आज दोहा में अमेरिका-तालिबान के बीच होगा समझौता, भारत भी करेगा डील पर साइन
काबुल। आज अमेरिका और तालिबान के बीच एक शांति समझौता होने की संभावना है। कतर की राजधानी दोहा में जारी वार्ता में माना जा रहा है कि बड़े परिणाम निकल सकते हैं। इस वार्ता के बीच ही भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंच गए हैं। कतर में 30 देशों के प्रतिनिधियों को वार्ता में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है और भारत के राजदूत पी कुमारन डील साइन होने के समय मौजूद रहेंगे। श्रृंगला ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी से मुलाकात की है और देश के दूसरे टॉप लीडर्स के साथ भी उनकी मीटिंग हुई है।
भारत ने दोस्त अफगानिस्तान को दिया भरोसा
विदेश सचिव की तरफ से घनी को भरोसा दिलाया गया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत हमेशा अफगानिस्तान के साथ खड़ा है। पी कुमारन भी यूएसए-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। यह पहला मौका होगा जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल होगा। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो समझौते पर हस्ताक्षर करने के गवाह होंगे। श्रृंगला ने स्थायी शांति, सुरक्षा और विकास के लिए अफगानिस्तान के प्रति भारत का समर्थन जताया। विदेश सचिव ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री हारून चाखनसुरी से मुलाकात की और उन्हें शांति समझौते को लेकर भारत के रुख के साथ ही उसके चहुंमुखी विकास को लेकर प्रतिबद्धता जताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार की तरफ से ट्टीट कर बताया कि श्रृंगला और हारून ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की।
Foreign Secretary @HarshShringla called on President @AshrafGhani and handed over congratulatory letter from PM @narendramodi. President appreciated India’s consistent support for democracy and constitutional order in Afghanistan. @IndianEmbKabul pic.twitter.com/uAYQHQelBn
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) February 28, 2020
खुलेगा अमेरिकी सैनिकों की वतन वापसी का रास्ता
विदेश सचिव ने स्थायी शांति, सुरक्षा और विकास की अफगानिस्तान के लोगों की कोशिशों में भारत का पूर्ण समर्थन जताया। उन्होंने लिखा कि भारत अफगानिस्तान की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता, लोकतंत्र और समृद्धि में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। दोहा में शनिवार को जो समझौता साइन हो रहा है उसमें अफगानिस्तान में पिछले करीब 20 साल से तैनात अमेरिकी सैनिकों की देश वापसी का रास्ता साफ हो सकेगा। इस बड़क कदम के तहत भारत ने मास्को में नवंबर 2018 में हुई अफगान शांति प्रक्रिया में गैर आधिकारिक क्षमता में दो पूर्व राजनयिकों को भेजा था। इस सम्मेलन का आयोजन रूस ने किया था जिसमें तालिबान का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल, अफगानिस्तान, अमेरिका, पाकिस्तान और चीन समेत कई अन्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे।