी मीडिया में तो भारत को 1962 के युद्ध से सबक लेने की नसीहत भी दी जा रही थी.

अमरीकी मदद के बावजूद 1962 की जंग चीन से कैसे हारा भारत?

तो चीन पर इस कदर निर्भर है भारत..

चीन-भारत भिड़े तो क्या करेगा पाकिस्तान

भारत और चीन भिड़े तो रूस किसका साथ देगा?

ब्रिक्स
Getty Images
ब्रिक्स

डोकलाम पर कौन हारा कौन जीता?

पीएम मोदी के दौरे से पहले भारत के विदेश मंत्रालाय ने डोकलाम सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने की बात कहते हुए तनाव ख़त्म होने की घोषणा की थी. भारत की आपत्ति थी डोकलाम में चीन सड़क बना रहा है जो भूटान के साथ विवादित सीमा समझौतों का उल्लंघन है और भारत की सुरक्षा का लिहाज से भी ख़तरनाक है.

भारत ने इन्हीं आपत्तियों का हवाला देकर डोकलाम सीमा पर सड़क निर्माण कार्य रोकने की बात कहते हुए सेना की तैनाती की थी. हालांकि अब भी यह साफ़ नहीं है कि चीन वहां सड़क निर्माण का इरादा छोड़ चुका है या उस पर कायम है.

दोनों देशों को बयानों में इसका ज़िक्र नहीं था. हालांकि चीन ने कहा है कि डोकलाम में वह अपने सभी संप्रभु अधिकारों का इस्तेमाल करेगा.

ऐसे में पीएम मोदी का चीन दौरा काफ़ी अहम माना जा रहा है. पीएम मोदी के चीन दौरे पर गुरुवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ छुनइंग ने अपनी नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया है.

ब्रिक्स
Getty Images
ब्रिक्स

क्या चीन में राष्ट्रपति जिनपिंग से मिलेंगे मोदी?

हुआ छुनइंग से एक पत्रकार ने पूछा- क्या ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक हो सकती है? अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान का ख़ास तौर पर नाम लेते हुए कहा है कि वह आतंकवादियों को मदद कर रहा है. भारत भी अपनी सुरक्षा से जुड़ी चिंता दोहराते रहा है कि पाकिस्तान में भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकी मौजूद हैं. इस मामले में वह आतंकियों की गिरफ़्तारी में चीन से मदद भी मांगता रहा है. क्या आप सोचती हैं कि इन सारे मुद्दों पर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में बात होगी या इन मुद्दों का असर रहेगा?

इन सवालों के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, ''पहले सवाल का जवाब यह है कि बहुदेशीय सम्मेलन में द्विपक्षीय बैठक की व्यवस्था एक रूटीन की तरह होती है. समय बचा तो मेजबान देश के रूप में चीन इसके लिए माकूल व्यवस्था करेगा.''

ब्रिक्स
Getty Images
ब्रिक्स

आतंकवाद के ख़िलाफ लड़ रहा है पाकिस्तान?

दूसरे सवाल के जवाब में में हुआ चुनइंग ने कहा, ''हमने कई बार कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ने में काफ़ी मुखर रहा है. पिछले कई सालों से पाकिस्तान ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में सकारात्मक रुख दिखाया है. इस लड़ाई में उसने काफ़ी कुछ खोया है. अंतराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह पाकिस्तान की इन कोशिशों की सराहना करे."

"आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए चीन पाकिस्तान समेत दूसरे देशों से सहयोग बढ़ाने की इच्छा रखता है. हमने पाकिस्तान को लेकर आतंकवाद के मामले में भारत की चिंता को देखा है लेकिन ब्रिक्स सम्मेलन में यह कोई मुद्दा नहीं है.''

ब्रिक्स
Getty Images
ब्रिक्स

ब्रिक्स सम्मेलन में डोकलाम की छाया?

इस बीच चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ''ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत और चीन के बीच के तनाव की उपेक्षा नहीं की जा सकती है. दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाले इन दोनों देशों के बीच संबंधों में उठापटक का ख़ास महत्व है. दोनों देशों में कई मोर्चों पर समानता है. दोनों देश अपने नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार की कोशिश कर रहे हैं और दोनों देश दुनिया में अपनी अहम भूमिका अदा करने की तमन्ना रखते हैं.''

क्या भारत लड़ाकू हो गया है?

अख़बार ने आगे लिखा है, ''हाल के दिनों में चीन को लेकर भारत का रुख काफ़ी बदला है. भारत अब आक्रामक और लड़ाकू प्रवृत्ति के साथ सामने आया है. अगस्त महीने में भारत ने 90 से ज़्यादा चीनी उत्पादों के ख़िलाफ़ एंटी-डंपिंग जांच शुरू की है. इससे साबित होता है कि चीन को लेकर भारत का व्यवहार दोस्त से अलग है. हाल ही में जब मोदी ने अमरीका दौरा किया तो उन्होंने चीन के ख़िलाफ़ गोलबंदी को तेज़ किया.''

रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना में चोंगयांग इंस्टिट्यूट फोर फाइलनैंसियल स्टडीज के सीनियर रिसर्चर ल्यू झिकिन ने ग्लोबल टाइम्स में लिखा है, ''चीन के साथ भारत के उलझने के पीछे तीन कारण हैं. पहला कारण यह है कि चीन की तरक्की को लेकर भारत ईर्ष्या की प्रवृत्ति रखता है. यह प्रवृत्ति चीन के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों के पूर्वाग्रह और घमंड से अलग है.''

उन्होंने लिखा है- ''दूसरा कारण यह है कि भारत विकसित देश अमरीका और जापान को देखता है तो अपनी कमज़ोर अर्थव्यवस्था के लिए चीन को कोसता है. ऐसे में वह चीन के साथ विवाद को शुरू कर देता है ताकि घरेलू राजनीतिक दबाव को कम किया जा सके. यह उसे ज़्यादा सुविधाजनक लगता है. हालांकि ऐसे में वह अमरीका से मदद भी चाहता है. हालांकि अंततः इससे नुक़सान भारत को ही होता है.''

ल्यू ने तीसरा कारण बताया है, ''भारत को लगता है कि चीन के पास काउंटर करने के लिए उतनी क्षमता नहीं है और उसे बहुत कम नुक़सान उठाना होगा. भारत को यह समझना चाहिए कि उसकी प्रगति से चीन को फ़ायदा ही होगा. भारत को रॉ मटीरियल की आपूर्ति के मामले में चीन का आभार होना चाहिए.''

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
What will be the impact of tensions between India and China on the BRICS Conference?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X