अमरीका: प्रवासी बच्चों की तस्वीरों से बढ़ा विवाद, नियम बदलेंगे डोनल्ड ट्रंप?
अमरीका में प्रवासियों को घुसने से रोके जाने का मुद्दा और इससे जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने प्रवासियों के बच्चों को उनके माता-पिता से दूर करने के अपने फ़ैसले का बचाव करते हुआ कहा है कि अगर देश में अवैध रूप से घुसने पर माता-पिता को जेल होती है तो बच्चों को उनसे दूर करना होगा.
इससे पहले उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था कि "समस्या की जड़ डेमोक्रेट्स हैं जो देश में कानून व्यवस्था के बारे में कुछ नहीं सोचते और चाहते हैं कि प्रवासी संक्रमण की तरह अमरीका में फैंलें.
अमरीका में प्रवासियों को घुसने से रोके जाने का मुद्दा और इससे जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने प्रवासियों के बच्चों को उनके माता-पिता से दूर करने के अपने फ़ैसले का बचाव करते हुआ कहा है कि अगर देश में अवैध रूप से घुसने पर माता-पिता को जेल होती है तो बच्चों को उनसे दूर करना होगा.
इससे पहले उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था कि "समस्या की जड़ डेमोक्रेट्स हैं जो देश में कानून व्यवस्था के बारे में कुछ नहीं सोचते और चाहते हैं कि प्रवासी संक्रमण की तरह अमरीका में फैंलें. वो अपनी बुरी नीतियों के कारण नहीं जीत सकते और प्रवासियों को संभावित वोटबैंक की तरह देखते हैं."
इसके बाद एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, "देश के भीतर अवैध तरीके से आने वालों को हमे रोकना होगा. देश के भीतर आने वाले बाह हज़ार प्रवासी बच्चों में से करीब दो हज़ार ही अपने अभिभावकों के साथ होते हैं."
https://twitter.com/realDonaldTrump/status/1009071403918864385
https://twitter.com/realDonaldTrump/status/1009075083112050690
अवैध प्रवासियों के बच्चों को उनके माता-पिता से अलग किए जाने की घटनाओं के बाद देश में ट्रंप प्रशासन की कड़ी आलोचना हो रही थी. जिसके बाद अब राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि वो इस नियम में बड़े बदलाव करने के लिए तैयार हैं.
इस सिलसिले में वो जल्दी ही अपनी रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों के साथ बैठक भी करेंगे.
हाल में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अमरीका की सीमा में अवैध प्रवासियों को घुसने से रोकने के लिए कड़े नियम लागू किए थे.
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क्या है विवादित क़ानून?
इस नियम के मुताबिक़ अवैध तरीके से घुसपैठ करने वालों पर आपराधिक मामला दर्ज कर उन्हें जेल में डाल दिया जाता है. ऐसे प्रवासियों को उनके बच्चों से भी मिलने नहीं दिया जाता और उन्हें अलग रखा जाता है.
इन बच्चों की देखभाल अमरीका का 'डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ ऐंड ह्यूमन सर्विसेज' करता है. इससे पहले बिना ज़रूरी कागज़ात के पहली बार सीमा पार आने वाले प्रवासियों को अदालत में बुलाया जाता था.
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि समन भेजे जाने के बावजूद ये प्रवासी कभी अदालत में पेश नहीं होते थे इसलिए इन पर सीधे आपराधिक मामला दर्ज किए जाने का नियम लागू किया गया है.
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नाज़ी यातना शिविर से तुलना
ट्रंप प्रशासन के इस नियम पर विवाद उस वक़्त और बढ़ गया जब जंजीरों लगे दरवाजों के पीछे प्रवासियों के बच्चों की कुछ तस्वीरें मीडिया में आईं.
इन तस्वीरों को देखकर बच्चों के लिए बने इन केंद्रों की तुलना नाज़ी यातना शिविरों से की जाने लगी. अमरीका के अटॉर्नी जनरल जेफ़ सेशंस ने इस तुलना पर कड़ा ऐतराज जताया है.
उन्होंने कहा है कि बातों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है जबकि वो सिर्फ कानून लागू कर रहे हैं. सेशंस ने उम्मीद जताई कि लोग उनका पक्ष भी समझेंगे.
अमरीका के एक बड़े क़ानून अधिकारी ने टेलीविज़न चैनल फ़ॉक्स न्यूज़ से कहा कि सरकार की 'ज़ीरो टॉलरेन्स पॉलिसी' देश की सीमाओं पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है.
2,342 बच्चे माता-पिता से अलग हुए
अमरीकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ 5 मई से 9 जून के बीच 2,342 प्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग हो चुके हैं.
मेक्सिको के विदेश मंत्री लुइस विदेगारा कासो ने कहा कि बच्चों को उनके परिवार से अलग किया जाना 'क्रूर और अमानवीय' है. उन्होंने कहा कि अमरीका का यह कदम निश्चित तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
ट्रंप की दलीलें
इससे पहले डोनल्ड ट्रंप ने विपक्षी डेमोक्रैटिक पार्टी के सदस्यों पर उनके काम में बाधा डालने का आरोप लगाया था.
उन्होंने प्रवासियों के लिए बनाई गई अपनी 'ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी' का बचाव भी किया था. ट्रंप ने ये भी कहा था कि यूरोपीय देशों ने लाखों प्रवासियों को अपने यहां जगह देकर बड़ी ग़लती की है.
ट्रंप ने कहा था, "मैं नहीं चाहता कि बाकी जगहों पर जो हो रहा है वो अमरीका में भी हो. आप सुबह का अख़बार उठाइए और देखिए कि दूसरी जगहों पर क्या हो रहा है."