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मलाला के पाकिस्तान दौरे का आख़िर क्या मक़सद था?

मलाला यूसुफ़ज़ई का छह साल बाद हुआ अपने घर का दौरा बेहद छोटा और महत्वपूर्ण था.

छोटा इसलिए क्योंकि उन्होंने किशोरावस्था में अपने दोस्तों के साथ जितना समय यहाँ बिताया होता, उसके मुकाबले यह बेहद कम था. एक लंबे अंतराल के बाद वे अपने दोस्तों से मिल पाईं, जिनसे अलगाव काफ़ी ख़ौफ़नाक था.

हर कोई उनको लेकर कल्पना कर सकता है कि किस प्रकार वे कई लोगों से मिल चुकी हैं,

By BBC News हिन्दी
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मलाला यूसुफ़ज़ई का छह साल बाद हुआ अपने घर का दौरा बेहद छोटा और महत्वपूर्ण था.

छोटा इसलिए क्योंकि उन्होंने किशोरावस्था में अपने दोस्तों के साथ जितना समय यहाँ बिताया होता, उसके मुकाबले यह बेहद कम था. एक लंबे अंतराल के बाद वे अपने दोस्तों से मिल पाईं, जिनसे अलगाव काफ़ी ख़ौफ़नाक था.

हर कोई उनको लेकर कल्पना कर सकता है कि किस प्रकार वे कई लोगों से मिल चुकी हैं, उन्होंने क्या कुछ किया है और दुनियाभर में सफ़र करने के बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है.

महत्वपूर्ण इसलिए जैसा शुक्रवार को डॉन समाचारपत्र के एक संपादकीय में लिखा गया था कि मलाला की कहानी अभी भी ये बता रही है कि देश में कितनी बुराई मौजूद है.

9 अक्तूबर 2012 को तालिबान बंदूकधारी ने जब मलाला के सिर में गोली मारी थी, उसके बाद वे पहली बार घर आई थीं.

इसके बाद से वह ब्रिटेन में रह रही हैं. घातक चोटों से उबरने के बाद मलाला और उनका परिवार बर्मिंघम में रह रहा है और वह ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़ रही हैं.

लड़कियों की शिक्षा को लेकर उनकी वैश्विक लड़ाई ने उन्हें नोबल शांति पुरस्कार दिलाया और वह यह पुरस्कार पाने वालीं सबसे युवा शख़्स हैं.

प्रधानमंत्री बनने का ख़्वाब नहीं देखती: मलाला

उनका अचानक पाकिस्तान आना हुआ. गुरुवार को प्रधानमंत्री आवास में बोलने के बाद उन्होंने कहा कि यह 'सपने के सच होने जैसा है.'

लेकिन उनकी गतिविधियों को लेकर गोपनीयता बरती गई और उनके आसपास कड़ी सुरक्षा रही. हालांकि, यह उनके सपने का हिस्सा नहीं रहा होगा.

स्वात घाटी में जहां वह रहती थीं, वहां मिंगोरा में अपने पड़ोसी को उन्होंने अपनी भावनाएं ज़ाहिर कीं.

बीबीसी उर्दू के रिफ़्तुल्लाह औरकज़ई को फ़रीदूल हक़ हक़्क़ानी ने बताया कि मलाला ने उनसे कहा, "अंकल, मैं अगले साल फिर आऊंगी और बिना सुरक्षा के आऊंगी."

भावुक घर वापसी

हक़्क़ानी मलाला से इसलिए मिल पाए क्योंकि वह मिंगोरा के उस घर में रहते हैं जहां मलाला का परिवार रहा करता था.

मलाला, उनके पिता ज़ियाउद्दीन यूसुफ़ज़ई, उनकी मां और दो भाई शनिवार को सेना के हेलिकॉप्टर से मिंगोरा पहुंचे. उनके साथ केंद्रीय मंत्री मरियम औरंगज़ेब भी थीं.

दो दिन पहले इस्लामाबाद आने के बाद उनके इस दौरे को लेकर कोई कयास नहीं लगाए गए थे. उन्होंने इलाके में केवल दो घंटे गुज़ारे और केवल दो जगहों पर गईं.

सबसे पहले वह अपने पुराने घर गईं और यह यात्रा भावनात्मक घटना में बदल गई.

फ़रीदुल हक़ हक़्क़ानी
Reuters
फ़रीदुल हक़ हक़्क़ानी

हक़्क़ानी कहते हैं, "जैसे ही उन्होंने घर में कदम रखा, उनके आंसू बहने लगे."

"ज़ियाउद्दीन ने घर के बाग में सजदा किया. उन्होंने ज़मीन को चूमा और मिट्टी को उठाकर अपनी आंखों पर रगड़ लिया. कई मिनटों तक घर में ख़ामोशी बनी रही."

मलाला ने पड़ोस के अपने दोस्तों से मिलने की इच्छा जताई तो कड़ी सुरक्षा के बीच अधिकारी उन्हें लेकर आए.

हक़्क़ानी ने कहा कि उनकी मलाला से लंबी बातचीत हुई और वह उनके साथ हर कमरे में गईं जहां उन्होंने बताया कि उनका परिवार हर कमरे का इस्तेमाल कैसे किया करता था.

हक़्क़ानी ने कहा, "मैं देख सकता था कि उनके विचार परिपक्व हो गए हैं. उन्हें लगा कि सुरक्षा के कारण उन पर एक लगाम है और उन्होंने वादा किया कि वह अगली बार बिना सुरक्षा के आएंगी."

मिंगोरा में अपने घर के अलावा वह सेना की ओर से चलाए जा रहे कैडेट कॉलेज गईं जहां वह छात्रों, स्टाफ़ से मिलीं और विज़िटर्स बुक में अपने विचार लिखे. उनके कुछ दोस्तों को भी वहां बुलाया गया था.

कुछ सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता उनसे न मिल पाने के कारण निराश भी हुए. स्वात के नज़दीकी अपने पैतृक ज़िले शांगला में उनकी मदद से बने महिला कॉलेज की छात्राएं भी निराश हुईं.

हालांकि, मीडिया में आए हर बयान में कहा गया कि वे उनकी मुश्किलें समझ सकते हैं वह अभी भी तालिबान के निशाने पर हैं.

मलाला पर ख़तरा बरक़रार

पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति पर यह एक उपयुक्त टिप्पणी होगी. मलाला समेत कइयों ने उनके पाकिस्तान के दौरे को यहां की बेहतर सुरक्षा स्थिति का संकेत बताया है. लेकिन उनकी आवाजाही पर पाबंदी और उनके यात्रा कार्यक्रम में कड़ी सुरक्षा उन पर बरक़रार ख़तरे को दिखाता है.

मलाला के दौरे के दौरान उनके विरोधियों ने सोशल मीडिया पर अभियान भी छेड़ दिया. विरोधियों ने उन पर झांसा देने और दुश्मन ताक़तों का एजेंट होने का आरोप तक लगाया.

उनके देश और शक्तिशाली सेना ने भी ऐसे विचारों को बदलने के लिए कुछ नहीं किया है.

मलाला के पाकिस्तान आने की इच्छा को समझा जा सकता है लेकिन इस दौरे की किसने व्यवस्था की, प्रधानमंत्री शाहिद ख़ाकान अब्बासी की सरकार या सैन्य नेतृत्व ने. यह अभी तक स्पष्ट नहीं है.

लेकिन ये ज़रूर स्पष्ट है कि सेना और ख़ुफ़िया विभाग ने उनकी सुरक्षा का ज़िम्मा उठाया था.

ये बात समझ में आती है लेकिन सूत्रों ने बीबीसी को बताया कि उनके कार्यक्रमों को जिस तरह तय किया गया वह पूर्वाग्रह दिखाता है.

सूत्रों की मानें तो, प्रशासन ने मलाला के दौरे के बारे में कुछ समूहों को चुपके से सतर्क कर दिया था. लेकिन उनके पिता के कई दोस्तों को अंधेरे में रखा गया था, जो उनकी राजनीति के दौर में अपने सैन्य विरोधी विचारों के लिए जाने जाते थे.

कुछ गुटों ने इस ओर भी ध्यान दिलाया है कि सेना अमरीका के साथ तनाव को कम करने के लिए पाकिस्तान की एक अच्छी छवि बनाना चाह रहा है. अमरीका ने हाल में पाकिस्तान की सैन्य मदद को बंद कर दिया था.

मलाला से क्यों नफ़रत करते हैं कुछ पाकिस्तानी?

BBC Hindi
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English summary
What was the end of Malalas visit to Pakistan
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