विदेश मंत्री जयशंकर की तारीफ में कसीदे गढ़ते अमेरिकी विशेषज्ञ, बताया दुनिया का बेस्ट डिप्लोमैट
वॉशिंगटन। पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर अब विदेश मंत्री की भूमिका में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री के लिए जयशंकर के नाम पर भरोसा जताया। अमेरिका के कुछ टॉप डिप्लोमैट्स और विदेश नीति के विशेषज्ञों ने जयशंकर की नियुक्ति की तारीफ की है। विशेषज्ञों की मानें तो जयशंकर दुनिया के कुछ बेस्ट डिप्लोमैट्स में से एक हैं। इन विशेषज्ञों ने भरोसा भी जताया है कि जयशंकर के नेतृत्व में अमेरिका-भारत के रणनीतिक संबंध और आगे बढ़ेंगे।
तरकीबों में माहिर जयशंकर
64 वर्षीय जयशंकर को क्षमतावान कूटनीति, कड़े समझौते की तरकीबों और रणनीतिक नजरिए के लिए जाना जाता है। साल 2013 से 2015 तक वह अमेरिका में भारत के राजदूत के तौर पर तैनात थे। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में साउथ और सेंट्रल एशिया के मामलों पर सहायक विदेश मंत्री के तौर पर काम कर चुकी निशा देसाई बिस्वाल की मानें तो जयशंकर को इस पद पर देखकर वह काफी खुश हैं। उन्होंने कहा, 'जयशंकर को विदेश मंत्रालय के पद पर देखकर मैं खुश हूं। वह एक कुशल डिप्लोमैट हैं और वैश्विक रणनीतिक मुद्दों पर उनका गहन अनुभव भारत के विदेश नीति के विकास में उन्हें एक अहम व्यक्ति बनाता है।'
खोबरागड़े विवाद सुलझाने में अहम भूमिका
बिस्वाल को उस समय ओबामा के प्रशासन में साउथ और सेंट्रल एशिया की जानकारी मिली जब दिसंबर 2013 में जयशंकर भारत के राजदूत बनकर वॉशिंगटन पहुंचे। इसी समय अमेरिका में सीनियर भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को गिरफ्तार कर लिया गया। न्यूयॉर्क में हुई देवयानी की गिरफ्तारी ने भारत और अमेरिका के रिश्तों में भूचाल ला दिया था। इस संकट को सुलझाने में बिस्वाल और जयशंकर ने साथ में मिलकर काम किया था। बिस्वाल की मानें तो जयशंकर को द्विपक्षीय संबंधों को खासतौर पर अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम करने की वजह से दुनिया में काफी सम्मान हासिल है। उन्होंने भरोसा जताया कि विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर अमेरिका और भारत के संबंधों को मजबूत करने पर काम करेंगे।
चीन को उलझाने में माहिर
पूर्व अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने भी जयशंकर की तारीफ की है। ओबामा प्रशासन में रिचर्ड, भारत अमेरिकी राजदूत के तौर पर तैनात थे। उन्होंने जयशंकर को दुनिया का बेस्ट डिप्लोमैट बताया है। वर्मा ने कहा कि जयशंकर को हर जटिल मुद्दे की पूरी जानकारी होती है। रिचर्ड वर्मा 16 जनवरी 2015 से 20 जनवरी 2017 तक भारत में बतौर राजदूत तैनात थे। इस दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका के बीच मौजूद द्विपक्षीय मुद्दों पर जयशंकर के साथ करीब से काम किया। रिचर्ड वर्मा ने कहा, 'वह काफी सख्ती से बातचीत करने वाले हैं लेकिन इसके बाद भी उन्हें काफी अच्छे से मालूम है कि कितनी अच्छी तरह से कोई डील अंजाम तक पहुंचाई जा सकती है।' वर्मा की मानें तो जयशंकर को भारत-अमेरिका के संबंध और भारत-चीन के मुद्दों पर किसी और की तुलना में काफी अच्छी जानकारी है।
पीएम मोदी का एक प्रभावी फैसला
जयशंकर साढ़े चार साल चीन में बतौर राजदूत तैनात थे। जून 2009 से दिसंबर 2013 तक चीन में रहने के साथ ही जयशंकर सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले राजदूत बन गए थे। रिचर्ड वर्मा ने कहा कि जयशंकर को विदेश मंत्री के तौर पर चुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक प्रभावशाली फैसला लिया है। वहीं कार्नेगी एंडोनमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस थिंक टैंक से जुड़े एश्ले टेलीस की मानें तो पीएम मोदी का दूसरा कार्यकाल विदेश नीतियों से जुड़ी चुनौतियों के साथ शुरू हुआ है जिसमें अमेरिका और चीन के साथ संबंध भी शामिल हैं। टेलीस कहते हैं कि नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोवाल और विदेश मंत्री जयशंकर मिलकर एक बेहतरीन टीम का निर्माण करेंगे।