US-India Relation: अमेरिका क्यों चाहता है इंडो-पैसिफिक में मजबूत भारत ? अमेरिकी राजदूत ने बताया
नई दिल्ली। US-India Relation: भारत में अमेरिका के राजदूत केन जस्टर ने भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर बड़ा बयान दिया है। जस्टर ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ सिर्फ अच्छे द्विपक्षीय संबंध के लिए ही प्रतिबद्ध नहीं है बल्कि वह भारत का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उभरने में भी सहयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति ने 2017 में लिखित तौर पर प्रमुख शक्ति के रूप में भारत के उदय और मजबूत रणनीतिक व सैन्य साझेदार के रूप में उसका स्वागत किया था। अमेरिकी राजदूत ने भारत के साथ क्वॉड गठबंधन, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के महत्व और चीन को लेकर भी बयान दिया है।
मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अमेरिका प्रतिबद्ध
हिंद प्रशांत क्षेत्र पर भारतीय परिप्रेक्ष्य में बोलते हुए अमेरिकी राजदूत ने कहा कि "इंडो-पैसिफिक की अवधारणा को बनाने में कई साल लगे हैं। पिछले चार वर्षों में हमारे देशों ने इसे वास्तविक स्वरूप देने में प्रबल इच्छाशक्ति दिखाई है।"
जस्टर ने आगे कहा कि "2017 में राष्ट्रपति ट्रम्प ने मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बारे में अमेरिकी नजरिया सबके सामने रखा था। विभिन्न संस्कृतियों वाले संप्रभु और स्वतंत्र राष्ट्र आजादी और शांति में रहते हुए एक दूसरे साथ विकास कर सकते हैं।"
जस्टर ने भारत को हिंद-प्रशांत का अटूट हिस्सा बताया। "इंडो-पैसिफिक यूएस-इंडिया संबंधों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने इस वास्तविकता समझा है कि भारत और हिंद महासागर का पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए अटूट सम्बन्ध है।"
इंडो-पैसिफिक में मजबूत भारत जरूरी- जस्टर
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए जस्टर ने कहा "इस क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं और सबसे अधिक आबादी वाले देश शामिल हैं। 50 प्रतिशत से अधिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र से गुजरता है। यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है और तेजी से अंतरराष्ट्रीय प्रणाली विकसित करने का केंद्र बन रहा है।"
जस्टर ने इस इलाके में भारत की मजबूती पर जोर दिया। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा "इस क्षेत्र (हिंद-प्रशांत) को विकास के लिए स्थायित्व, नेतृत्व और लोकतांत्रिक मॉडल की जरूरत है जो दूसरे देशों की सम्प्रभुता को खतरा न पैदा करता हो। यही वजह है कि शांति और समृद्धि को बढ़ाने के लिए मजबूत और लोकतांत्रिक भारत एक महत्वपूर्ण सहयोगी है।"
जस्टर ने कहा कि "अमेरिका इस क्षेत्र और भारत के लिए प्रतिबद्ध है। यह समर्थन राजनीति की सीमाओं से परे हैं।" अमेरिकी राजदूत के इस बयान को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि अमेरिकी नेतृत्व में बदलाव से भारत को लेकर उसकी नीतियों में परिवर्तन नहीं होने वाला है।
भारत के लिए बताया निवेश का मौका
इसके साथ ही उन्होंने भारत में अमेरिकी कम्पनियों के निवेश की सम्भावना को लेकर भी बात की। अमेरिकी राजदूत ने कहा कि "अमेरिकी कम्पनियों की चीन में काम करने में मुश्किल बढ़ती ही जा रही है या फिर वे चीनी नेतृत्व वाली आपूर्ति चेन से बाहर निकलना चाहती हैं। भारत के पास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक वैकल्पिक निर्माण केंद्र बनने का रणनीतिक मौका है।"
हालांकि अमेरिकी राजदूत ने इस दौरान भारत में व्यापार की चुनौतियों का भी जिक्र किया। जस्टर ने कहा "व्यापार और निवेश के मोर्चे पर निराशा और हताशा है। लगातार प्रयासों के बावजूद, हम एक छोटे व्यापार पैकेज का भी समापन नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा, कुछ अमेरिकी वस्तुओं और सेवाओं के लिए भारत के बाजार तक पहुंचने पर प्रतिबंध और बढ़े हैं।
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