पैंगोंग झील पर दूसरा पुल बना कर चीन क्या हासिल करना चाहता है? भारतीय फौज से इतना घबरा गया है चीन?
विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि चीन पैंगोंग सो झील पर एक दूसरा पुल बना रहा है। नये पुल की दूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा से मात्र 20 किलोमीटर है।
नई दिल्ली, 24 मईः विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि चीन पैंगोंग सो झील पर एक दूसरा पुल बना रहा है। नये पुल की दूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा से मात्र 20 किलोमीटर है। इससे पहले चीन ने यहां जनवरी में 400 मीटर लंबा व 8 मीटर चौड़ा पुल के निर्माण कार्य को पूरा किया था। इसकी मदद से चीन दूसरे पुल का निर्माण कर रहा है। यह भारत के लिए गंभीर चिंता की बात है, क्योंकि इस पुल के पूरा होने के बाद पैंगोंग सो झील के उत्तर व दक्षिण किनारे के बीच बख्तरबंद वाहनों की आवाजाही तेज हो जाएगी।
1958 से चीन के नियंत्रण में यह इलाका
यह निर्माण स्थल खुर्नक किले नामक एक पुराने खंडहर के ठीक पूर्व में स्थित है। इस जगह पर चीन के कई प्रमुख रक्षा ठिकाने हैं। चीन इसे रूटोंग देश कहता है। खुर्नक किले में चीन की एक सीमांत रक्षा कंपनी है और इसके ठीक पूर्व में बनमोझांग में तैनात एक जल स्क्वाड्रन है। हालांकि यह 1958 से चीन के नियंत्रण में आने वाले इलाके में बनाया जा रहा है लेकिन यह उस जगह के ठीक पश्चिम है जिस इलाके को भारत अपना क्षेत्र मानता है। भारत ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि वह इस क्षेत्र को चीन के अवैध कब्जे वाला हिस्सा मानता है।
दो-तिहाई हिस्से पर चीन का कब्जा
पैंगोंग सो 135 किलोमीटर लंबी भूमि से घिरी एक झील है। भारत के नियंत्रण में पैंगोंग सो का लगभग 45 किमी क्षेत्र आता है जबकि बाकि 90 किलो मीटर यानी कि दो-तिहाई हिस्से पर चीन का अधिकार है। नए पुल के तैयार होने के बाद चीन की बख्तरबंद गाड़ियां और सेना के ट्रक हथियार लेकर आसानी से गुजर पाएंगे। भारत के मुताबिक पुल का स्थान झील के उत्तरी तट पर फिंगर 8 से लगभग 20 किमी की दूरी पर है।
भारतीय फौज ने दिया था मुंहतोड़ जवाब
बता दें कि दो साल पूर्वी लद्दाख में ही गलवान घाटी के पास भारत और चीन के सेनाओं के बीच हिसंक झड़प हुई थी। तब अगस्त 2020 में चीनी सैनिकों ने क्षेत्र में भारतीय सैनिकों को धमकाने की कोशिश की थी, जिस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय पक्ष द्वारा पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर कई रणनीतिक चोटियों पर कब्जा कर लिया गया था। भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग सो झील के दक्षिणी तट पर चुशुल उप-क्षेत्र में कैलाश रेंज की पहाड़ियों पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पछाड़ते हुए कब्जा कर लिया।
भारतीय फौज से परेशान चीन
भारतीय सेना ने आक्रमकता दिखाते हुए रणनीतिक रूप से मजबूत कहे जाने वाले स्पैंगगुर गैप पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। बताते चलें कि इस इलाके का इस्तेमाल चीन ने भारत के खिलाफ 1962 के युद्ध में किया था। भारतीय फौज की आक्रमक नीति से परेशान चीन इसके बाद से ही अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की कोशिशों में जुटा हुआ है। इसके बाद से दोनों देशों ने तनाव कम करने के लिए अब तक 15 दौर की बातचीत की है, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। बताया जा रहा है कि इस पुल के निर्माण से चीनी सैनिक 12 घंटे की यात्रा को कम कर मात्र 4 घंटे में पूरी कर पाएंगे।
अवैध कब्जा नहीं है स्वीकारः भारत
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो के पास चीन के दूसरा पुल बनाने की खबरें आने के एक दिन बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरविंद बागची ने कहा था कि जिस स्थान पर निर्माण कार्य किया जा रहा है, वह क्षेत्र दशकों से उस देश के कब्जे में है। हमने इस क्षेत्र पर इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। न ही हमने चीन के अनुचित दावे या ऐसी निर्माण गतिविधियों को स्वीकार किया है।
सेना प्रमुख बोले- हम बेहतर स्थिति में
हालांकि इससे पहले सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने जनवरी में कहा था कि हम एक बेहतर स्थिति में हैं। चीन जो कुछ भी कर रहा है हमारी तरफ से ठीक वैसा ही किया जा रहा है। हम किसी भी स्तर से इंफ्रास्टक्चर के मामले में पीछे नहीं हैं। सेना प्रमुख के बयान के मुताबिक भारत ने 2021 में सीमा सड़क संगठन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में 100 से अधिक परियोजनाएं पूरी कीं, इनमें से अधिकांश चीन सीमा के निकट हैं। भारत इन जगहों पर नई हवाई पट्टी और लैंडिंग क्षेत्रों के निर्माण के अलावा एलएसी पर निगरानी में भी सुधार कर रहा है।