H-4 वीजा वर्क परमीट को खत्म करने के विरोध में उतरी अमेरिकी IT कंपनियां
वॉशिंगटन। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार अपने देश में वीजा प्रोग्राम पर लगातार बदलाव कर रही है। एच-1बी वीजा में कई बदलाव के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ओबामा प्रशासन वाले एच-4 वीजा धारकों को काम करने की अनुमति देने वाले अधिनियम को खत्म करने का फैसले खिलाफ अमेरिकी सासंद और कई आईटी कंपनियों ने इसका विरोध किया है। फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट समेत कई बड़ी आईटी कंपनियों ने कहा है कि इस फैसले से अमेरिका में काम कर रहे लाखों को देश छोड़ने के लिए मजबूर होंगे, जिसका सीधा प्रभाव देश की इकनॉमी पर पड़ेगी। ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका में काम कर रहे भारतीयों को काफी नुकसान होगा।
ट्रंप के इस फैसले से एक दिन पहले ही अमरिकी मीडिया ने बता दिया था कि सरकार ओबामा प्रशासन वाले अधिनियम को खत्म करने जा रही है। जिससे, एच-4 वीजा होल्डर्स जो अमेरिका में काम कर रहे हैं, उन पर गाज गिरने वाली है। एच-4 वीजा होल्डर्स ज्यादातर भारतीय है, उनमें से ज्यादा महिलाएं हैं। एच-4 वीजा होल्डर्स ज्यादातर महिलाएं है, जो अपनी एडवांस डिग्री लेकर अमेरिका में नौकरियां कर रहे हैं।
अमेरिका में इस समय 70,000 से ज्यादा लोग हैं जिनके पास एच-4 वीजा है और ट्रंप प्रशासन के इस नियम को खत्म करने से इन लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। एच-4 वीजा एच-1बी वीजा होल्डर्स के जीवनसाथी को जारी किया जाता है। इनमें से बड़ी संख्या में भारतीय प्रोफेशनल्स हैं। इन सभी को वर्क या वर्क परमिट वीजा ओबामा प्रशासन के कार्यकाल में जारी विशेष आदेश के जरिए मिला था। इस नियम का सबसे अधिक फायदा भारतीय-अमेरिकियों को मिला था।
एक लाख से अधिक एच-4 वीजा होल्डर्स को इस नियम का लाभ मिल चुका है। ओबामा प्रशासन के 2015 के नियम के अनुसार H-1B वीजा धारकों के जीवनसाथियों को वर्क परमिट की अनुमति दी थी , पहले वे कोई नौकरी नहीं कर सकते।
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