पाकिस्तान में हिंदुओं के घर ढहाने का क्या है मामला?
भारत सरकार ने पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के घरों को ढहाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर में याज़मान स्थानीय प्रशासन ने 20 मई को अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के 22 घरों को ढहा दिया था.
इस पर भारत सरकार ने मंगलवार को कड़ी प्रतिक्रिया भी जताई है. दूसरी तरफ़, प्रशासन ने इसको 'अतिक्रमण-विरोधी गतिविधि' बताया है.
वहीं, स्थानीय हिंदू समुदाय के लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई उनके धर्म के आधार पर की गई है.
अब पाकिस्तान के मानवाधिकर आयोग ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा है कि समुदाय को धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया है.
हालांकि, शहर के असिस्टेंट कमिश्नर का कहना है कि निर्माण अवैध तरीक़े से किया गया था.
मानवाधिकार आयोग के स्थानीय संयोजक फ़ैसल मेहमूद ने बीबीसी को बताया है कि हिंदू कॉलोनी को ढहाया गया है जहां पर 70 घर थे.
मेहमूद उस फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग मिशन का नेतृत्व कर रहे थे जो यज़मान के नज़दीक चक 52/डीबी गांव में इस मामले की जांच कर रही थी.
उन्होंने बताया कि यह निर्माण सरकारी ज़मीन पर एक दशक से भी पहले किया गया था.
ज़मीन लेने के लिए किया गया था आवेदन
15 एकड़ के इस इलाक़े के अधिकतर नागरिक बेहद ग़रीब और अशिक्षित हैं. अधिकतर लोग खेतों में या दिहाड़ी मज़दूर के रूप में काम करते हैं.
इस समुदाय के लोगों ने संबंधित विभाग में कुछ सालों पहले ज़मीन आवंटित करने के लिए दरख़्वास्त दी थी.
अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए ख़ासतौर पर पांच-मरला योजना (1 मरले में तक़रीबन 25 मीटर होते हैं) बनाई गई थी, जिसके तहत यह ज़मीन मांगी गई थी जो आवेदन अभी भी प्रक्रिया में अटका हुआ है.
हालांकि, 2018 में राजस्व बोर्ड ने उन्हें ज़मीन पर घर बनाने की अनुमति दे दी थी.
समुदाय के नेता मंशा राम ने स्थानीय नेता मुहम्मद बूटा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो इस ज़मीन का बड़ा टुकड़ा लेना चाहते थे और उनके समुदाय ने इसका विरोध किया.
बूटा इसके बाद असिस्टेंट कमिश्नर के दफ़्तर गए और मंशा राम के ख़िलाफ़ शिकायत की और उन पर सरकारी ज़मीन पर क़ब्ज़े का आरोप लगाते हुए कहा कि वो अपने समुदाय के लोगों को ज़मीन बेच रहे हैं और उससे पैसा बना रहे हैं.
मंशा राम ने बीबीसी से कहा, "हमारे घर ट्रैक्टर और बुलडोज़र से ढहा दिए गए. घर के अंदर रखा सामान भी नष्ट हो गया, महिलाएं और बच्चे उन्हें रुकने के लिए कहते रहे. हमने उन्हें बताया कि इस मुद्दे पर केस चल रहा है लेकिन उन्होंने हमारी नहीं सुनी."
22 घर ज़मींदोज़, दर्जनों हुए बेघर
उन्होंने मुहम्मद बूटा की धमकी के बाद सुरक्षा के लिए स्थानीय कोर्ट का रुख़ किया था जिसे उनकी याचिका मंज़ूर की थी और घर ढहाने के आदेश पर रोक लगाई थी.
20 मई को आदेश को दरकिनकार करते हुए 22 घर पूरी तरह ज़मींदोज़ कर दिए गए और तक़रीबन 10 घर आंशिक रूप से नष्ट किए गए. महिलाओं-बच्चों समेत दर्जनों लोग बेघर हो गए.
याज़मान में हिंदू समुदाय के वकील सलीम गिल कहते हैं कि बहावलपुर के सिविल कोर्ट में स्थानीय प्रशासन के ख़िलाफ़ अदालत की अवमानना की याचिका दायर की गई है.
वो कहते हैं, "हम क़ानूनी रास्ता लेंगे और न्यायालय में लड़ेंगे."
हिंदुओं पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप
बूटा ने फ़ोन पर बातचीत में सभी आरोपों को निराधार बताते हुए अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा, "मंशा राम दूसरे इलाक़ों से हिंदुओं को लाकर चक 52/डीबी में सरकारी ज़मीन बेच रहे थे. यह आरोप निराधार हैं कि मैं ज़मीन क़ब्ज़ा करना चाहता था, यह सरकारी ज़मीन है और मेरा इस पर कोई अधिकार नहीं है और न ही मैंने ऐसी कोई मांग की थी."
"मेरी हिंदू समुदाय से कोई दुश्मनी नहीं है. मैं दूसरे गांव में रहता हूं तो यह मेरा व्यवसाय नहीं है लेकिन मैं ख़ासतौर पर दुखी था जब कुछ हिंदू लोगों ने मुस्लिम क़ब्रिस्तान को लेकर अपमान किया था. वो वहां रात में शराब पीते हैं और वहां पर ख़ाली बोतलें और गिलास छोड़ जाते हैं. यह बंद होना चाहिए."
हालांकि, मानवाधिकार आयोग के फ़ैसल मेहमूद का कहना है कि उनके पास मज़बूत आधार है कि मुहम्मद बूटा ने अपने राजनीतिक संबंधों के बल पर हिंदू समुदाय को ज़मीन बेचने के लिए डराया-धमकाया, जो समुदाय को सरकार ने दी थी.
वो कहते हैं, "बूटा ने असिस्टेंट कमिश्नर के दफ़्तर से संपर्क किया और कॉलोनी के कुछ लोगों पर क़ब्रिस्तान में शराब बनाने और पीने का आरोप लगाया. उन्होंने इसे धर्म का रंग दिया."
"प्रत्यक्ष रूप से स्थानीय अधिकारियों ने ज़मीन पर जांच का अपना काम ठीक से नहीं किया. कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्होंने ढहाने के लिए कहा."
मानवाधिकार आयोग ने की निंदा
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने इसे 'चिंता का विषय' बताते हुए कहा है कि 'हिंदू समुदाय धार्मिक अल्पसंख्यक होने के नाते पहले से कमज़ोर है, धर्म के आधार पर निशाना बनाकर स्थानीय भू-माफ़िया लाभ लेना चाहते हैं.'
हालांकि, असिस्टेंट कमिश्नर शाहिद खोखर ने आरोपों को ख़ारिज करते हुए बीबीसी से कहा है कि उन्होंने मंशा राम के ख़िलाफ़ शिकायत पर कार्रवाई की है जो सरकारी ज़मीन को अपने समुदाय के लोगों को बेच रहे थे और पैसा बना रहे थे.
उन्होंने कहा, "याज़मान में हिंदु समुदाय के 16 घर थे और ज़िला प्रशासन के उनके साथ बेहद अच्छे संबंध रहे हैं."
"चक 52/डीबी की 10 एकड़ ज़मीन समुदाय आवंटित की गई थी और कोर्ट ने रोक भी लगाई थी इसका मतलब है कि न ही उस पर घर बन सकता था और न ही ज़मीन ख़रीदी या बेची जा सकती थी."
स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई को सही बताया
शाहिद खोखर ने कहा कि उन्होंने स्थानीय लोगों की शिकायत पर 'कार्रवाई' की थी. उन्होंने अपने स्टाफ़ को ज़मीनी हक़ीक़त जांचने के लिए कही थी जिस पर स्टाफ़ ने शिकायत को सही पाया इसलिए कार्रवाई की गई.
वो कहते हैं, "इस तरह की कोई यह पहली हरकत नहीं है. इस इलाक़े में भू-माफ़िया सक्रिय हैं तो हमने ये अभियान रोज़ाना की कार्रवाई के तौर पर किया है."
"मंशा राम आवंटित ज़मीन पर प्लॉट को भेज रहे थे. यह दुर्भाग्य है कि वो इसे सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं"
उन्होंने कहा कि यह मामला कोर्ट में है और ज़िला प्रशासन कोर्ट के निर्देशों के अनुसार काम करेगा.
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने संसद के स्थानीय सदस्यों और केंद्रीय आवास मंत्री तारीक़ बशीर चीमा को अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा है.
साथ ही आयोग ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वो सभी प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा दे.