जून तक ईरान से तेल खरीद में भारत को छूट दे सकता है अमेरिका, चुनाव के बाद ही फैसला
वॉशिंगटन। अमेरिका से भारत के लिए एक बड़ी राहत देने वाली खबर आ रही है। व्हाइट हाउस ईरान से तेल आयात मामले में नई दिल्ली को जून तक का समय दे सकता है। अमेरिका की नजरें इस समय भारत में हो रहे लोकसभा चुनावों पर हैं और माना जा रहा है ट्रंप प्रशासन इस वजह से तेल आयात और व्यापार से जुड़े दूसरे फैसलों को लेने में थोड़ा समय ले सकता है। सूत्रों की मानें तो दोनों ही देश अभी नहीं चाहते हैं कि व्यापार से जुड़े मुद्दों को बढ़ावा दिया जाए।
नई सरकार के बाद भारत पर होगा फैसला
अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विलबुर रॉस की ओर से भी इस तरफ इशारा किया जा चुका है। उन्होंने पिछले दिनों ट्रेड विंड्स बिजनेस फोरम में दिए अपने भाषण में जब व्यापार असंतुलन की बात की तो उन्होंने इसका संकेत दे दिया था कि अमेरिका तेल आयात मामले पर भारत को थोड़ी राहत दे सकता है। रॉस ने कहा था, 'हम भारत के उन प्रतिबद्धताओं की सराहना करते हैं जो इन नियमों से जुड़ी हैं और एक बार सरकार का गठन हो जाने के बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा जिसकी उम्मीद जून में है।' वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल तीन जून को समाप्त हो रहा है। भारत इस बात को लेकर खासा चिंतित है कि अमेरिका ने ईरान के साथ तेल आयात को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा देश के अहम एनर्जी सप्लायर्स और साथ ही ही जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफ्रेंस यानी जीएसपी के तहत मिलने वाले फायदों को भी वापस ले लिया गया है।
सुषमा ने अमेरिका से कही दो टूक बात
पिछले दिनों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोंपेयो से इस मुद्दे पर बात की थी। सुषमा ने पोंपेयो के साथ हुई बातचीत में कहा था कि भारत, ईरान से भारी मात्रा में तेल आयात करता है और ऊर्जा की जरूरतों के लिए काफी हद तक उस पर निर्भर है। ऐसे में ईरान का विकल्प एक ही रात में नहीं तलाशा जा सकता है। सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया था कि सुषमा ने पोंपेयो को बताया था कि भारत को तब तक ईरान से तेल खरीदने की मंजूरी दी जाए, जब तक कि देश में आम चुनाव जारी हैं। हालांकि पोंपेयो की ओर से सुषमा को किसी भी प्रकार कोई आश्वासन नहीं दिया गया था। पोंपेयो की ओर से सुषमा से कहा गया था कि उनके स्तर पर अब इस मुद्दे को डील नहीं किया जा रहा है। अमेरिका में भारत के राजदूत हर्ष श्रींगला की ओर से भी इस पर एक बड़ा बयान दिया गया था। श्रींगला ने कहा था कि अगर अमेरिका के प्रतिबंध जारी रहते हैं तो फिर तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी और महंगाई का डर है।
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