#Balakot में भारत के हमले से पाकिस्तान ने क्या सबक़ लिया?
भारत प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल जैश-ए-मोहम्मद और जमात-उद-दावा के ख़िलाफ़ पाकिस्तानी सरकार की ओर से की गई हालिया कार्रवाइयों को महज़ अंतरराष्ट्रीय दबाव का नतीजा ही मानता है.
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान के नीति निर्माताओं को इस हक़ीक़त को समझने की ज़रूरत है कि सरकार के ढांचे से बाहर से काम करने वाले संगठनों (नॉन स्टेट एक्टर्स) की वजह से पाकिस्तान की कोशिशों का वो फल भी ज़ाया हो सकता है जो उसने बड़ी महेनत से दहशतगर्दी के ख़ात्मे की ज़द्दोजहद में हासिल किया है.
पाकिस्तान की सरकार और सैन्य रणनीतिकारों ने पाकिस्तान और भारत के बीच हालिया तनाव से कुछ अहम नतीजे निकाले हैं.
ये पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा के हवाले से कुछ ख़तरों को भी सामने लाते हैं. रणनीतिकारों के मुताबिक, "इन ख़तरों को परमाणु शक्ति के इस्तेमाल के संदर्भ में नज़रअंदाज़ करना ख़ुद को मारने के ही बराबर होगा."
इतनी तेज़ी से कैसे बढ़ा तनाव?
परमाणु हथियारों से लैस दोनों पड़ोसियों के बीच पैदा हुए हालिया जंगी माहौल में पाकिस्तान ने पहला और सबसे अहम सबक इस हक़ीक़त की सूरत में सीखा है कि दोनों देशों की सैन्य ताक़त का टकराव संकट शुरू होते ही आख़िरी हदों तक पहुंच गया. इसे एक ख़तरनाक प्रवृत्ति और प्रतीक समझा जा रहा है.
इस ख़तरनाक स्थिति को पाकिस्तान के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने इन शब्दों में बयान किया, "पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयान के मुताबिक 27 फ़रवरी की रात भारत का मिसाइल से हमले करने का इरादा था. पाकिस्तान और भारत में तनाव की इस इंतहा को निचले दर्जे पर लाना होगा ताकि ख़तरनाक नतीजों की संभावनों को कम किया जा सके. "
हालिया माहौल पूर्व की घटनाओं के मुक़ाबले काफ़ी अलग साबित हुआ है. साल 2002 में जब दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के आमने-सामने आईं तब भारत को अपनी सेना को हरकत में लाने में कम से कम 27 दिन लगे थे.
इस दौरान वो सैन्य कार्रवाइयां करने वाले अपने दस्तों को पाकिस्तान की सीमा तक लाया था. दूसरी ओर पाकिस्तान को अपनी सेना को सीमा तक लाने में इससे भी ज़्यादा समय लगा था.
पाकिस्तानी मीडिया में जारी होने वाली सूचनाओं से पता चलता है कि 26 फ़रवरी को भारत के 12 लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा को पार करके उन इलाक़ों में अपना पे-लोड गिराया जो पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत का हिस्सा हैं.
भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर लड़ाकू विमानों की 'डॉगफ़ाइट' भी हुई. भारतीय हमलावर लड़ाकू विमानों में मिग 21 और रूस निर्मित एसयू 30 लड़ाकू विमान शामिल थे. पाकिस्तानी वायु सेना ने एलओसी पर की गई जबावी कार्रवाई में कुछ ही घंटों में भारतीय लड़ाकू विमान को मार गिराया.
इस बारे में पाकिस्तानी वायु सेना ने आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टों से पता चलता है कि इस कार्रवाई में पाकिस्तान ने चीन के सहयोग से बने स्वदेशी लड़ाकू विमान जेएफ़-17 थंडर का इस्तेमाल किया था.
ख़तरनाक और अहम बात ये है कि भारत के एसयू-30 और पाकिस्तान के जेएफ़-थंडर, ये दोनों ही लड़ाकू विमान परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता रखते हैं. दोनों ही देशों की वायु सेनाओं के पास ये क्षमता नहीं है कि तुरंत इस बात का पता कर लें कि हमलावर लड़ाकू विमान परमाणु हथियारों से लैस है या नहीं.
जब रडार किसी हमलावर विमान का पता लगाएगा तो ये ही माना जाएगा कि वो अपने साथ परमाणु हथियार भी ला रहा होगा. दोनों ही देशों की वायु सेनाएं हमलावर लड़ाकू विमान के बारे में यही शक करेंगी.
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ठीक इसी तरह पाकिस्तानी सेना के लिए भी ये जान लेना संभव नहीं है कि उसके ख़िलाफ़ दाग़े जाने वाले मिज़ाइल पारपंरिक हथियारों से लैस हैं या परमाणु हथियारों से. जैसा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने भाषण में बताया था कि उनके पास इंडिया जैसी रिपोर्ट थी कि नियंत्रण रेखा के पास बहावलपुर सेक्टर में जैश-ए-मोहम्मद को नुक़सान पहुंचाने के लिए मिसाइल से हमला होना था. इसी तरह की जानकारी कई अन्य सूत्रों के हवाले से भी सामने आई थी.
पाकिस्तान और भारत की सेनाएं किसी दाग़े गए मिसाइल का पता तब ही लगा सकती हैं जब वो उनकी अपनी सरहद में दाख़िल हो जाए. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में मिसाइल को ख़त्म करने के लिए देश के पास सिर्फ़ चार मिनट का ही समय होता है.
पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक इतिहास में जब भी सैन्य तनाव या जंगी माहौल पैदा हुआ तब वो तुरंत ही आख़िरी हदों तक नहीं पहुंचा था बल्कि तनाव धीरे-धीरे बढ़ा था. लेकिन इस बार हालात बिलकुल अलग थे जिसमें दोनों ही सेनाएं शुरुआत में ही आख़िरी विकल्पों तक पहुंच गईं.
भारत के बयान पर यक़ीन करती है दुनिया
पाकिस्तान ने इन हालात से अपने लिए दूसरा सबक ये सीखा है कि तनाव के दौरान दुनिया भारत की इस मांग पर सहमत होती नज़र आती है कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन से आतंकवादियों के नेटवर्क को ख़त्म करे.
भारत प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल जैश-ए-मोहम्मद और जमात-उद-दावा के ख़िलाफ़ पाकिस्तानी सरकार की ओर से की गई हालिया कार्रवाइयों को महज़ अंतरराष्ट्रीय दबाव का नतीजा ही मानता है.
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान के नीति निर्माताओं को इस हक़ीक़त को समझने की ज़रूरत है कि सरकार के ढांचे से बाहर से काम करने वाले संगठनों (नॉन स्टेट एक्टर्स) की वजह से पाकिस्तान की कोशिशों का वो फल भी ज़ाया हो सकता है जो उसने बड़ी महेनत से दहशतगर्दी के ख़ात्मे की ज़द्दोजहद में हासिल किया है.
भारत के लड़ाकू विमानों के पाकिस्तान के वायुक्षेत्र का उल्लंघन करने पर पाकिस्तान के क़रीबी दोस्त भी इस बार खुल कर सामने नहीं आए. इन हालातों ने पाकिस्तानी सरकार और सेना को तेज़ी से कार्रवाई पर आमदा किया कि ऐसे तत्व उनकी उस मेहनत पर भी पानी फेर रहे हैं जो पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के अलग अलग संगठनों के ख़िलाफ़ की थी.