येरूशलम: 128 देशों ने UN के पक्ष में दिया वोट, तो भड़का अमेरिका, कहा- याद रहेगा यह दिन
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासभा में गुरूवार को भारत समेत 128 देशों ने येरूशलम को इजराइल की राजधानी का दर्जा देने को रद्द करने की मांग कर दी। यूएन में सिर्फ 9 देश येरूशलम को इजराइल की राजधानी का दर्जा देने के पक्ष में खड़े थे। यूएन में अमेरिका को पहली बार तगड़ा झटका लगने के बाद विरोध में वोट करने वाले दुनिया के तमाम देशों को निक्की हेली (यूएन में अमेरिकी राजदूत) ने चेतावनी दी है। वोटिंग से पहले ट्रंप ने भी कहा था कि अगर यूएन में हमारे पक्ष में वोटिंग नहीं होती है, उस देश को मिलने वाली अमेरिकी वित्तीय सहायता में कटौती कर दी जायेगी।
अमेरिका की चेतावनी
यूएन में 128 देशों ने मिलकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के येरूशलम को इजराइल की राजधानी घोषित करने के कदम का विरोध करने के बाद निक्की हेली ने कहा कि संयुक्त राष्ट्रों के इस विरोध से यूएस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। निक्की हेली के अनुसार, अमेरिका अपने दूतावास को येरूशलम में स्थापित करने वाली योजना पर कायम है। यूएन में अंतिम निर्णय के बाद नाराज निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका इस वोटिंग को हमेशा याद रखेगा।
कुछ देशों ने अपने फायदे के लिए हमारे प्रभाव का प्रयोग किया
यूएन में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने कहा कि यूएन में सबसे ज्यादा योगदान अमेरिका का ही है। निक्की हेली ने कहा कि हम याद रखेंगे कि कुछ देशों ने अपने फायदे के लिए हमारे प्रभाव का प्रयोग किया है। उन्होंने इसे 'अनादर' बताते हुए कहा कि अमेरिकी दूतावास येरुशलम में ही स्थापित किया जाएगा, जो कि अमेरिका लोग चाहते हैं।
इजराइल अपने अस्तित्व के लिए खड़ा हो
निक्की हेली ने आगे कहा कि इजराइल को एक राष्ट्र के रूप में अपने अस्तित्व के लिए खड़ा होना चाहिए, लेकिन यह स्वतंत्रता और मानवीय गरिमा के आदर्शों के लिए भी खड़ा हो, जिसे संयुक्त राष्ट्र इसी के लिए ही माना जाता है। अमेरिका को पहली बार संयुक्त राष्ट्र में एक साथ इतने देशों का विरोध देखने को मिला है। बता दें कि इजरायल, मार्शल आइलैण्ड्स, माइक्रोनेशिया, नौरू, पालाऊ, टोगो ग्वाटेमाला, होण्डुरास, और अमेरिका ने येरूशलम को इजरायली राजधानी घोषित करने के पक्ष में वोट पड़े थे।