रूस के वो तीन साइबर अटैक, जिनसे पश्चिमी देश रहते हैं खौफ़ज़दा
रूस साइबर सुपरपावर है और उसके पास घातक साइबर टूल हैं. उसके पास ऐसे हैकर भी हैं जो साइबर दुनिया में उथल-पुथल मचा सकते हैं .
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश की निजी कंपनियों और संगठनों को अपने 'डिजिटल दरवाजे बंद रखने' को कहा है. उन्होंने खुफिया एजेंसियों की सूचनाओं को हवाला देते हुए दावा किया है कि रूस अमेरिका पर साइबर हमले की योजना बना रहा है.
ब्रिटेन के साइबर अधिकारी भी व्हाइट हाउस की ओर साइबर सिक्योरिटी के प्रति सवधानी बरतने की इस अपील का समर्थन कर रहे हैं. हालांकि किसी ने भी ऐसा कोई सुबूत नहीं दिया है, जिससे लगे कि रूस साइबर हमले की तैयारी कर कर रहा है.
इससे पहले रूस ने इस तरह के आरोपों को 'रूसोफोबिक' करार दिया था. हालांकि ये भी सच है कि रूस साइबर सुपरपावर है और उसके पास घातक साइबर टूल हैं.
उसके पास ऐसे हैकर भी हैं जो साइबर दुनिया में उथल-पुथल मचा सकते हैं और बेहद खतरनाक साइबर हमले कर सकते हैं.
यूक्रेन तुलनात्मक तौर पर फिलहाल रूस के साइबर हमलों से हाल तक बचा रहा है लेकिन विशेषज्ञों को अब इस बात का डर है कि वो यूक्रेन के सहयोगियों के खिलाफ़ साइबर हमले कर सकता है.
साइबर सिक्योरिटी कंपनी रैपिड7 की जेन इलिस का कहना है, "बाइडन की चेतावनी सच भी हो सकती है, खास कर ऐसे समय में जब पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ़ प्रतिबंध लगाए हैं और हैक्टिविस्ट भी इस लड़ाई में शामिल हो गए हैं. इसके साथ यह भी सच है कि रूस का हमला उसकी योजना के मुताबिक आगे नहीं बढ़ पा रहा है. ''
आखिर ऐसे कौन से साइबर हमले हैं, जिनका डर विशेषज्ञों का सबसे ज्यादा सता रहा है. उन्हें लगता है कि ऐसे खतरनाक हमले फिर हो सकते हैं.
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ब्लैक एनर्जी - अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाने वाला हमला
यूक्रेन को अक्सर रूस का हैकिंग प्लेग्राउंड कहा जाता है. रूस ने हमले की अपनी तकनीक और टूल्स की जांच के लिए वहां कई हमले किए हैं.
2015 में ब्लैक एनर्जी कहे जाने वाले साइबर अटैक में यूक्रेन की इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड खराब हो गई थी. इस वजह से पश्चिमी यूक्रेन में यूटिलिटी कंपनी के 80 हजार ग्राहकों को सीधे ब्लैकआउट का सामना करना पड़ा था.
इसके ठीक एक साल बाद इंडस्ट्रोयर नाम का एक और साइबर हमला हुआ, जिससे यूक्रेन की राजधानी कीएव के पांचवें हिस्से में एक घंटे के लिए पूरी तरह अंधेरा छा गया.
उस वक्त अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने इस हमले के लिए रूसी मिलिट्री हैकर को दोषी ठहराया था.
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बिजली कटने की जांच में मदद करने वाली साइबर सिक्योरिटी रेस्पॉन्डर मरीना कोरोतोफिल कहती हैं, '' रूस पश्चिमी देशों को खिलाफ़ इस तरह के हमले की कोशिश कर सकता है. वह अपनी हमले की क्षमता को दिखाने के लिए ऐसा कर सकता है और बाद में इसका जिम्मा लेते हुए बयान भी जारी कर सकता है.''
हालांकि उनका यह भी मानना है कि ऐसा करना रूस के लिए भी खतरा बन सकता है क्योंकि अब पश्चिमी देशों की भी रूसी नेटवर्कों में खासी पहुंच हो गई है.
नॉटपेट्या-बेकाबू विध्वंस
नॉटपेट्या दुनिया के इतिहास में अब तक का सबसे ज्यादा नुकसान करने वाला साइबर अटैक समझा जाता है. अमेरिकी, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के अधिकारियों ने इस हमले का आरोप रूसी मिलिट्री हैकरों पर लगाया है.
इस हमले में जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया गया था वह यूक्रेन में काफी इस्तेमाल किए जाने वाले अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर के अपडेट में डाला गया था. लेकिन यह पूरी दुनिया में फैल गया और इसने हजारों कंपनियों के कंप्यूटर सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. इससे 10 अरब डॉलर ( 7.5 अरब पाउंड) का नुकसान हुआ था.
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इससे एक महीने पहले उत्तरी कोरिया के हैकरों पर इसी तरह के हमले करके उथल-पुथल मचाने का आरोप लगा था.
उस वक्त वानाक्राई 'वॉर्म' नाम के एक वायरस ने 150 देशों के तीन लाख कंप्यूटरों का डेटा बरबाद कर दिया था. उस दौरान ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस को बड़ी तादाद में मरीजों को अपॉइंटमेंट रद्द करने पड़े थे.
इलिस कहती हैं, '' इस तरह के हमले बड़े पैमाने पर अफरातफरी का माहौल बना सकते हैं. ये आर्थिक अस्थरिता पैदा कर सकते हैं और इससे लोगों की जान भी जा सकती है''.
वह कहती हैं, '' इस तरह के हमलों की आशंका निकट भविष्य में भले न दिख रही हो लेकिन तमाम देशों के इन्फ्रास्ट्रक्चर अक्सर एक दूसरे से जुड़ी टेक्नोलॉजी पर निर्भर होते हैं. ये वैसा ही है जैसा हमारी आज की जिंदगी के कई पहलू एक दूसरे से जुड़े हैं. हम ब्रिटेन के अस्पतालों पर वानाक्राई हमले का असर देख चुके हैं. ''
हालांकि सरे यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर वैज्ञानिक प्रोफेसर एलन वुडवर्ड कहते हैं कि इस तरह के हमलों का खतरा रूस को भी है.
वह कहते हैं, ''इस तरह के अनियंत्रित हैक्स एक जैविक युद्ध की तरह ज्यादा होते हैं. इसमें सिर्फ कुछ खास जगहों के ही अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर को ही निशाना नहीं बनाया जा सकता. ऐसे हमले कई जगहों पर फैल जाते हैं. वानाक्राई और नॉटपेट्या के शिकार रूस में भी हुए थे ''
अमेरिकी कोलोनियल पाइपलाइन को ठप करने वाला हमला
मई 2021 में हैकरों के हमले की वजह से तेल की एक अहम पाइपलाइन को बंद करना पड़ा. इससे अमेरिका के कई राज्यों में इमरजेंसी घोषित करनी पड़ी.
अमेरिका के लिए अहम कोलिनियल पाइपलाइन से पूर्वी तट की ओर डीजल, पेट्रोल और विमान ईंधन की 45 फीसदी सप्लाई जाती है. लिहाजा साइबर हमले से पेट्रोल पंपों पर अफरातफरी में मच गई.
हालांकि यह हमला रूसी हैकरों ने किया था. ये हमला डार्क इंटरनेट पर मौजूद फिरौती (रैनसमवेयर) मांगने वाले एक ग्रुप ने किया था. समझा जाता है कि यह ग्रुप रूस में मौजूद है.
इस पाइपलाइन कंपनी ने माना कि उसने 44 लाख डॉलर की फिरौती बिटक्वाइन के तौर पर दी थी ताकि बैकअप कंप्यूटर सिस्टम काम करना शुरू कर सके.
इसके कुछ सप्ताह बाद आरइविल कहे जाने जाने वाले एक दूसरे रैनसमवेयर गिरोह ने दुनिया के सबसे बड़े बीफ प्रोसेसर जेबीएस के सिस्टम पर हमला कर दिया. इससे मीट की सप्लाई पर असर पड़ा.
विशेषज्ञों का एक बड़ा डर रूसी साइबर क्षमताओं को लेकर है. ऐसी आशंका है कि पुतिन सरकार साइबर क्राइम गिरोहों को अमेरिकी टारगेट पर सुनियोजित हमले करने को कह सकते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो.
प्रोफेसर वुडवार्ड कहते हैं, '' साइबर अपराधियों को रैनसमवेयर हमले करने को कहने का फायदा यह होगा कि वे इससे काफी ज्यादा अफरातफरी फैला सकते हैं. इससे बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान कराया जा सकता है. ''
अमेरिका ऐसे हमलों का जवाब कैसे दे सकता है?
ऐसा लगता नहीं है लेकिन अगर नेटो के किसी सदस्य पर साइबर अटैक होता है और इससे जान-माल को काफी नुकसान होता है तो इस सैन्य गठबंधन का अनुच्छेद 5 लागू हो सकता है. इसके मुताबिक नेटो के किसी एक सदस्य पर हमला सभी देशों पर हमला माना जाएगा और वे मिलकर इसका सामना करेंगे.
लेकिन अगर ऐसा हुआ तो ये नेटो एक अनचाहे युद्ध में घसीट लेगा. इस तरह का कोई हमला हुआ तो इसका जवाब अमेरिका और उसके करीबी देश की ओर से मिलने की संभावना है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पहले ही कह चुके हैं है कि अगर रूस अमेरिका पर कोई बड़ा हमला करता है तो इसके लिए उनका देश जवाब देने की पूरी तैयारी किए बैठा है.
लेकिन हाल के कुछ हफ्तों में यूक्रेन युद्ध के दौरान दोनों ओर मुस्तैद हैकरों ने जिस तरह की साइबर अराजकता देखी है, उससे लगता है कि बात कितनी जल्दी बढ़ सकती है. इस तरह साइबर हमले की कोई भी बड़ी कार्रवाई काफी सावधानी से सोच-समझ कर की जाएगी.
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