नज़रिया: चीन के मुक़ाबले कमाल करेगी भारतीय अर्थव्यवस्था?
भारतीय बाज़ार में क्या ये निवेश करने का सही वक्त है. पढ़िए अर्थशास्त्री आकाश जिंदल की राय
दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में गिरावट का दौर जारी है. मंगलवार को अमरीकी और एशियाई स्टॉक मार्केट में गिरावट का असर यूरोप में भी दिखा.
लंदन, फ्रैंकफर्ट और पेरिस में बाज़ार की शुरुआत करीब तीन फीसदी की गिरावट के साथ हुई. बाद में बाज़ार कुछ संभला.
टोक्यो और हांगकांग में पांच फीसदी की गिरावट दर्ज हुई.
भारत में बीएसई सेंसेक्स 1275 प्वाइंट यानी 3.6 फीसदी गिरावट के साथ खुला लेकिन बाद में बाज़ार संभला. फिर भी 1.06 फीसदी की गिरावट दर्ज़ की गई.
इसे लेकर बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय ने अर्थशास्त्री आकाश जिंदल से पूछा कि भारतीय बाज़ार में गिरावट की क्या वजह है? ये वैश्विक असर है या फिर स्थानीय कारण हैं?
पढ़िए आकाश जिंदल का नज़रिया
अर्थशास्त्री के तौर पर मेरा विचार है कि पहले दिन जब सेंसेक्स नीचे गया था, उस दिन वैश्विक कारण भी थे और भारतीय बजट का असर भी था.
गिरावट के लिए ये दोनों वजह थीं. हम सब जानते हैं कि बजट में कुछ शर्तों के साथ दीर्घकालिक कैपिटल गेन और ऊंची फंड के डिविडेंट पर एक श्रेणी में टैक्स ने संवेदनाओं पर एक नकारात्मक असर डाला.
उसके बाद सोमवार और मंगलवार को अमरीका और दूसरे देशों के बाज़ार में जो कुछ हुआ उसने भारतीय बाज़ार को प्रभावित किया.
जुड़े हुए हैं दुनिया के बाज़ार
अमरीका में ये आशंका है कि महंगाई बढ़ सकती है. ब्याज़ दरें बढ़ने की भी संभावना है. उसकी वजह से बॉन्ड मार्केट गतिशील हो गया है और अमरीका का स्टॉक मार्केट नीचे चला गया है. डाऊ जोंस सोमवार को बुरी तरह से धाराशाई हुआ है.
इस वजह से ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के बाज़ार पर असर दिखाई दे रहा है.
मौजूदा वक्त में दुनिया के सारे बाज़ार आपस में कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं. अमरीका में जब इस कदर गिरावट होती है तो भारत पर असर होगा ही.
बड़े संस्थागत निवेशक वही हैं, जो अमरीका में भी निवेश करते हैं और भारत में भी पूंजी लगाते हैं.
कब बदलेगी स्थिति?
अगर भारतीय बाज़ार की बात करें तो लंबे वक्त में भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. इसका कारण ये है कि चाहे अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां हों या फिर भारत सरकार की एजेंसी, सभी ने भारत में सात से साढ़े सात फ़ीसदी की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया है.
यानी अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है और ऐसा हुआ तो मार्केट पर भी इसका असर रहेगा. लंबे वक्त में भारत में अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नज़र आती है. दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले हमारी जीडीपी ग्रोथ अच्छी है. अब चीन के मुक़ाबले भी अच्छी वृद्धि की संभावना है
स्टॉक मार्केट का स्वभाव ही अस्थिर होता है. ये काफी ऊपर नीचे भी होता है. हम अभी यही देख रहे हैं.
निवेशकों को सलाह
एक अर्थशास्त्री के तौर पर मेरा मत है कि निवेशकों को लंबे वक्त के बारे में सोचना चाहिए.
एक दिन या दो दिन के निवेश को नहीं देखना चाहिए.
जब बाज़ार गिरता है तो इसमें दाखिल होने का मौका तो होता है. कई निवेशक लंबे वक्त के लिए दाखिल होते हैं तो वो इस उम्मीद में होते हैं कि बाज़ार गिरा है तो उसमें एंट्री कर लें.
ज़ाहिर है जितना नीचे एंट्री करेंगे उतनी अच्छी बात है.
एक बात मैं कहूंगा कि छोटे वक्त के लिए या अटकलों के आधार पर जुए-सट्टे वाली सोच के साथ बाज़ार में निवेश से बचना चाहिए.