अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने मांगी 12-15 साल के किशोरों पर कोरोना की वैक्सीन का परीक्षण करने की अनुमति
अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और उसके साथ दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बनाने वाली उसकी सहयोगी कंपनी बॉयोनटेक ने अमेरिका में 12-15 साल की उम्र के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगाने की अमुमति मांगी है।
वाशिंगटन। अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और उसके साथ दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बनाने वाली उसकी सहयोगी कंपनी बॉयोनटेक ने अमेरिका में 12-15 साल की उम्र के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगाने की अमुमति मांगी है।
कंपनी का मानना है कि यदि उसे अनुमति मिलती है तो यह हर्ड इम्युनिटी को प्राप्त करने की दिशा में अगला महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इससे उन माता-पिता को राहत मिलेगी जो नौकरी पर रहते हुए कोरोना के डर से अपने बच्चों को घर पर पढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
दोनों कंपनियों ने शुक्रवार को साझा बयान जारी करते हुए कहा कि वह आने वाले दिनों में अन्य देशों से भी इसकी अनुमति कर सकते हैं।
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12-15 साल के बच्चों पर ट्रायल रहा सफल
कंपनी ने कहा है कि उसकी वैक्सीन का 12 से 15 साल के बच्चों पर किया गया तीसरे चरण का परीक्षण सफल रहा है, जिसमें सामने आया है कि यह वैक्सीन 12-15 साल के बच्चों को कोरोना से बचाने में शत प्रतिशत सक्षम है और परीक्षण के परिणाम आने के बाद ही कंपनी ने अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से यह अपील की है।
मालूम हो कि मार्च के अंत में कंपनी ने 2,260 किशोरों पर किए अपने परीक्षण का परिणाम जारी प्रकाशित किया था, जिसमें किशोरों में वैक्सीन के बाद मजबूत एंटीबॉडी बनने के साक्ष्य मिले थे। अभी कंपनी को आपातकालीन स्थिति में ही 16 या इससे ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगाने की अनुमति मिली हुई है।
बता दें कि युवाओं और वृद्धों की अपेक्षा बच्चों में कोरोना के लक्षण कम देखे गए हैं इसलिए वे वैक्सीन लगाने की प्राथमिकताओं में शामिल नहीं हैं।गौरतलब है कि बॉयोनटेक/फाइजर की वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित है और पिछले साल के अंत में पश्चिम में अनुमोदित होने वाली यह पहली कोविद-19 वैक्सीन थी।
मार्च में अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडेर्ना ने कहा था कि उसने 6 महीने से 11 साल के बच्चों पर परीक्षण शुरू किया था। जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने भी 12-17 साल के किशोरों पर अपनी वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया है।