केवल अमेरिकी एजेंसियां हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के लाभ को कोरोना के इलाज में समझने में विफल रही -ट्रंप
केवल अमेरिकी एजेंसियां हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के लाभ को कोरोना के इलाज में समझने में विफल रही -ट्रंप
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ समय पहले जिस दवा के निर्यात बंद करने पर भारत को धमकी दे डाली थी उसी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के प्रयोग पर अब अमेरिका में प्रतिबंध लगा दिया हैं। वहीं दूसरी ओर अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने केवल अमेरिकी एजेंसियां कोरोनावायरस में इस दवा के लाभ को समझने में विफल रही हैं।
बता दें ट्रंप की ये टिप्पणी अमेरिका में खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कोरोना वायरस के उपचार के लिए आपात स्थिति में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के चंद घंटे बाद आई। मालूम हो कि अमेरिकी एफडी ने इसके पीछे अब कारण बताया जा रहा है कि ये दवाएं वायरस संक्रमण रोकने में संभवत: प्रभावी नहीं हैं। जबकि ट्रंप ने कहा कि मुझे लगता है कि यह बहुत कारगर दवा है और यह आपको नुकसान नहीं पहुंचाती और संभवत: यह अच्छी होगी और मुझ पर इसका कोई खराब असर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि मलेरिया के इलाज में काम आने वाली इस दवा पर दुनियाभर के चिकित्सकों ने अच्छी प्रतिक्रिया दी है।
मालूम हो कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस से बचाने के लिए इस दवा को इतना गुणकारी और असरदार माना गया कि सप्लाई के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दबाव तक बनाया था। लेकिन अब अमेरिकी ने उसी दवा से कोरोना वायरस के इलाज पर रोक लगा दी है। दवाओं पर उपलब्ध वर्तमान शोध की समीक्षा करने के बाद, एफडीए ने ये निर्णय लिया कि दवाएं आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए वैधानिक मानदंडों को पूरा नहीं करती हैं क्योंकि नवीनतम वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर कोविड-19 के इलाज में उनके प्रभावी होने की संभावना नहीं हैं। एफडीए ने कहा कि यह मानना अब उचित नहीं था कि कोरोनावायरस के कारण होने वाली बीमारी के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और संबंधित दवा क्लोरोक्वीन प्रभावी है।बता दें फ्रांस, इटली और बेल्जियम ने पिछले महीने COVID-19 रोगियों के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग रोक दिया था। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले महीने ब्राजील में 2 मिलियन खुराक भेजी, जो महामारी ने वर्तमान समय में हाहाकार मचा रखा हैं।
एफडीए
के
मुख्य
वैज्ञानिक
डेनिस
हिंटन
ने
बायोमेडिकल
रिसर्च
एंड
डेवलपमेंट
अथॉरिटी
(बारडा)
के
गैरी
डिस्ब्रो
को
एक
पत्र
में
लिखा,
'एफडीए
ने
नई
जानकारी
और
अन्य
जानकारियों
के
आधार
पर
निष्कर्ष
निकाला
है
कि
यह
मानना
उचित
नहीं
है
कि
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
(एचसीक्यू)
और
सीक्यू
दवाएं
कोरोना
वायरस
के
इलाज
में
प्रभावी
साबित
हो
सकती
हैं।'
एजेंसी
ने
इसके
बारे
में
सोमवार
को
अपनी
वेबसाइट
पर
उल्लेख
किया
है।
बता
दें
इससे
पहले
कुछ
समय
पहले
ब्रिटेन
की
प्रतिष्ठित
मेडिकल
पत्रिका
लैंसेट
ने
भी
अपने
एक
शोध
में
कहा
था
कि
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
कोरोना
वायरस
से
बचाव
के
लिए
फायदेमंद
नहीं
है।
इसके
बाद
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
(WHO)
ने
सभी
देशों
को
हिदायत
जारी
किया
कि
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
से
कोरोना
वायरस
के
इलाज
के
सभी
शोध
और
ट्रायल
बंद
कर
दें/
हालांकि
भारत
ने
WHO
के
इन
सिफारिशों
को
सिरे
से
खारिज
कर
दिया
था।