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अमेरिका चुनाव: ट्रंप ने पोस्टल वोट पर किया सवाल, क्या बदल सकती है इनसे तस्वीर?

अमेरिकी चुनाव से जुड़े और भी ज़रूरी सवाल जिनके जवाब आप जानना चाहते हैं.

By BBC News हिन्दी
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जो बाइजन और डोनाल्ड ट्रंप
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जो बाइजन और डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों के बीच ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में चुनाव में धोखेबाज़ी का आरोप लगाया और पोस्टल बैलेट्स (डाक के ज़रिए डाले जाने वाले वोट) पर सवाल उठाए थे.

दोनों पार्टियों का कहना है कि वो किसी भी तरह के क़ानूनी विवाद के लिए पहले से तैयारी कर रहे हैं.

ऐसे में चुनावी नतीजों से संतुष्ट ना होने की स्थिति में दोनों उम्मीदवार के पास चुनावी नतीजों को चुनौती देने के क्या विकल्प हैं?

इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े और भी सवाल हैं जो इस चुनाव को समझने के लिए ज़रूरी हो जाते हैं.

चुनावी नतीजों को चुनौती देने की स्थिति में दोनों पक्षों के पास कई राज्यों में फिर से मतदान की गिनती कराने की मांग करने का अधिकार है. ख़ासकर जिन राज्यों में नतीजों में कांटे की टक्कर रही है.

इस साल पोस्टल बैलेट में बढ़ोतरी हुई है और इस बात की भी संभावना है कि इन मतपत्रों की वैधता को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.

ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी ले जाया जा सकता है, और ट्रंप के चुनाव अभियान की टीम ने इसकी शुरूआत भी कर दी है.

ऐसा साल 2000 के राष्ट्रपति चुनाव में हुआ था जब सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉर्ज डब्ल्यू बुश के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुए फ्लोरिडा में फिर से मतगणता पर रोक लगा दी थी. तब जॉर्ज बुश चुनाव जीत गए थे.

अमेरिका चुनाव
Getty Images
अमेरिका चुनाव

नेशनल वोट का इलेक्टोरल कॉलेज वोट पर क्या प्रभाव पड़ता है?

अमेरिकी राष्ट्रपति का फ़ैसला पूरे देश में पड़े मतों के आधार पर नहीं होता है. उम्मीदवारों को इसके लिए राज्यों में जीतना ज़रूरी होता है.

जो उम्मीदवार राज्यों में इलेक्टोरल कॉलेज मतों का बहुमत हासिल करता है वो अमेरिका का राष्ट्रपति बनता है. इलेक्टोरल वोट मोटे तौर पर वहां की जनसंख्या के आधार पर होते हैं.

ये इलेक्टोरल वोट मतदान के कुछ हफ़्तों बाद मिलते हैं और अगले राष्ट्रपति को आधिकारिक तौर पर नामित करने के लिए एक इलेक्टोरेल कॉलेज बनाते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए 270 इलेक्टोरल वोट मिलना ज़रूरी होता है.

कैलिफॉर्निया में वोट देने का इंतज़ार करते लोग
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कैलिफॉर्निया में वोट देने का इंतज़ार करते लोग

कुछ राज्यों के वोट दूसरों के मुक़ाबले ज़्यादा क्यों गिने जाते हैं?

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार उन राज्यों में चुनाव प्रचार पर ज़्यादा जोर देते हैं जहां नतीजों में अनिश्चितता होती है. इसलिए लोग कहते हैं कि इन राज्यों के वोट ज़्यादा गिने जाते हैं.

इसे इस तरह कहते हैं कि इन राज्यों के वोट ज़्यादा महत्वपूर्ण माने जाते हैं.

इन राज्यों को बैटलग्राउंड्स या स्विंग स्टेट्स कहा जाता है.

जिन राज्यों में मतदाता किसी एक पार्टी को वोट करते आए हैं वहां उम्मीदवार चुनावी कैंपेन में ज़्यादा वक़्त नहीं देते. जैसे कैलिफॉर्निया में डेमोक्रेट और अलबामा में रिपब्लिकन को समर्थन मिलता रहा है.

उम्मीदवार कड़ी टक्कर वाले राज्यों में पूरा ज़ोर लगाते हैं जैसे फ्लोरिडा और पेंसिलवेनिया. यहां पर मतदाता किसी के भी पाले में जा सकते हैं.

अमरीकी चुनाव में वोटिंग
Getty Images
अमरीकी चुनाव में वोटिंग

नेब्रास्का और मेन में इलेक्टोरल कॉलेज अलग तरह से काम क्यों करता है?

अमेरिकी में दो राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों में जीत का अंतर मायने नहीं रखता है क्योंकि जिसे भी ज़्यादा वोट मिलते हैं, वो सभी इलेक्टोरल वोट जीत जाता है.

नेब्रास्का और मेन ही ऐसे दो राज्य हैं जिनके इलेक्टोरल वोट बंटे होते हैं.

दूसरे राज्यों में जीत का अंतर 10 हो या 10 लाख मायने नहीं रखता क्योंकि आमतौर पर राज्य अपने सभी इलेक्टोरल कॉलेज वोटों को उसी को दे देते हैं जिसे राज्य में आम वोटरों ने जिताया हो.

मिसाल के तौर पर, अगर रिपब्लिकन उम्मीदवार को टेक्सस में 50.1 फीसदी वोट के साथ जीत हासिल हुई है तो उन्हें राज्य के सभी 38 इलेक्टोरल कॉलेज वोट दे दिए जाएंगे.

मेन और नेब्रास्का ऐसे राज्य हैं जो कि अपने इलेक्टोरल कॉलेज को अपने वोटरों द्वारा हर उम्मीदवार को दिए गए वोटों के हिसाब से बांटते हैं. मेन में चार और नेब्रास्का में पांच इलेक्टोरल वोट हैं.

ये राज्य दो वोट राज्यभर में जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार को देते हैं और एक वोट हर कांग्रेशनल डिस्ट्रिक्ट को देते हैं (दो मेन में और तीन नेब्रास्का में).

मतदान
Reuters
मतदान

अगर पोस्टल वोट से किसी राज्य के नतीजे बदल जाते हैं यानी किसी उम्मीदवार की जीत हार में बदल जाती है तो फिर से विजेता की घोषणा करने का क्या नियम है?

मतदान वाली रात को ही विजेता घोषित करने की कोई क़ानूनी बाध्यता नहीं है. उसी रात में सभी वोटों की गिनती नहीं हो सकती. लेकिन, इतने वोटों की गिनती ज़रूर हो जाती है कि विजेता का अंदाज़ा लगाया जा सके.

ये अनाधिकारिक नतीजे होते हैं जिन पर राज्यों से आधिकारिक पुष्टि मिलने पर एक हफ़्ते बाद मोहर लगाई जाती है.

इस साल अमेरिकी मीडिया ने विजेता की घोषणा करने से पहले ज़्यादा सावधानी बरती है क्योंकि इस बार ज़्यादा पोस्टल वोट डाले गए हैं जिन्हें गिनने में समय लगता है.

इसका मतलब ये है कि मतगणना की रात को जो उम्मीदवार कुछ राज्यों में आगे दिख रहा है वो पोस्टल बैलेट के वोटों से लेकर सभी वोटों की गिनती के बाद पिछड़ भी सकता है.

अमेरिकी चुनाव
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अमेरिकी चुनाव

बिना राष्ट्रपति चुने अमेरिका में कितने दिन प्रशासन चल सकता है?

अगले राष्ट्रपति का नामांकन करने के लिए इस बार इलेक्टोरल कॉलेज 14 दिसंबर को मिलेगा.

हर राज्य से इलेक्टोरल्स अपने विजेता उम्मीदवार को चुनने के लिए आएंगे.

लेकिन, अगर कुछ राज्यों में नतीजे तब भी विवादित रहेंगे और इलेक्टोरल्स का फ़ैसला नहीं हो पाएगा तो अंतिम फ़ैसला अमेरिकी कांग्रेस को करना होता है.

अमेरिकी संविधान में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समयसीमा निर्धारित की गई है. ये समयसीमा 20 जनवरी को ख़त्म हो रही है.

अगर अमेरिकी संसद तब तक राष्ट्रपति नहीं चुन पाती है तो उनके उत्तराधिकारी पहले से तय किए गए हैं.

इनमें सबसे पहले हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स के स्पीकर का नाम है जो इस वक़्त नैंसी पेलोसी हैं. दूसरे नंबर पर सीनेट के दूसरे सर्वोच्च रैंकिंग वाले सदस्य आते हैं जो इस समय चार्ल्स ग्रेसली हैं.

अमेरिका में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है इसलिए ये कह पाना मुश्किल है कि ऐसी असाधारण परिस्थितियों में क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी.

BBC Hindi
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English summary
US presidential election 2020: Trump questions on postal vote, can this change his picture?
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