'खतरे में अमेरिका, रूस और चीन से हुआ युद्ध तो जीत को भी तरसेगा, कई सैनिकों की भी जाएगी जान'
वॉशिंगटन। अमेरिका इस समय राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे और मिलिट्री संकट से गुजर रहा है। हालत यह है कि जिस रूस और चीन को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बात-बात पर धमकाते रहते हैं, अगर उसने हमला कर दिया या फिर युद्ध की स्थिति आई तो अमेरिका को मुंह की खानी पड़ेगी। यह चेतावनी अमेरिकी कांग्रेस के द्विदलीय पैनल की ओर से जारी रिपोर्ट में दी गई है। कांग्रेस ने नेशनल डिफेंस स्ट्रैटेजी कमीशन को जिम्मा दिया था कि वह डोनाल्ड ट्रंप की नेशनल डिफेंस स्ट्रैटेजी (एनडीएस)को परखे। कमीशन की ओर से ही बताया गया है कि अमेरिका को नए दौर में चीन और रूस की तरफ से ताकत का सामना करना पड़ रहा है।
बजट कट से सेनाओं पर पड़ा बुरा प्रभाव
इस पैनल को डेमोक्रेटिक पार्टी के कई पूर्व सदस्यों और रिपब्लिकन पार्टी के अधिकारियों की ओर से लीड किया जा रहा है। पैनल की मानें तो अमेरिकी मिलिट्री को बजट कट और मिलिट्री को मिलने वाले फायदों की तंगी से गुजरना पड़ रहा है। वहीं रूस और चीन जैसे देश अब अमेरिका को ध्यान में रखकर उसकी ताकत को खत्म करने की दिशा में ही काम कर रहे हैं। कमीशन ने कहा है, 'अमेरिकी मिलिट्री की उत्कृष्टता ही दुनिया भर में इसका प्रभाव कायम करती है और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाती है। लेकिन अब यह खतरनाक स्तर तक गिर गई है।' अपनी रिपोर्ट में पैनल ने पाया कि अमेरिका का ध्यान कांउटर इनसर्जेंसी ऑपरेशंस पर हैं और इसका नतीजा है कि युद्ध के दूसरे क्षेत्रों जैसे मिसाइल डिफेंस, साइबर और स्पेस ऑपरेशंस और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में यह कमजोर होता जा रहा है।
पेंटागन पर भी सवाल
रिपोर्ट में लिखा है, 'चीन और रूस जैसे दुश्मनों के लिए कई खास तरह की क्षमताओं और मिलिट्री ऑपरेशंस की जरूरत है लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है।' रिपोर्ट में राजनीतिक अकर्मण्शीलता और राजनेताओं की ओर से मिलिट्री को प्रभावित करने वाले फैसलों को लेकर लताड़ लगाई गई है। खासतौर पर साल 2011 में बजट कटौती के फैसले पर नेतृत्व को फटकारा गया है। रिपोर्ट में इस बात की ओर ध्यान गया है कि इन कुछ बिंदुओं की वजह से देश में एक संकट है और अब अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। एनडीएस ने पेंटागन के फैसलों को तो सही बताया है लेकिन यह भी कहा है कि कमजोर व्याख्या और सवालिया अनुमानों ने भी क्षमताओं को काफी हद तक प्रभावित किया है।
इस बार युद्ध में टिक नहीं पाएगा अमेरिका
कमीशन में यह भी कहा गया है कि पूरे एशिया और यूरोप में अमेरिका का प्रभाव खासतौर पर कम होता जा रहा है। साथ ही मिलिट्री बैलेंस भी इस स्तर पर पहुंच गया है कि कभी भी संघर्ष की स्थिति हो सकती है। अगर अब कोई नया संघर्ष हुआ तो फिर अमेरिकी मिलिट्री को जान और माले के बड़े नुकसान से जूझना पड़ेगा। पैनल की मानें तो यह भी हो सकता है कि अमेरिका को रूस और चीन के खिलाफ युद्ध जीतने के भी लाले पड़ जाएंगे। कमीशन के मुताबिक इस वर्ष पेंटागन का बजट 700 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है और यह रूस और चीन के बजट से कहीं ज्यादा है लेकिन फिर भी यह काफी नहीं है।