दुनिया की इन पांच जगहों पर होगी डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन की मीटिंग
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते ऐलान किया है कि वह नॉर्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन से मुलाकात करना चाहते हैं। हालांकि कुछ ही घंटों बाद व्हाइट हाउस की ओर से बयान भी आ गया और इस मुलाकात के लिए एक शर्त किम के सामने रख दी गई।
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते ऐलान किया है कि वह नॉर्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन से मुलाकात करना चाहते हैं। हालांकि कुछ ही घंटों बाद व्हाइट हाउस की ओर से बयान भी आ गया और इस मुलाकात के लिए एक शर्त किम के सामने रख दी गई। इस शर्त की वजह से ही किम ने अभी तक इस आमंत्रण के बारे में सार्वजनिक तौर पर कोई ऐलान नहीं किया है। अमेरिका ने नॉर्थ कोरिया के सामने शर्त रखी है कि पहले वह वॉशिंगटन को यह भरोसा दिलाए कि उसने परमाणु हथियारों का परीक्षण बंद कर दिया है तभी ट्रंप उससे मुलाकात करेंगे। अभी दोनों की मुलाकात की जगह तय होना बाकी है। लेकिन अधिकारी और विशेषज्ञ अंदाजा लगाने में जुटे हैं कि ट्रंप और किम कौन सी जगहों पर मीटिंग कर सकते हैं। मीटिंग के लिए संभावित जगहों में नॉर्थ कोरिया की राजधानी से लेकर प्योंगयांग से लेकर नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच स्थित ज्वॉइन्ट सिक्योरिटी एरिया (जेएसए) तक शामिल हैं। इसके अलावा एशिया और यूरोप भी शामिल हैं।
ज्वॉइन्ट सेक्रेटरी एरिया (जेएसए), पनमुनजोम
नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच स्थित ज्वॉइन्ट सेक्रेटरी एरिया (जेएसए) वह जगह है जहां पर दोनों देशों के बीच सैन्य सीमा है। पनमुनजोम में स्थित जेएसए के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि इसी जगह पर दोनों नेताओं की मुलाकात होना तय है। जेएसए दोनों देशों के बीच वह इलाका है जहां पर भारी सेना तैनात रहती है और जहां पर नॉर्थ और साउथ कोरिया की सेनाएं आमने सामने रहती हैं। इसके अलावा यूनाइटेड नेशंस कमांड फोर्सेज भी यहीं पर रहती हैं। साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ऑफिस से जुड़े एक अधिकारी की ओर से कहा गया है कि स्विट्जरलैंड, स्वीडन और जेजू आईलैंड पर सबका ध्यान है लेकिन हम जेएसए को भी काफी गंभीर विकल्प के तौर पर ले रहे हैं। वहीं कुछ आलोचकों का कहना है कि जेएसए कोरियन वॉर का एक उदाहरण है और इसकी वजह से दोनों देशों के बीच तनाव रहता है। ऐसे में इसे शांति वार्ता के लिए चुनना सही नहीं है। अगर ट्रंप और किम दोनों यहां पर वार्ता के लिए आते हैं तो दोनों को अपने सुरक्षा घेरे से ज्यादा दूर तक नहीं जाना पड़ेगा। अप्रैल में किम की मुलाकात साउथ कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन से होनी है और दोनों नेता इसी जगह पर मिलेंगे।
जेजू द्वीप
साउथ कोरिया में स्थित जेजू द्वीप एक और जगह है जहां पर दोनों की मुलाकात होने की संभावना है। इा जगह पर आसानी से या तो किसी प्लेन या फिर किसी जहाज के जरिए पहुंचा जा सकता है। किम जोंग उन के पिता और नॉर्थ कोरिया के पूर्व शासक किम जोंग इल को फ्लाइट में बैठने से डर लगता था। वहीं उनके बेटे को इस तरह का कोई फोबिया नहीं है। योनसेई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन डिल्यूरी ने ट्विटर पर लिखा है कि कोरिया में उन्हें लगता है कि जेजू द्वीप पर दोनों नेता मिल सकते हैं। मई में यह जगह दुनिया भर के नेताओं को आकर्षित करेगी क्योंकि यहीं पर 'शांति और समृद्धता' नाम से एक सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। जेजू के गर्वनर की ओर से भी कहा गया है कि शांति का द्वीप जेजू आईलैंड नॉर्थ कोरिया और अमेरिकी सम्मेलन के लिए आदर्श जगह हो सकता है।
यूरोप
यूरोप में स्विट्जरलैंड और स्वीडन जैसी जगहों पर दोनों नेता मुलाकात कर सकते हैं। दोनों ही देशों की अपनी-अपनी अलग अहमियत है। दोनों देश साउथ और नॉर्थ कोरिया के बीच बनाई गई एक कमेटी में भी शामिल हैं। इस कमेटी को दोनों देशों के बीच साल 1953 में खत्म हुए युद्ध के बाद बनाई गई है। किम और उनके भाई बहनों ने भी 90 के दशक में स्विट्जरलैंड के नामी स्कूलों में पढ़ाई की है। किम के पूर्व क्लासमेट की ओर से बताया गया है कि किम की बायोग्राफी में उनके स्विट्जरलैंड में बिताए हुए समय का कोई जिक्र नहीं है। विशेषज्ञों मानते हैं कि किम नहीं चाहते थे कि लोगों का ध्यान उनकी जिंदगी के इस हिस्से की ओर जाए। स्विस विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि उनका देश नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच वार्ता की मेजबानी करने को तैयार है।
एशिया
नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच चीन की राजधानी बीजिंग, सिंगापुर या फिर विएतनाम की राजधानी हनोई में भी वार्ता हो सकती है। यहां तक कि कुछ लोग मंगोलिया की राजधानी उलानबटोर में भी मुलाकात के कयास लगा रहे हैं। चीन, हमेशा से ही नॉर्थ कोरिया का समर्थक रहा है और साल 2003 के बाद से चीन ने नॉर्थ कोरिया पर कई तरह की वार्ताओं को आयोजित किया है। इन वार्ता में चीन के अलावा जापान, नॉर्थ कोरिया, रूस, साउथ कोरिया और अमेरिका भी शामिल हो चुके हैं। हाल के कुछ वर्षों में चीन और नॉर्थ कोरिया के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं और विशेषज्ञों के मुताबिक ट्रंप यह हरगिज नहीं चाहेंगे कि चीन इस वार्ता की लाइमलाइट चुरा ले जाए। वहीं उलानबटोर में नॉर्थ कोरिया से जुड़ी कई वार्ताओं का आयोजन किया जा चुका है।
प्योंगयांग और वॉशिंगटन
किम जोंग उन ने साल 2011 में सत्ता संभाली थी और तब से लेकर अब तक वह किसी भी देश की यात्रा नहीं की है। नॉर्थ कोरिया और अमेरिकी अधिकारियों के बीच प्योंगयांग में कई मीटिंग्स हो चुकी हैं जिसमें साल 2000 में अमेरिकी विदेश मंत्री मेडलिन अलब्राइट और किम जोंग इल की मुलाकात भी शामिल है। इसके अलावा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और जिमी कार्टर प्योंगयांग की यात्रा कर चुके हैं। अलब्राइट जब नॉर्थ कोरिया गईं थीं तो उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। इसी तरह से अगर ट्रंप, नॉर्थ कोरिया की यात्रा पर जाते हैं तो उन्हें भी उसी तरह की आलोचना का सामना करना पड़ेगा। अभी तक किसी भी नॉर्थ कोरियन ऑफिसर्र ने अमेरिका का दौरा नहीं किया है और अगर किम जोंग उन वार्ता के लिए अमेरिका जाएंगे इस बात में संदेह ही है। इस वजह से ही विशेषज्ञ सोच रहे हैं कि दोनों नेता अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के बाहर किसी तटस्थ जगह पर मुलाकात कर सकते हैं।