मीडिया संस्थानों को एडवायजरी जारी, कोरोना वायरस के लिए 'इंडियन वेरिएंट' नाम नहीं हो इस्तेमाल
साउथ एशियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने कहा है कि कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन को इंडिया से जोड़ना पूरी तरह से गलता है और इससे दुनियाभर में रहने वाले भारतीयों के खिलाफ गुस्सा भड़क सकता है।
नई दिल्ली, मई 08: साउथ एशियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन यानि साजा ने मीडिया संस्थानों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि वो कोरोना वायरस के स्ट्रेन का जिक्र करते वक्त 'इंडियन स्ट्रेन' या 'इंडिया स्ट्रेन' ना कहें। जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने बकायदा एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन की रिपोर्टिंग करते वक्त 'इंडियन वेरिएंट' कहना ना सिर्फ अनैतिक है बल्कि ये गलत भी है।
'इंडियन वेरिएंट' कहना गलत
साउथ एशियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने कहा है कि कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन को इंडिया से जोड़ना पूरी तरह से गलता है और इससे दुनियाभर में रहने वाले भारतीयों के खिलाफ गुस्सा भड़क सकता है। जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने कहा है कि 'इंडियन वेरिएंट' कहना नस्लीय टिप्पणी है। साउथ एशियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि 'पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि अगर किसी बीमारी को किसी खास समुदाय या जगह से जोड़ा जाता है तो उस समुदाय या उस जगह के लोगों के खिलाफ नफरत की भावना विकसित होती है और मौखिक या शारीरिक हिंसा की संभावना बढ़ जाती, लिहाजा ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए'।
मीडिया संस्थानों के लिए एडवाइजरी
साउथ एशियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने हर मीडिया संस्थानों के लिए एडवाइजरी जारी किया है और कोराना वायरस के साथ भारत का नाम जोड़ने से मना किया है। जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने ये भी कहा है कि 2015 में डब्ल्यूएचओ ने फैसला किया था कि किसी बीमारी का नाम उस देश या उस शहर के नाम पर नहीं रखा जाएगा। लिहाजा कोरोना वायरस के साथ भारत का नाम जोड़ना डब्ल्यूएचओ के नियमों के भी खिलाफ है। साउथ एशियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने ये भी कहा है कि आगे जाकर भी अगर किसी देश में वायरस का नया वेरिएंट मिलता है तो उस देश का इस्तेमाल ना हो। आपको बता दें कि बी.1.617 वेरिएंट एक डबल म्यूटेंट वायरस है, जो भारत में मिला है और कई मीडिया संस्थान इसे इंडियन वेरिएंट कहकर संबोधित करते हैं। वहीं, कोरोना वायरस, जिसका उत्पति चीन के वुहान में हुई थी, उसे चीनी वायरस या वुहान वायरस नहीं कहा जाता है।