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US Election 2020: जानिए कैसे चुना जाता है दुनिया का सबसे ताकतवर शख्‍स

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वॉशिंगटन। तीन नवंबर को दुनिया के सबसे ताकतवर शख्‍स का चुनाव होगा। अमेरिका की जनता कोरोना वायरस महामारी के बीच एक बार फिर अपने राष्‍ट्रपति के लिए वोट डालेगी। इस बार टक्‍कर रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्‍ड ट्रंप और डेमोक्रेट जो बाइडेन के बीच है। अमेरिका में सत्‍ता परिवर्तन का असर भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ता है। किसके साथ किस तरह से बिजनेस होगा, किस देश के साथ रक्षा संबंध कैसे होंगे, किस देश को किस मुद्दे पर समर्थन करना और किसका बहिष्‍कार करना है, पिछली कई सदियों से इस तरह से अमेरिका और यहां का नेतृत्‍व इन मसलों को प्रभावित करता आया है। ऐसे में आपका इन चुनावों के बारे में जानना बहुत जरूरी है। तो चलिए आज आपको 'अंकल सैम' के घर में होने वाले चुनावों के बारे में सब-कुछ बताते हैं।

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US Election 2020: जानिए कैसे चुना जाता है दुनिया का सबसे ताकतवर President | वनइंडिया हिंदी
अमेरिका में दो पार्टियों का सिस्‍टम

अमेरिका में दो पार्टियों का सिस्‍टम

अमेरिकी राष्‍ट्रपति का प्रभाव अमेरिका के बाहर दूसरे देशों में भी होता है। अमेरिकी राजनीतिक व्‍यवस्‍था दो पार्टियों के इर्द-गिर्द ही घूमती है और ऐसे में राष्‍ट्रपति भी इन्‍हीं दो पार्टियों में से एक से चुना जाता है। जिन दो पार्टियों से राष्‍ट्रपति चुना जाता है वो हैं रिपब्लिकन और डेमोक्रेट। इस बार रिपब्लिकन पार्टी के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की नजरें अपने एक और कार्यकाल की तरफ हैं। अमेरिका में किसी भी उम्‍मीदवार के पास दो बार शासन का ही मौका होता है। डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्‍मीदवार हैं जो बाइडेन हैं। जो बाइडेन के पास पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के साथ आठ सालों तक काम करने का अच्‍छा-खासा अनुभव है। दोनों ही उम्‍मीदवार अपनी उम्र के 70वें बसंत में हैं। जहां ट्रंप 74 वर्ष के हैं और दूसरे कार्यकाल की तरफ देख रहे हैं तो बाइडेन की उम्र 78 साल है। अगर बाइडेन चुने जाते हैं तो फिर वह अमेरिका के इतिहास में सबसे वृद्ध राष्‍ट्रपति होंगे।

जीतने के लिए जरूरी कितने वोट

जीतने के लिए जरूरी कितने वोट

दोनों उम्‍मीदवारों के लिए इलेक्‍टोरल कॉलेज वोट्स को जीतना बहुत जरूरी है। हर राज्‍य में कुछ निश्चित इलेक्‍टोरल कॉलेज वोट्स यानी निर्वाचक मंडल होते हैं। ये वोट्स हर राज्‍य की आबादी पर निर्भर करते हैं। कुल 538 इलेक्‍टोरल वोट्स हैं यानी हर उम्‍मीदवार को जीतने के लिए 270 या इससे ज्‍यादा इलेक्‍टोरल वोट्स की जरूरत होती है। इसका मतलब यह हुआ कि राज्‍स स्‍तर के वोटर्स ही कौन जीतेगा इस बात का फैसला कर देते हैं। राष्‍ट्रीय स्तर पर किसने किसको कितने वोट दिए इसका ज्‍यादा असर नहीं पड़ता है। साल 2016 में हिलेरी क्लिंटन को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर काफी वोट्स मिले थे मगर इलेक्‍टोरल कॉलेज के वोट्स की वजह से उन्‍हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था। लेकिन दो राज्यों में एक विजेता-सभी नियम होते हैं, इसलिए यहां जो भी उम्मीदवार जीतता है, वह राज्य के सभी निर्वाचक मंडल वोटों से सबसे ज्‍यादा वोट हासिल करता है। बहुत से राज्‍य ऐसे हैं जहां पर वोटर्स का झुकाव किस पार्टी की तरफ है, कह पाना मुश्किल होता है। ऐसे में सबसे ज्‍यादा ध्‍यान एक दर्जन या इससे ज्‍यादा कुछ राज्‍यों के वोटर्स पर होता है। इन राज्‍यों को बैटलग्राउंड यानी रणभूमि राज्‍य के तौर पर जाना जाता है।

कौन कर सकता है चुनावों में वोटिंग

कौन कर सकता है चुनावों में वोटिंग

कोई भी अमेरिकी नागरिक और जिसकी उम्र 18 साल से ज्‍यादा है, वोटिंग के योग्‍य होता है। लेकिन कुछ राज्‍यों में ऐसे कानून बने हुए हैं जिनके तहत वोटर्स को डॉक्‍यूमेंट्स दिखाकर मताधिकार के लिए अपनी योग्‍यता साबित करनी होती है। इन कानूनों को रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से लाया गया है। रिपब्लिकन्‍स का कहना है कि बहुत से वोटर्स धोखेबाज होते हैं और मताधिकार में फर्जीवाड़ा करते हैं। वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्‍यों का कहना है कि ऐसा करके रिपलिब्‍कंस मतदाताओं के अधिकारों को दबाने की कोशिशें करते हैं। बहुत से गरीब और अल्‍पसंख्‍यक मतदाता ऐसे हैं जिनके पास आईडी जैसे ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है और ऐसे में वो डॉक्‍यूमेंट्स नहीं दिखा सकते हैं। इस बार कोरोना वायरस महामारी की वजह से मतदाता डाक मतपत्र के जरिए वोट डालने वाले हैं। जहां कई राजनेता बड़े पैमाने पर बैलेट पेपर के प्रयोग की सलाह दे रहे हैं तो राष्‍ट्रपति ट्रंप इसके खिलाफ हैं। उनका कहना है कि ये प्रक्रिया धोखाधड़ी को बढ़ावा देने वाली है।

सिर्फ राष्‍ट्रपति का ही चुनाव नहीं

सिर्फ राष्‍ट्रपति का ही चुनाव नहीं

चुनाव भले ही राष्‍ट्रपति के लिए हो और सारा ध्‍यान ट्रंप और बाइडेन पर है लेकिन मतदाता इन चुनावों के दौरान अमेरिकी कांग्रेस के नए सदस्‍यों का भी चुनाव करेंगे। अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेटिक पार्टी का वर्चस्‍व है और सीनेट पर रिपब्लिकन का कब्‍जा है। लेकिन इस बार डेमोक्रेट सीनेट पर भी नियंत्रण हासिल करने की कोशिश करेंगे। अगर दोनों सदनों में डेमोक्रेटिक पार्टी का वर्चस्‍व होता है तो फिर उनके पास यह मौका होगा कि दोबारा राष्‍ट्रपति चुने जाने पर वो ट्रंप के किसी प्रस्‍ताव को ब्‍लॉक कर सकते हैं या फिर उसे अटका सकते हैं। सदन में इस बार सभी 435 सीटों के लिए चुनाव होना है। जबकि 33 सीनेट सीट के लिए भी वोट डाले जाएंग।

कब आएंगे चुनाव के नतीजे

कब आएंगे चुनाव के नतीजे

वोटो की गिनती में काफी समय लग सकता है लेकिन वोटिंग के 24 घंटे के अंदर यानी अगलले ही दिन यह तस्‍वीर साफ हो जाती है कि व्‍हाइट हाउस की रेस कौन जीतेगा। साल 2016 में जब चुनाव हुए तो डोनाल्‍ड ट्रंप न्‍यूयॉर्क में रात तीन बजे ही अपने समर्थकों के बीच आ गए थे। यहां पर उन्‍होंने विक्‍ट्री स्‍पीच तक दे डाली थी। लेकिन अधिकारियों ने इस बार कहा है कि इस बार काउंटिंग में काफी समय लग सकता है, हो सकता है कि कई दिन या हफ्तों बाद ही विजेता का पता लग सके। ऐसा इस वर्ष पोस्‍टल बैलेट की वजह से होगा। इससे पहले साल 2000 में ऐसा हुआ था जब विजेता के नाम का ऐलान नहीं हो सका था। इसके बाद चुनावों के एक माह बाद सुप्रीम कोर्ट की तरफ से विजेता के नाम का ऐलान किया गया था।

कब ऑफिस संभालेंगे नए राष्‍ट्रपति

कब ऑफिस संभालेंगे नए राष्‍ट्रपति

अगर जो बाइडेन चुनाव जीत जाते हैं तो वह तुरंत ही राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की जगह नहीं लेंगे। बल्कि एक तय सत्‍ता निर्धारण प्रक्रिया के तहत नए नेता को कैबिनेट मिनिस्‍टर्स को नियुक्‍त करने और योजनाओं को बनाने का तय समय दिया जाता है। नए राष्‍ट्रपति आमतौर पर 20 जनवरी को सत्‍ता संभालते हैं और इसे इनॉग्रेशन सेरेमनी कहते हैं। यह कार्यक्रम वॉशिंगडन डीसी स्थित कैपिटॉल हिल बिल्डिंग की सीढ़‍ियों पर होता है जिसे अमेरिका की संसद कहते हैं। कार्यक्रम के बाद नए राष्‍ट्रपति व्‍हाइट हाउस की तरफ बढ़ते हैं और अपना चार साल का कार्यकाल आरंभ करते हैं।

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English summary
US Presidential Election 2020: your guide to biggest elections all you should know about.
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