इसराइली हमले में अपने ऑफिस ध्वस्त होने पर क्या बोले एपी और अल-जज़ीरा
एपी ने अपने बयान में कहा है, ''हमने इसराइली सरकार से अनुरोध किया था कि इस इमारत में हमास के होने का सबूत दें लेकिन उन्होंने नहीं दिया. गज़ा में जो कुछ भी हो रहा है अब दुनिया को बहुत कम पता चलेगा लेकिन हमारे दफ़्तर तबाह कर दिए गए हैं''
अमेरिकी समाचार एजेंसी 'द एसोसिएटेड प्रेस' और क़तर के समाचार चैनल 'अल-जज़ीरा' ने शनिवार को इसराइल से उनके दफ़्तर पर हुए हवाई हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है. द एसोसिएटेड प्रेस ने इसराइल के हमले को 'भयावह और चौंकाने वाला' बताया है जबकि अल-जज़ीरा ने कहा है कि इसराइल पत्रकारों को गज़ा में उनकी ड्यूटी करने से रोक रहा है. शनिवार को इसराइल ने गज़ा में स्थित एक बहुमंज़िला इमारत को एक हवाई हमले में ध्वस्त कर दिया था, जिसमें इन दोनों मीडिया संस्थानों के दफ़्तर हुआ करते थे. समाचार एजेंसी 'द एसोसिएटेड प्रेस' ने लिखा है कि शनिवार को उन्होंने इसराइली सेना को कई कॉल कर इस हमले को रोकने की गुज़ारिश की थी, लेकिन इसराइली सेना ने उनकी नहीं सुनी. एपी ने अपने बयान में कहा है, ''हमने इसराइली सरकार से अनुरोध किया था कि इस इमारत में हमास के होने का सबूत दें लेकिन उन्होंने नहीं दिया. एपी का ब्यूरो इस इमारत में पिछले 15 सालों से था. हमें आज तक कोई संकेत नहीं मिला कि इस इमारत में हमास की मौजूदगी है. यह बहुत ही भयावह स्थिति है. गज़ा में जो कुछ भी हो रहा है अब दुनिया को बहुत कम पता चलेगा लेकिन हमारे दफ़्तर तबाह कर दिए गए हैं''
अमेरिकी समाचार एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि 'शनिवार को जिस वक़्त इसराइल ने हमले की सूचना दी, तब हमारे 12 पत्रकार गज़ा ब्यूरो में काम कर रहे थे. इसराइली सेना ने इमारत ख़ाली करने के लिए सिर्फ़ एक घंटे का समय दिया था. हालांकि, सौभाग्य से हमारे सभी पत्रकार अपनी ज़रूरत का थोड़ा बहुत सामान लेकर दफ़्तर से निकलने में सफल रहे, जिसके कुछ ही देर बाद इसराइल की तीन मिसाइलें उस 12 मंज़िला इमारत से टकराईं और देखते ही देखते उसे धुएं के गुबार में तब्दील कर दिया.'
प्रेस की स्वतंत्रता की वकालत करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इसराइल के इस हमले की निंदा की है. इन संस्थाओं ने इसराइली सेना पर आरोप लगाया है कि वो मीडिया के काम को सेंसर करने की कोशिश कर रही है ताकि उसके द्वारा किए जा रहे कथित युद्ध अपराधों के बारे में दुनिया को नहीं बताया जा सके.
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'ये हमला मानवाधिकारों का उल्लंघन'
इस हवाई हमले को लेकर इसराइली सेना ने दावा किया कि जिस बहुमंज़िला इमारत को उसने गिराया है, जिसमें मीडिया संस्थानों के दफ़्तर और कुछ लोगों के घर भी थे, उसी इमारत में किसी एक माले पर चरमपंथी संगठन हमास की सैन्य ख़ुफ़िया टीम बैठती थी. समाचार चैनल 'अल-जज़ीरा' ने बताया कि "अल-जला नाम की इस बिल्डिंग में, जहाँ कई दफ़्तर थे और बहुत से लोगों के घर भी थे, उसे खाली करने के लिए इसराइली फ़ौज से सिर्फ़ एक घंटे का समय दिया. फ़ोन के ज़रिए इसकी सूचना दी गई थी. जब हमने कहा कि हमें थोड़ा और समय दिया जाए, तो उन्होंने कहा कि वो इस बारे में कुछ नहीं कर सकते."
अल-जज़ीरा मीडिया नेटवर्क के कार्यवाहक महानिदेशक डॉक्टर मुस्तफ़ा सुआग ने कहा, "हम चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बर्बर हमले की निंदा करे जो मीडिया को निशाना बनाने के लिए किया गया. हम चाहते हैं कि इस हमले को लेकर इसराइल के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए. इसराइल मीडिया को चुप कराना चाहता है. वो चाहता है कि मीडिया गज़ा के लोगों की तकलीफ़ों पर बात ना करे."
उन्होंने कहा, "अल-जला इमारत पर हमला मानवाधिकारों का उल्लंघन है. यह जघन्य अपराध है. इसराइली सेना जानती थी कि इस इमारत को ना सिर्फ़ अल-जज़ीरा, बल्कि कई अन्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान वर्षों से अपने स्थानीय हेडक्वार्टर के तौर पर इस्तेमाल कर रहे थे और यह जानते हुए भी उसने इस इमारत को निशाना बनाया. पत्रकारिता कोई जुर्म नहीं, जिसके लिए इसराइल ऐसी सज़ा देने की कोशिश करे."
दर्जनों परिवारों के घर गये
द एसोसिएटेड प्रेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अल-जला बिल्डिंग में सबसे ऊपर का माला 15 वर्षों से एजेंसी के लिए इसराइल और फ़लस्तीनियों के विवाद को कवर करने का केंद्र बिंदू रहा. साल 2009, 2012 और 2014 में हिंसक संघर्ष के दौरान भी एजेंसी इसी दफ़्तर से काम करती रही. द एसोसिएटेड प्रेस के अध्यक्ष और चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव गैरी प्रूइट ने अपने बयान में कहा, "हम इस हमले से हैरान हैं. ये भयावह है. हमें उम्मीद नहीं थी कि इसराइली सेना मीडिया को निशाना बनाएगी और उस बिल्डिंग पर हमला करेगी, जहाँ से कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान सूचनाएं भेज रहे थे. शनिवार को जो हुआ, उसका असर दुनिया पर यह होने वाला है कि लोगों को अब गज़ा में क्या हो रहा है, इसकी तुलनात्मक रूप से कम जानकारी मिलेगी और यह ग़लत है. हमारे लोगों ने बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई."
इस हवाई हमले में दर्जनों परिवारों के घर छिन गये हैं जो कभी अल-जला इमारत में रहते थे.
अल-जज़ीरा ने अल-जला बिल्डिंग के मालिक जवाद मेहदी का एक वीडियो जारी किया है जिसमें वो इसराइली सेना से अनुरोध करते देखे जा सकते हैं कि उन्हें दस मिनट का समय और दिया जाए ताकि मीडिया के लोग अंदर जाकर अपने कैमरे और महँगे उपकरण बाहर ला सकें.
'कोई निर्दोष इमारत नहीं'
वे फ़ोन पर कहते हैं, "मैं आपसे सिर्फ़ चार लोगों की अनुमति माँग रहा हूँ. उन्हें अंदर जाने दिया जाए ताकि वो अपने कैमरे ला सकें. आप जो चाहते हैं, हम उसका सम्मान करते हैं, लेकिन हमें बस इतना कर लेने दीजिए. हमें सिर्फ़ दस मिनट दीजिए." मगर जब इसराइली सैन्य अधिकारी ने उनकी इस गुज़ारिश को मानने से मना कर दिया तो मेहदी ने कहा, "आपने हमारी संपत्ति, हमारा काम, हमारी यादों और हमारे जीवन को तबाह कर दिया है. मैं फ़ोन रखता हूँ. अब आपको जो करना है, वो करिये. पर याद रखिये कि आपसे ऊपर भगवान है जो सब देख रहा है."
इस हमले के बाद इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास भी उस बिल्डिंग को इस्तेमाल कर रहा था. ये कोई निर्दोष इमारत नहीं थी. पिछले कुछ दिनों में इसराइली सेना ने गज़ा की कई बड़ी इमारतों को इसी दलील के साथ हवाई हमले का निशाना बनाया है कि उसे हमास द्वारा इस्तेमाल किया जाता था. इसराइली सेना ने यह आरोप भी लगाया कि चरमपंथी संगठन हमास पत्रकारों को मानव-कवच के रूप में भी इस्तेमाल करता रहा है. हालांकि, इसराइली सेना ने अपने इस दावे को साबित करने वाला कोई सबूत अब तक पेश नहीं किया है.
शनिवार के हमले के बाद अमेरिका ने भी इसराइल से कहा है कि वो पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. व्हाइड हाऊस की प्रवक्ता जेन साकी ने ट्वीट कर कहा, "हमने सीधे तौर पर इसराइल को कहा है कि सभी पत्रकारों और स्वतंत्र मीडिया की सुरक्षा सुनिश्चित करना उसकी अहम ज़िम्मेदारी है." द फ़ॉरेन प्रेस एसोसिएशन, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट और द इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट समेत कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इसराइल के इस हमले को ग़लत ठहराया है.
न्यूज़ एजेंसी एपी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इसराइली सेना और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के बीच पहले से ही कठोर संबंध रहे हैं और इसराइल अंतरराष्ट्रीय मीडिया पर उनके ख़िलाफ़ पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाता रहा है. शनिवार को 'मीडिया टावर' पर यह हमला तब हुआ, जब अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने गज़ा में ज़मीन के रास्ते हमला करने की इसराइल की योजना पर बात करना शुरू कर दिया था.
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