रुपे के प्रभाव से परेशान मास्टरकार्ड ने लगाया पीएम मोदी पर आरोप, कहा प्रमोशन के ले रहे राष्ट्रवाद का सहारा
वॉशिंगटन। अमेरिकी फाइनेंशियल सर्विस कॉरपोरेशन मास्टरकार्ड की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विरोध दर्ज कराया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के पास चिट्ठी लिखकर मास्टर कार्ड ने विरोध दर्ज कराया है। भारत में बने स्वदेशी पेमेंट नेटवर्क रुपे की लोकप्रियता से घबराए मास्टरकार्ड ने अपनी शिकायत में कहा है कि पीएम मोदी राष्ट्रवाद का सहारा लेकर रुपे को प्रमोट कर रहे हैं। यह विरोध इस वर्ष जून में दर्ज कराया गया था। न्यूज एजेंसी रायटर्स की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। रायटर्स ने इस रिपोर्ट को देखने का दावा करने के बाद अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
क्या थी पीएम मोदी की अपील
पिछले कुछ वर्षों में पीएम मोदी ने रुपे का समर्थन किया है और सरकार इसे बढ़ावा देने में लगी हुई है। कहा जा रहा है कि रुपे की लोकप्रियता के बाद मास्टरकार्ड और वीजा का प्रभाव कम होता जा रहा है। भारत के एक बिलियन डेबिट और क्रेडिट कार्ड में से आधे से ज्यादा अब रुपे पेमेंट सिस्टम के तहत काम कर रहे हैं। इसका सीधा मतलब यही है कि मास्टरकार्ड जैसी कंपनियों को दुनिया के बाजारों पर और ज्यादा नियंत्रण करने में काफी दिक्कतें होंगी। पीएम मोदी ने स्वदेशी कार्ड पेमेंट नेटवर्क को लागू करते हुए कहा था कि रुपे कार्ड देश की सेवा कर रहा है। इसके ट्रांजेक्शन से मिलने वाले शुल्क से देश में सड़क, स्कूल और अस्पताल के निर्माण में सहायता मिलती है।
यूएसटीआर में की मोदी सरकार की शिकायत
पीएम मोदी के द्वारा रुपे कार्ड को बढ़ावा देने वाली बात का जिक्र करते हुए करते हुए मास्टरकार्ड ने 21 जून को यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रजेंटेटिव्स यानी यूएसटीआर को लिखा, 'प्रधानमंत्री राष्ट्रवाद के साथ रुपे कार्ड के प्रयोग को जोड़ रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि इस कार्ड का उपयोग एक तरह से देश की सेवा जैसा है।' मास्टरकार्ड के वाइस-प्रसिडेंट साहरा इंग्लिश ने अपने नोट में लिखा, 'पीएम मोदी द्वारा डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने का किया गया प्रयास सराहनीय था, लेकिन भारत सरकार ने वैश्विक कंपनियों के नुकसान के लिए संरक्षणवादी उपायों की एक सीरीज बनाई।' अमेरिकी कंपनियां, मोदी सरकार की संरक्षणवादी नीतियों की वजह से जूझ रही हैं।' रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में एक और नोट के हवाले से लिखा है कि पीएम मोदी के रुपे को बढ़ावा दिए जाने की वजह से न्यूयॉर्क में मौजूद कंपनी (मास्टरकार्ड), जो पूरी दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी पेमेंट प्रोसेसर है, को काफी निराशा हुई है।
जवाबों पर साधी चुप्पी
रॉयटर्स की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में मास्टरकार्ड ने कहा है कि वह भारत सरकार के कदम का पूर्ण समर्थन करती है और देश में काफी ज्यादा निवेश कर रही है। लेकिन कंपनी ने यूएसटीआर को लिखे गए अपने नोट पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की। साहरा इंग्लिश ने भी रॉयटर्स के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि यूएसटीआर ने भी इस मामले में किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके साथ ही यह भी साफ नहीं हो पाया है कि अमेरिकी एजेंसी ने मास्टरकार्ड की चिंता को लेकर भारत सरकार से कोई बात की है या नहीं। इस बारे में वीजा ने भी रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया है। यही नहीं पीएमओ से भी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।