लॉकडाउन के दौरान बदला लेने के लिए पॉर्न का इस्तेमाल बढ़ा
निजी यौन तस्वीरों को दिखाना और ऐसा करने की धमकी देना उत्पीड़न का एक आम तरीक़ा है.
इस साल कथित रिवेंज पॉर्न (बदले के तौर पर पॉर्न का इस्तेमाल) के मामलों में इज़ाफ़ा देखा गया है. जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान यह समस्या काफ़ी बढ़ गई है.
ब्रिटेन में सरकार की ओर से चलाए जा रहे हेल्पलाइन पर क़रीब 2,050 रिपोर्ट्स आए थे. पिछले साल की तुलना में इसकी संख्या में 22 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है.
लॉकडाउन की पाबंदियों में छूट के बावजूद इन मामलों में वृद्धि बनी हुई है. हेल्पलाइन चलाने वाले लोगों को इस बात का डर है कि यह 'न्यू नॉर्मल' बन रहा है. यानी लोग इसे अब बहुत आसानी से स्वीकार करने लगे हैं.
इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में बिना सहमति के किसी के साथ पॉर्न शेयर करना ग़ैर-क़ानूनी है.
घरेलू हिंसा की चैरिटी 'रिफ्यूज' के हालिया शोध में पाया गया है कि हर सात में से एक नौजवान महिला को इस बात की धमकी मिली है कि उसकी अंतरंग तस्वीर बिना उनकी सहमति के शेयर कर दी जाएगी.
2019 की तुलना में इस साल ब्रिटेन की हेल्पलाइन पर रिवेंज पॉर्न के ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. जिन मामलों की रिपोर्ट हुई हैं उनमें से दो-तिहाई मामलों में महिलाएँ शामिल रही हैं.
हेल्पलाइन मैनेजर सोफ़ी मॉर्टिमर ने कहा है कि लॉकडाउन की वजह से लोगों के इस व्यवहार में इज़ाफ़ा हुआ है. यह हेल्पलाइन चैरिटी साउथ वेस्ट ग्रिड फ़ॉर लर्निंग की ओर से चलाया जाता है. यह यूके सेफ़र इंटरनेट सेंटर का हिस्सा है.
चैरिटी ने इस साल 22,515 तस्वीरों को पीड़ितों की शिकायत के बाद हटाया गया है. यह जितने मामलों की रिपोर्टिंग हुई है, उसका 94 फ़ीसद है.
'द न्यू नॉर्मल'
यूके सेफ़र इंटरनेट सेंटर के डायरेक्टर डेविड राइट का कहना है कि लॉकडाउन ने कई अतिवादी परिस्थितियाँ पैदा की हैं जिससे कई समस्याएँ पैदा हो रही हैं.
"यहाँ हम जो देख रहे हैं उसका लंबे वक़्त तक असर पड़ सकता है. हम पहले से कहीं ज़्यादा व्यस्त होंगे और यह चिंता का विषय है कि यह आने वाले वक़्त में न्यू नॉर्मल हो सकता है."
घरेलू हिंसा की चैरिटी विमन्स एड ने अपने शोध में पाया है कि अपने उत्पीड़क के साथ रहने वाले 60 फ़ीसद से ज़्यादा पीड़ितों का कहना है कि महामारी के दौरान उनका अनुभव बहुत बुरा रहा है.
विमन्स एड के कैम्पेन एंड पॉलिसी मैनेजर लुसी हैडली के मुताबिक़ रिवेंज पॉर्न उत्पीड़न का एक आम तरीक़ा है.
"निजी यौन तस्वीरों को दिखाना और ऐसा करने की धमकी देना उत्पीड़न का एक आम तरीक़ा है. खास तौर पर युवा महिलाओं को इसका निशाना बनाया जाता है."
वो आगे कहती हैं, "तस्वीरों के आधार पर होने वाला उत्पीड़न जिसे कथित पर रिवेंज पॉर्न कहा जाता है, उसे वास्तविक ज़िंदगी में होने वाले उत्पीड़न की तरह गंभीरता से लेना चाहिए."
पीड़ित का नज़रिया
फोलामी प्रेहाये 2014 में रिवेंज पॉर्न की शिकार हुई थीं जब उनके पूर्व पार्टनर ने उनकी तस्वीर ऑनलाइन डाल दी थी.
उनके पूर्व पार्टनर को आपत्तिजनक तस्वीर प्रसारित करने और उत्पीड़न के मामले में छह महीने की जेल हुई थी.
प्रेहाये ने इंटरनेट क्राइम की शिकार पीड़ितों के लिए एक वेबसाइट की स्थापना की है जो इस तरह के इंटरनेट अपराध के पीड़ितों को भावनात्मक समर्थन देती है.
वो कहती हैं, "इसमें कोई अचरज की बात नहीं है कि लॉकडाउन के दौरान इस तरह के मामले में इज़ाफ़ा हुआ है. इस दौरान ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को ऑनलाइन रिश्ते बनाने के लिए मजबूर किया गया है.
"समस्या हमेशा से रही है बस लॉकडाउन ने इसे और वास्तविक कर दिया है और यौन शोषण के शिकार को आसान बना दिया है."