कोरोना वैक्सीन टेस्ट के लिए वॉलिंटियर्स चाहिए ! मिलेंगे 60 हजार रुपए
कोरोना ने अभी तक केवल दुख ही दुख दिये हैं। अब खुशखबरी ये है कि कोरोना की रोकथाम के लिए वैक्सीन का परीक्षण गुरुवार से ही शुरू होने वाला है। इस वैक्सीन का 23 अप्रैल यानी गुरुवार से परीक्षण किया जाना है। मनुष्यों पर परीक्षण के बाद ही इसके नतीजों के बारे में कोई राय कायम की जा सकती है। इसके लिए वैसे वॉलिंटियर्स की खोज की जा रही है जो परीक्षण के लिए राजी हों। जिन व्यक्तियों पर इस टीका का परीक्षण किया जा जाएगा उन्हें 625 पाउंड यानी करीब 60 हजार रुपये दिये जाएंगे। इच्छुक उम्मीदवारों की उम्र 18 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इस नये वैक्सिन को ChAdOx1 nCoV-19 का नाम दिया गया है।
परीक्षण के लिए कहां उपस्थित हों?
इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन विकसित करने की राह पर हैं। 23 अप्रैल से लंदन के इम्पीरियल कॉलेज और यूनिवर्सिटी हस्पिटल, साउथेम्पटन में इसका परीक्षण शुरू हो रहा है। वैसे व्यक्ति जो स्वस्थ हों और उनकी उम्र 18 से 55 साल के बीच हो, वे इस ट्रायल में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा ब्रिस्टल चिल्ड्रेन वैक्सीन सेंटर में इसका परीक्षण होगा। इन तीन केन्द्रों पर अलग-अलग वोलिंटियर्स का चयन होगा। जो इस परीक्षण में शामिल होंगे उन्हें 190 से 625 पाउंड के बीच भुगतान किया जाएगा। यानी ऐसे वॉलेंटियर्स को 18 हजार से 60 हजार रुपये के बीच पैसा मिलेगा। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री बेन हैंकॉक ने लोगों से अपील की है वे इसमें शामिल हो कर अपने देश को कोरोना का पहला टीका खोजने का श्रेय दिलाएं। अगर इस वैक्सीन का परीक्षण सफल होता है तो यह मानवता की बहुत बड़ी सेवा होगी और इससे ब्रिटेन की दुनियाभर में इज्जत बढ़ जाएगी। हालांकि वैक्सीन प्रोजेक्ट के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वैलेंस ने कहा है कि इस नए वैक्सीन को पाने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। ब्रिटेन के अलावा दुनिया भर में करीब सौ ऐसे प्रोजेक्ट प्रक्रियाधीन हैं जो कोरोना वैक्सीन की खोज में लगे हैं।
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2 अरब से अधिक का फंड
बोरिस जॉनसन सरकार ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को इस वैक्सिन की खोज और परीक्षण के लिए 22.5 मिलियन पाउंड यानी 2 अरब 12 करोड़ रुपये का फंड दिया है। आमतौर पर किसी नये वैक्सिन को विकसित करने में 18 महीने का वक्त लगता है लेकिन ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों का मानना है कि बुहान में कोरोना के संक्रमण के 9 महीने बाद ही से इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। कोरोना वैक्सिन के विकास की प्रक्रिया अभी चल रही है। उम्मीद है कि सितम्बर 2020 से इसका निर्माण शुरू हो जाएगा। पहले 1112 लोगों का एक ग्रुप तैयार होगा और उनमें 510 लोगों पर इस टीका का परीक्षण किया जाएगा। दुनिया में पहली बार एक बड़ी उम्मीद के साथ कोरोना वैक्सिन का खुले रूप से परीक्षण होने वाला है। यह परीक्षण छह महीने तक चलेगा। इसके बाद वैज्ञानिक इसके प्रभावों का अध्यनन कर इसको सुरक्षित और कारगार बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। सटीक और सुरक्षित बनाने के बाद ही इसका उत्पादन शुरू होगा। इस वैक्सिन प्रोजोक्ट को सफल बनाने के लिए ब्रिटेन बड़ी धनराशि खर्च करने के लिए तैयार है। जरूरत पड़ी तो सरकार इसके लिए चार अरब रुपये से भी अधिक खर्च कर सकती है। ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सिन की सफलता इन परीक्षणों पर ही निर्भर है।
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ब्रिटेन दुनिया पांचवां सबसे पीड़ित देश
ब्रिटेन दुनिया का पांचवा ऐसा देश जहां कोरोना से सर्वाधिक मौत हुई है। इस देश में मृतकों की संख्या 17 हजार के पार पहुंच गयी है। इस देश में कोरोना के कहर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और स्वास्थ्यमंत्री बेन हैंकॉक मरते-मरते बचे हैं। ब्रिटेन के वैज्ञानिक अपने देश और दुनिया भर के पीड़ितों को बचाने के लिए टीका खोजने में दिनरात लगे किये हुए हैं। ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सिन टीम के वैज्ञानिक प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड, सराह गिलबर्ट और एड्रियन हिल ने कहा है कि हम अपने अनवरत शोध के बाद उस मुकाम पर पहुंच गये हैं जहां से इसका मानव परीक्षण शुरू हो रहा है। उम्मीद है जरूर कामयाबी मिलेगी।