वेनेज़ुएला संकटः अमरीका ने तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए
वेनेज़ुएला की सरकार ने देश की राष्ट्रीय मुद्रा बोलीवार के मूल्य में पैंतीस फ़ीसदी की कटौती भी कर दी है ताकि उसे काले बाज़ार की विनिमय दर के बराबर लाया जा सके.
दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल वेनेज़ुएला इस समय गंभीर आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुज़र रहा है.
अमरीका ने वेनेज़ुएला की सरकारी तेल कंपनी पीडीवीएसए पर प्रतिबंध लगाते हुए देश की सेना से सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण को स्वीकार करने के लिए कहा है.
अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा है कि 'राष्ट्रपति निकोलस मादुरो और उनके सहयोगी अब वेनेज़ुएला के लोगों की संपत्ति को नहीं लूट पाएंगे.'
तेल स्मृद्ध वेनेज़ुएला इन दिनों गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुज़र रहा है.
विपक्षी राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति मादुरो को पद से हटाने के प्रयास तेज़ कर दिए हैं.
अमरीका समेत दुनिया के बीस से अधिक देशों ने विपक्षी नेता ख़ुआन गोइदो को वेनेज़ुएला के अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर मान्यता दे दी है.
अमरीकी वित्त मंत्री स्टीवेन मनूशिन ने कहा है कि अब से वेनेज़ुएला के तेल की बिक्री का पैसा मादुरो की सरकार तक नहीं पहुंचेगा. .
उन्होंने कहा कि तेल कंपनी ख़ुआन गोइदो को देश का नेता मानकर प्रतिबंधों से बच सकती है.
उन्होंने कहा कि अमरीका स्थित सहायक कंपनी सिटगो अपना काम चालू रख सकती है लेकिन इसके लिए उसे अमरीका में सुरक्षित खाते में पैसा जमा कराना होगा.
वेनेज़ुएला अपने तेल की बिक्री के लिए अमरीका पर निर्भर है. वेनेज़ुएला अपने तेल निर्यात का 41 प्रतिशत अमरीका को करता है.
यही नहीं, वो अमरीका को कच्चा तेल देने वाले दुनिया के चार सबसे बड़े उत्पादक देशों में भी शामिल है.
दूसरी ओर विपक्षी नेता ख़ुआन गोइदो ने वेनेज़ुएला की कांग्रेस से कहा है कि वो सरकारी तेल कंपनी पीडीवीएसए और सहायक कंपनी सिटगो के नए प्रमुखों की नियुक्ति करे.
गोइदो देश की तेल संप्पतियों से होने वाली कमाई को अपने हाथों में लेना चाहते हैं.
वेनेज़ुएला की सरकार ने देश की राष्ट्रीय मुद्रा बोलीवार के मूल्य में पैंतीस फ़ीसदी की कटौती भी कर दी है ताकि उसे काले बाज़ार की विनिमय दर के बराबर लाया जा सके.
दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल वेनेज़ुएला इस समय गंभीर आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुज़र रहा है.
इसी वजह से दसियों लाख लोग अब तक देश छोड़कर पड़ोसी देशों में जा चुके हैं. यहां से लोगों के पलायन करने का सिलसिला जारी है.