लॉकडाउन का ये कैसा विरोध ? महिला ने बीच सड़क पर उतार दिये कपड़े
कोरोना लॉकडाउन का ये कैसा विरोध ? 41 साल की एक महिला को लॉकडाउन नियमों को तोड़ने के आरोप में कोर्ट में पेश किया गया। महिला कोर्ट नहीं जाना चाहती थी। उसने पुलिसवालों के साथ धक्का मुक्की की। विरोध के बावजूद पुलिस ने महिला को कोर्ट में पहुंचा कर दम लिया। कोर्ट में वह बेल पर छूट गयी। इसके इस महिला ने तमाशा खड़ा कर दिया। उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये और पुलिस की कार पर कूद गयी। फिर वह उटपटांग हरकतें करने लगी। बीच सड़क पर एक निर्वस्त्र महिला के हंगामा से पुलिस वाले शुरू में सकपका गये। जब महिला कपड़े पहनने के लिए राजी नहीं हुई तो पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। महिला को एक छड़ी से मार कर नीचे उतारा गया गया। फिर उसे बलात जमीन पर गिरा दिया गया। पास में ही एम्बुलेंस खड़ी थी। पुलिस ने इस निर्वस्त्र महिला को एम्बुलेंस में डाल कर वहां से हटाया। इस महिला पर काबू पाने के लिए पुलिस को बहुत मशक्कत करनी पड़ी। लॉकडाउन के इस विचित्र विरोध से लोग हैरान हैं। ये घटना है स्पेन के टॉरेमोलियंस शहर की।
जिंदा रहे तब तो मौज करोगे !
कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन का पालन निहायत जरूरी है, लेकिन कुछ लोग इसको तोड़ने से बाज नहीं आ रहे। न केवल भारत में बल्कि विदेश में भी लॉकडाउन तोड़ने वालों की कमी नहीं है। यूरोप में ‘खाओ, पीओ, मौज करो' की संस्कृति रही है। इसलिए वहां की हालत और भी खराब है। कोरना से मौत के मामले में स्पेन दुनिया में तीसरे स्थान पर है। वहां मृतकों की संख्या 18 हजार के पार हो गयी है। इसके बावजूद वहां के लोग कोरोना को लेकर संजिदा नहीं हैं। उन्हें हर हाल में मौज, मस्ती और आजादी चाहिए। घरों में बंद रहने की बंदिशें उन्हें नागवार गुजर रही हैं। तभी तो सोमवार को स्पेन के टॉरेमोलियंस शहर में एक महिला ने लॉकडाउन के विरोध में बीच सड़क पर ही अपने कपड़े उतार दिये। इस महिला को एक रिसोर्ट पर इधर-उधर घूमते हुए पाया गया था। वह एक कोई बच्ची नहीं बल्कि एक प्रौढ़ महिला थी। इसके बावजूद उसे नियमों की परवाह नहीं थी। हालांकि स्पेन में सोमवार से ही लॉकडाउन में कुछ रियायतें शुरू की गयी हैं। लेकिन ये रियायत सिर्फ निर्माण कार्यों और कुछ फैक्ट्रियों के लिए लागू हैं। आम लोगों के लिए कोई छूट नहीं है। इस घटना के बाद स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने चेतावनी दी है कि लॉकडाउन सीमित क्षेत्र में ही उठाया गया है, बाकी लोगों के लिए इसे सख्ती से लागू किया जाएगा। हालांकि मजदूर संघों और कुछ नेताओं ने सरकार के इस फैसले पर चिंता चाहिर की है। उनका कहना है कि अगर लॉकडाउन उठाया गया तो कोरोना का हमला फिर शुरू हो सकता है।
स्पेन में खतरा टला नहीं है
अभी स्पेन में 2.1 प्रतिशत की दर से ही कोरोना के नये मामले मिल रहे हैं। पहले मौत का रोजाना आंकड़ा 800 से 900 के बीच रहता था । लेकिन सोमवार को डेली डेथ टैली 547 पर पहुंच गयी। यानी स्पेन में कोरोना का कहर पहले से कुछ कम हुआ है लेकिन अभी भी सावधानी की जरूरत है। प्रधानमंत्री सांचेज ने लोगों को अगाह किया है कि हम सड़कों पर निकलने के लिए बेसब्र हैं लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि इस महामारी से कैसे लड़ें। कैसे कोरोना के फैलने से रोकें। हम अभी कोरोना से जीते नहीं हैं। जंग जारी है, इसलिए लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। अभी प्रयोग के तौर पर कुछ आर्थिक गतिविधियां शुरू हुईं है। इसके आकलन के बाद ही आगे फैसला लिया जाएगा। मालूम हो कि स्पेन की राजकुमारी मारिया टेरेसा की कोरोना से मौत हो चुकी है। राजधानी मैड्रिड के 80 फीसदी लोग कोरोना से संक्रिमत हैं।
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जर्मनी में लॉकडाउन हटाने के लिए रोड़ेबाजी
मार्च के दूसरे सप्ताह में जब इटली, स्पेन, फ्रांस और इंग्लैंड कोरोना की चपेट में आ गये तब माना जा रहा था कि अब यूरोप इसका केन्द्र बनने जा रहा है। उस समय जर्मनी ने इस महामारी का बड़ी मुस्तैदी से मुकाबला किया। जर्मनी में कोरोना संक्रमितों की संख्या तो बढ़ी लेकिन मौत आंकड़े बेहद कम रहे। यहां मौत की दर केवल 0.3 प्रतिशत रही। 11 अप्रैल को जर्मनी में कोरोना के 4133 नये मामले सामने आये थे। 12 अप्रैल को नये मामलों की संख्या घट कर 2821 हो गयी। मौत की गिनती भी कम हुई। जर्मनी में रविवार को कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख 23 हजार 16 थी जब कि मृतकों की संख्या केवल 2799 थी। जर्मनी में जब कोरोना का असर कम होने लगा तो यहां के लोग लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए बेताब होने लगे। शुक्रवार को फ्रैंकफर्ट शहर में लोग कई समूहों में घर से बाहर निकले। जब पुलिस ने उन्हें फिजिकल डिस्टेंसिंग की नसीहत दी उन्होंने पुलिस पर ही हमला कर दिया। पुलिस की कार के शीशे तोड़ दिये गये और पत्थर बरसाये गये।
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