क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

श्रीलंका में सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारी क्या कह रहे हैं?

9 मई की रात की हिंसा के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफ़ा दे दिया था, लेकिन फिर भी लोगों को ग़ुस्सा नहीं थमा और अगले दिन यानी मंगलवार शाम तक सत्ताधारी पार्टी के लोगों के ख़िलाफ़ मुहिम जारी रही.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
श्रीलंका
BBC
श्रीलंका

श्रीलंका में हालात बेहतर होने से कहीं दूर हैं, बजाय इसके कि गुरुवार देर शाम पूर्व प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे को फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई है.

पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे अब इस्तीफ़ा दे चुके हैं. वे परिवार के साथ देश के उस पूर्वी इलाक़े में जा बैठे हैं, जहाँ वे आधिकारिक दौरे भी कम ही किया करते थे.

महिंदा के भाई गोटाबाया राजपक्षे अभी भी देश के राष्ट्रपति हैं और बढ़ते हुए विरोध के बावजूद सत्ता छोड़ने को तैयार नही हैं.

कोलंबो के एक मैजिस्ट्रेट ने महिंदा राजपक्षे के परिवार समेत 13 लोगों के ऊपर देश से बाहर न जाने का ट्रैवल बैन भी लगा दिया है.

उनके बेटे नमल राजपक्षे ट्वीट के ज़रिए कह रहे हैं, "देश में नफ़रत और हिंसा फैलाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए और उनके ख़िलाफ़ भी जिन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाया और उनके ख़िलाफ़ भी जिन्हें बेक़ाबू भीड़ ने निशाना बनाया था."

बात है 9 मई की, जगह थी कोलंबो के सबसे महंगे गॉल स्ट्रीट इलाक़े के सबसे पॉश एड्रेस, टेम्पल ट्रीज़. महिंदा राजपक्षे का आधिकारिक निवास.

इसी के बाहर महिंदा राजपक्षे और उनकी सरकार के ख़िलाफ़ महीने भर से शांतिपूर्ण विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत हुई थी.

नूरा नूरा
BBC
नूरा नूरा

42 साल की नूरा भी पिछले कई हफ़्तों से श्रीलंका के बिगड़े हालात को लेकर सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर रही हैं. उस रात को याद कर वे अब बेचैन हो उठती हैं.

वे कहती हैं, "हम लोग तो गॉल फ़ेस पर धरना स्थल पर ही बैठे थे. फ़ेसबुक पर मैसेज आने शुरू हुए कि राजपक्षे समर्थकों की बड़ी भीड़ हमारी तरफ़ बढ़ रही है. बस उनके घर के पास ही वे आकर हमें मारने-पीटने लगे. मैं अकेली महिला थी क़रीब दो दर्जन लोगों मेरे शरीर को दबाया, कपड़े खींचे और आगे बढ़ गए,"

ये बताते हुए नूरा की आँखे नम हो चुकीं थीं.

उस सदमे को भुलाने की कोशिश करते हुए नूरा फिर से गॉल फ़ेस पर प्रदर्शनकारियों के साथ बैठी हुई हैं और उनकी माँग है, "राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफ़े से कम में कोई यहां से नहीं हिलेगा."

उस रात की हिंसा के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफ़ा दे दिया था, लेकिन फिर भी लोगों को ग़ुस्सा नहीं थमा और अगले दिन यानी मंगलवार शाम तक सत्ताधारी पार्टी के लोगों के ख़िलाफ़ मुहिम जारी रही.

तब से राजधानी कोलंबो में कर्फ़्यू लगा दिया गया, जिसमें गुरुवार को सात घंटे की छूट दी गई.

श्रीलंका में गहरा चुके आर्थिक संकट से निबटने में सरकार की नाकामी के ख़िलाफ़ होने वाले प्रदर्शन फिर से तेज़ी पकड़ रहे हैं. गुरुवार देर शाम पूर्व प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री पद की शपथ तो ली लेकिन ज़्यादातर लोग इससे बहुत सहमत नहीं दिख रहे हैं.

श्रीलंका
BBC
श्रीलंका

गुरुवार को कर्फ़्यू में छूट मिलने के साथ ही बड़ी तादाद में लोग विरोध-प्रदर्शन स्थल पर 'लोगों का उत्साह बढ़ाने' के लिए पहुँचे.

श्रीलंका के सबसे सफलतम क्रिकेटरों में से एक कुमार संगकारा की पत्नी येहाली भी लोगों की हौसला अफ़ज़ाई के लिए पहुँची थीं.

उन्होंने कहा, "हम लोग इस देश में सिर्फ़ शांति चाहते हैं और कुछ नहीं. ये प्रदर्शनकारी बहुत प्यारे और शांतिपसंद हैं. मैं यहाँ इसलिए हूँ, क्योंकि ये हमारे देश के भविष्य हैं."

महिंदा राजपक्षे को कभी सिंहला बहुसंख्यक 'वॉर हीरो' के तौर पर देखा जाता था. उनके सिर पर देश में हिंसक 'तमिल फ़्रीडम' की मुहिम चलाने वाली एलटीटीई को जड़ से मिटाने का सेहरा भी बंधता रहा है.

लेकिन जानकारों को लगता है कि महिंदा और उनके परिवार ने देश पर जिस तरह से राज किया, वो लोगों को अखर रहा है.

कोलंबो यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल इकोनोमी के प्रोफ़ेसर फ़र्नांडो के मुताबिक़, "आप क़र्ज़ लेते गए, फिर उस पैसे का क्या हुआ साफ़ तौर पर पता नहीं चला. साथ ही आपने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि आपके सरकारी ट्रेज़री में विदेशी मुद्रा ख़ाली होती चली गई. क्या कह कर अब लोगों का ग़ुस्सा ठंडा कीजिएगा?"

श्रीलंका के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि ग़ुस्सा हर तबके, हर समुदाय और हर उम्र के लोगों में दिख रहा है.

गॉल फ़ेस प्रदर्शन स्थल से थोड़ी दूर एक टेंट के भीतर कुछ ईसाई सिस्टर्स बैठीं मिली. पता चला कि वे एक महीने से यहाँ हैं और होली फ़ैमिली चर्च से जुड़ी हुई हैं.

सिस्टर शिरोमी
BBC
सिस्टर शिरोमी

उनमें से एक सिस्टर शिरोमी ने कहा, "हम लोगों को न कोई लाभ चाहिए, न कोई फ़ायदा. बस ये देखना असंभव होता जा रहा था कि देश गर्त में जा रहा है. 9 मई को जो हुआ वो सबसे शर्मनाक था. ग़ुस्साए हुए राजनीतिक समर्थकों ने निहत्थे लोगों को निशाना बनाया. मैंने ख़ुद देखा है कि कैसे महिलाओं के साथ बदसलूकी हुई और कैसे युवा छात्रों को घसीटा गया. वरना उनके विरोध में देशभर में ये ग़ुस्सा क्यों फैलता?".

हक़ीक़त यही है कि आज श्रीलंका में खाने-पीने के सामान, दूध, गैस, केरोसिन तेल और दवाओं जैसी ज़रूरी चीज़ों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं. पेट्रोल पंप ख़ाली पड़े हैं, क्योंकि देश के पास बाहर से तेल आयात करने के बदले देने के लिए डॉलर नहीं हैं.

नूरा नूरा ने आख़िर में कहा, "आख़िर हमारा देश कैसे ख़राब हो गया. बिजली नहीं, पानी नहीं, पेट्रोल नहीं, खाना नहीं. हमारे बच्चों के पास पैसा नहीं. अगर अब कुछ नहीं हुआ तो हम कभी भी पहले वाला श्रीलंका नहीं हो सकेंगे."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
What are the protesters who took to the streets in Sri Lanka saying?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X