साल का सबसे बड़ा राजनीतिक रहस्य: क्या पुतिन ने तैयार किया था अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के लिए ट्रंप का रास्ता
नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप की जीत अमेरिका के आधुनिक राजनीतिक इतिहास की सबसे ज्यादा हैरान करने वाली घटना है, क्योंकि एक साल गुजर जाने के बाद अभी भी दुनिया को यह भ्रम की तरह ही प्रतीत हो रहा है। हिलेरी क्लिंटन को हराकर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बने, तब ना सिर्फ ट्रंप समर्थकों में खुशी थी, बल्कि मास्को की न्यूज चैनलों, टॉक शो और बार में भी जश्न मनाया जा रहा था। ट्रंप की जीत ने सभी को चौंका दिया था, लेकिन पुतिन ने कहा था कि हमें पता था कि ट्रंप ही जीतेंगे। अमेरिका मीडिया के मुताबिक, ट्रंप की जीत के बाद पुतिन सरकार ने रात भर पार्टी की और अमेरिकी इलेक्ट्रॉल सिस्टम पर जमकर जॉक कसे। ट्रंप की जीत के बाद पुतिन ने तो यहां तक कह डाला था कि 'अब वॉशिंगटन हमारा होगा।' अमेरिका में इलेक्शन हैकिंग को लेकर कई विशेषज्ञों और जांच एजेंसियों को रूस पर शक था, लेकिन इस साल जून-जुलाई की गर्मियों में इन्वेस्टिगेशन के बाद यह शक और ज्यादा गहराता चला गया।
यूएस इलेक्शन में रूस की भूमिका
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन चुनाव से पहले ही ट्रंप की कई बार तारीफ कर चुके थे। ट्रंप की जीत के बाद तो दोस्ती जैसे भाईचारे में बदल गई। अमेरिका में जब चुनाव अभियान अपने चरम पर था, तब डेमोक्रेट कैंडिडेट हिलेरी क्लिंटन के ऑफिस से 33 हजार से ज्यादा प्राइवेट ईमेल चोरी हो गए थे। अमेरिका के खुफिया एजेंसियों और कई इंडिपेंडेंट सिक्योरिटी फर्म ने दावा किया कि रूस सिक्योरिटी एजेसिंयों ने ही डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) के ईमेल चुराए हैं। रूस ने इन सारे ईमेल को विकीलीक्स और एक ब्लॉग वर्डप्रेस गुसीफर 2.0 को थमा दिए और उन्होंने सार्वजनिक कर दिए। उसके बाद दुनियाभर के मीडिया ने क्लिंटन के लीक हुए ईमेल को जमकर चलाया।
ट्रंप ने रूस के शक को और पुख्ता कर दिया
इस साल जुलाई में ट्रंप ने एक न्यूज कांफ्रेंस में क्लिंटन ऑफिस से लीक हुए ईमेल को लेकर वो बात बोली, जिसने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया। ट्रंप ने कहा, 'रूस अगर तुम मुझे सुन रहे हो, तो गायब हुए 30,000 मेल ढूंढने में अगर तुम सक्षम हुए तो मैं आशा करता हूं कि हमारे प्रेस द्वारा तुम्हें सशक्त रूप से सम्मानित किया जाएगा।' अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने यूएस कांग्रेस को कहा था कि रूस ने डीएनसी के ही नहीं बल्कि रिपब्लिकन पार्टी के भी कई डॉक्यूमेंट चुराए हैं, जो उन्होंने सार्वजनिक नहीं किए हैं।
रूस मीडिया ने फर्जी खबरे चलाकर ट्रंप के लिए चलाया प्रोपेगेंडा
चुनाव के दौरान रूस ने सोशल मीडिया और अपने वेबसाइटों के जरिए डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनाव अभियान में साथ दिया। भले ही अमेरिका में रूसी मीडिया की पहुंच बहुत कम है, लेकिन जितनी खबरे भी चलाई गई, वो ट्रंप के लिए फायदा कर गई। रूस के आरटी और से स्पटनिक (SPUTNIK) अंग्रेजी वेबसाइटों ने ट्रंप के पक्ष में जमकर फर्जी खबरे चलाई। सीएनएन के अनुसार, इन खबरों को पश्चिमी देशों में बड़ी दिलचस्पी से देखा गया। अमेरिकी चुनावी अभियान के दौरान विकीलीक्स के संस्थापक जुलियन असांजे ने आरटी को दिए एक्सक्लूजिव इंटरव्यू में कहा था कि जो फंडिंग हिलेरी क्लिंटन के लिए जाती है, वो ही पैसा आईएसआईएस को भी जाता है। रूस ने असांजे को एक तथाकथित प्रचारक के रूप में प्रयोग किया।
रूस के हैकर ने DNC के कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने के आरोपों को स्वीकारा
रूस के हैकर कोन्सटैंटिन कोज्लोव्स्की ने मॉस्को कोर्ट में इसी महीने दिसंबर में कहा था कि उसने रूस के खुफिया एजेंसियों के कहने पर यूएस इलेक्शन चुनाव के दौरान डीएनसी के कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने की बात को स्वीकारा था। वहीं, इसी सप्ताह रूस के एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कोज्लोव्स्की ने कहा कि उसके पास डीएनसी के कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने के सबूत है और उसने यह सब कुछ रूस की खुफिया एजेंसी एफएसबी (Federal Security Service) के कहने पर किए थे।
रूस चाहता था कि ट्रंप ही यूएस प्रेसिडेंट बने
अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी हमेशा पुतिन के खिलाफ रही है। हिलेरी क्लिंटन कई बार पुतिन के लिए कठोर शब्दों का प्रयोग कर चुकी है। क्लिंटन ने तो कई बार पुतिन को केजीबी (यूएसएसआर की खुफिया एजेंसी जो 1991 के बाद खत्म हो चुकी है) का एजेंट कहकर पुकारा है। पुतिन की क्लिंटन से दुश्मनी पुरानी तो थी ही, लेकिन साथ ही में इस चुनाव में ट्रंप जीतवाकर अमेरिकी डेमोक्रेट को वे कमजोर करना चाह रहे थे। पुतिन को पता था कि ट्रंप के जीतने से रूस से लेकर दुनिया में वे अपने कद को मजबूत कर सकते हैं, जिसका असर अब दिख रहा है।