US Election 2020: 20 साल पहले 600 वोटों ने चुनाव को बनाया विवादित, सुप्रीम कोर्ट में हुआ अमेरिका के राष्ट्रपति का फैसला
वॉशिंगटन। 3 नवंबर को अमेरिका में एक और राष्ट्रपति के लिए चुनाव हो जाएंगे। जो लोग अंतरराष्ट्रीय खासतौर पर अमेरिका की राजनीति पर नजर रखते आ रहे हैं, उन्हें इन चुनावों के साथ ही साल 2000 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव याद आ गए। जब पिछले दिनों रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पसंदीदा एमी बैरेट को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्त करने के लिए सीनेट की तरफ से फैसला दिया गया तो 20 साल पहले की एतिहासिक घटना याद आ गई। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ट्रंप उस स्थिति के लिए तैयार हो रहे हैं जहां उन्हें नतीजों को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाना पड़ सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप के बयान ने दिलाई याद
86 मिलियन से ज्यादा अमेरिकी अर्ली वोटिंग के तहत पहले ही अपने राष्ट्रपति के लिए वोट कर चुके हैं। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अगर चुनाव हारते हैं तो फिर आसानी से सत्ता नहीं छोड़ेगे। पिछले माह उन्होंने कहा था, 'मुझे लगता है कि इस बार यह सुप्रीम कोर्ट में खत्म होगा।' जज पहले ही आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में ऐसे मुद्दों पर बहस कर रहे हैं जो वोटिंग से जुड़े हैं। शुक्रवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्विटर पर आकर उस फैसले की आलोचना की जिसमें नॉर्थ कैरोलिना में डाक के जरिए मतपत्रों को रिसीयव करने की आखिरी समय सीमा को बढ़ा दिया गया है। ट्रंप के मुताबिक यह 'पागलपन है और देश के लिए बुरा है।' उनकी टिप्पणियों से इशारा मिलता है कि सरकार और कानून व्यवस्था के बीच तनाव बढ़ चुका है। इस बार ऐसी आशंका है कि बैलेट की संख्या ज्यादा होगी और जजों की चुनौतियां बढ़ जाएंगी। ट्रंप को पूरी उम्मीद है कि अगर कोर्ट में उनके भाग्य का फैसला होता है तो फिर उन्हें 5 वोट मिल सकते हैं। पिछले दिनों एमी बैरेट की नियुक्ति के बाद अब कोर्ट की नौ सीटों में से पांच अब कंजरवेटिव्स के पास हैं।
क्लिंटन के जूनियर अल गोर और बुश की टक्कर
दो दशक पहले यानी 7 नवंबर 2000 को जो चुनाव हुआ, उसे आज भी राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में विवादित करार दिया जाता है। उस समय फ्लोरिडा की वजह से चुनावों में नाटकीय मोड़ आ गया था। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने 5-4 से वोटिंग की और नतीजे रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जॉर्ज डब्लू बुश के पक्ष में गए। उस समय भी यही स्थिति थी। तत्कालीन राष्ट्रपति डेमोक्रेटिक पार्टी के बिल क्लिंटन के जूनियर और पूर्व उप-राष्ट्रपति रहे अल गोर का सामना बुश से थे। अल गोर भी बाइडेन की तरह ही हर राज्य में पकड़ बना चुके थे। अर्ली वोटिंग के दौरान अक्टूबर के अंत तक अल गोर हर जगह से विजेता नजर आने लगे थे। हर पोल और सर्वे में गोर ही लीड कर रहे थे। जब चुनाव हुए तो गोर और बुश में से किसी को भी विजेता नहीं घोषित किया जा सका। मीडिया में अलग-अलग एग्जिट पोल्स चलने लगे। ऑरेगॉन और न्यू मैक्सिको में टक्कर बहुत करीबी थी। लेकिन आखिरी में रेस फ्लोरिडा पहुंच गई। गोर को विजेता के तौर पर बताया जाने लगा। लेकिन आखिरी में बुश ने यहां पर लीड बना ली। अल गोर ने बुश को फोन किया और अपनी हार स्वीकार कर ली। 600 वोट्स ऐसे थे जो विजेता का फैसला करने वाले थे। सुबह करीब 3 बजे अल गोर ने बुश को कॉल किया और अपनी हार मानने से इनकार कर दिया। 10 नवंबर को मशीन से वोटो की गिनती दोबारा पूरी हुई।
18 दिसंबर को आ सका था फैसला
बुश 327 वोट्स पर लीड करते नजर आए। कोर्ट में इसे चैलेंज किया गया। नवंबर माह के अंत तक फ्लोरिडा राज्य ने बुश को 537 वोट्स से विजयी घोषित किया। फिर भी चुनाव अपने अंत तक नहीं पहुंचे। फ्लोरिडा सुप्रीम कोर्ट ने 4-3 से फैसला लिया। इसके बाद यूएस सुप्रीम कोर्ट ने वोटों की दोबारा गिनती को केस की अगली सुनवाई तक के लिए रोक दिया। 9 दिसंबर 2000 को कोर्ट ने फ्लोरिडा सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। 18 दिसंबर को कोर्ट ने 5-4 के मुकाबले फ्लोरिडा सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया। बुश को विजेता घोषित किया गया। बुश को कुल 271 वोट्स मिले तो अल गोर के वोटों की संख्या 266 थी। हालांकि अल गोर ने पॉपुलर वोट्स के क्षेत्र में बाजी मारी थी। इलेक्शन लॉ की एक्सपर्ट नैथनाइल पर्सले जो स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं कहते हैं कि इस बार देश साल 2000 जैसी स्थिति के लिए तैयार नहीं है। अगर इस बार बुश वर्सेज गोर का परिदृश्य बनता है जहां पर बस 600 वोट्स से विजेता के फैसले में बाधा डालें तो फिर हमारा सिस्टम उसके लिए तैयार नहीं है।