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डोनल्ड ट्रंप जिस गंदगी को भारत का बता रहे हैं, उसका सच क्या है?

अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क के इकॉनमी क्लब में 12 नवंबर को जलवायु परिवर्तन पर बोलते हुए भारत, रूस और चीन को निशाने पर लिया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "मैं पूरी पृथ्वी पर साफ़ हवा चाहता हूं, साफ़ हवा के साथ साफ़ पानी भी चाहता हूं. लोग मुझसे सवाल पूछते हैं कि आप अपने हिस्से के लिए क्या कर रहे हैं. मुझे इससे एक छोटी सी समस्या है. 

By BBC News हिन्दी
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GETTY IMAGES

अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क के इकॉनमी क्लब में 12 नवंबर को जलवायु परिवर्तन पर बोलते हुए भारत, रूस और चीन को निशाने पर लिया.

उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "मैं पूरी पृथ्वी पर साफ़ हवा चाहता हूं, साफ़ हवा के साथ साफ़ पानी भी चाहता हूं. लोग मुझसे सवाल पूछते हैं कि आप अपने हिस्से के लिए क्या कर रहे हैं. मुझे इससे एक छोटी सी समस्या है. हमारे पास ज़मीन का छोटा सा टुकड़ा है- यानी हमारा अमरीका. इसकी तुलना आप दूसरे देशों से करें, मसलन चीन, भारत और रूस से करें तो कई देशों की तरह ये भी कुछ नहीं कर रहे हैं."

ट्रंप ने ये भी कहा, "ये लोग अपनी हवा को साफ़ रखने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं, ये पूरी पृथ्वी को साफ़ रखने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. ये अपना कूड़ा कचरा समुद्र में डाल रहे हैं और वह गंदगी तैरती हुई लॉस एंजलिस तक पहुंच रही है. क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि ये गंदगी लॉस एंजलिस तक पहुंच रही है? आप यह देख रहे हैं लेकिन कोई इस पर बात नहीं करना चाहता."

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ट्रंप किस गंदगी की बात कर रहे हैं और क्या वो वाक़ई भारत, चीन और रूस से आ रही है?

डोनल्ड ट्रंप
Getty Images
डोनल्ड ट्रंप

दरअसल ट्रंप जिस गंदगी की बात कर रहे हैं, उसे दुनिया ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच के नाम से जानती है. यह कचरा अमरीका के कैलिफ़ोर्निया से लेकर हवाई द्वीप समूह के बीच फैला हुआ है.

ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच
BBC
ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच

कहां से आती है ये गंदगी

नेचर पत्रिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, गंदगी से भरा यह इलाक़ा छह लाख वर्ग मील में फैला हुआ है जिसका क्षेत्रफल अमरीकी राज्य टेक्सस से दोगुने में फैला हुआ है.

दुनिया को इसका पहली बार पता 1990 के दशक में चला था. ओशन क्लीनअप फ़ाउंडेशन के मुताबिक़, यहां पूरे पैसिफ़िक रिम से प्लास्टिक का कचरा पहुंचता है. यानी प्रशांत महासागर के इर्द-गिर्द बसे एशिया, उत्तरी अमरीका और लैटिन अमरीकी देशों से.

वैसे यहां यह जानना दिलचस्प है कि ये पूरा इलाका सॉलिड प्लास्टिक से भरा नहीं है. बल्कि यहां मोटे तौर पर 1.8 खरब प्लास्टिक के टुकड़े मौजूद हैं जिनका वजन क़रीब 88 हज़ार टन माना जा रहा है यानी 500 जंबो जेट्स के वज़न के बराबर.

इस गंदगी को साफ़ करने के लिए अभी तक किसी देश की सरकार सामने नहीं आई है, हालांकि ओशन क्लीनअप फ़ाउंडेशन कुछ समूहों के साथ ये काम करने की कोशिश कर रहा है.

कचरा
Getty Images
कचरा

कौन फैला रहा सबसे ज़्यादा कचरा

पैसिफ़िक रिम के चारों और बसे देशों से निकला कचरा इस क्षेत्र में फैलकर जमा हो जाता है. इसमें प्लास्टिक की वे बेकार चीज़ें होती हैं जिन्हें यूं ही फेंक दिया जाता है.

नदियों के रास्ते ये समंदर में पहुंच जाती हैं. यानी ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच में आपको अलग-अलग देशों से बहकर आई प्लास्टिक की चीज़ें मिल सकती हैं जिनमें से कुछ अमरीका के ही लॉस एंजलिस की हो सकती हैं.

कचरा
Getty Images
कचरा

यूएस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ यहां सबसे ज़्यादा गंदगी चीन और दूसरे देशों से पहुंचता है. ऐसे में एशिया के दूसरे नंबर के देश भारत की भूमिका पर भी सवाल उठते ही होंगे.

लेकिन 2015 में साइंस एडवांसेज़ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार सबसे ज़्यादा प्लास्टिक का कचरा एशिया से ही निकलता है. इनमें चीन, इंडोनेशिया, फ़िलिपींस, वियतनाम, श्रीलंका और थाईलैंड सबसे ज़्यादा गंदगी फैलाने वाले छह शीर्ष देश हैं.

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English summary
What is the truth of the garbage that Donald Trump is telling about India
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