कैसे हैक की जा सकती है EVM, लंदन में अमेरिकी एक्सपर्ट देंगे लाइव डेमो
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लंदन। भारत में आम चुनावों को अब तीन माह से भी कम का समय बचा है और इन चुनावों से ऐन पहले लंदन में ईवीएम पर अमेरिकी साइबर एक्सपर्ट एक अहम प्रजेंटेशन देने वाले हैं। इस प्रजेंटेशन में एक्सपर्ट्स यह बताएंगे कि भारत की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को कैसे ओर कितनी आसानी से हैक किया जा सकता है। हालांकि भारत में चुनाव आयोग हमेशा इस बात से इनकार करता रहा है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। इस पूरे कार्यक्रम को यूरोप के इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित किया जा रहा है। सोमवार को इस कार्यक्रम का आयोजन होना है। इंग्लिश वेबसाइट द प्रिंट की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है।
पिछले चुनावों हैकिंग का दावा
इस पूरे कार्यक्रम के लिए जिस अमेरिकी एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है, उन्होंने ही भारत के लिए ईवीएम को डिजाइन किया था। इस संगठन की ओर से जो इनवाइट भेजा गया है उसमें लिखा है, 'एक्सपर्ट का मत है कि ये मशीन न सिर्फ आसानी से हैक की जा सकती हैं बल्कि इन्हें हाल ही में भारत में कुछ चुनावों के दौरान हैक भी किया गया था ताकि चुनावों से छेड़छाड़ की जा सके।'हालांकि चुनाव आयोग को इस लाइव डेमॉनस्ट्रेशन के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है।
चुनाव आयोग को कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने वेबसाइट प्रिंट के साथ बात करते हुए बताया, 'हमें इस तरह के किसी भी प्रजेंटेशन की कोई जानकारी नहीं है। हम हमेशा यह बात कहते हैं कि भारत में जो भी वोटिंग मशीन प्रयोग हो रही हैं उनके साथ छेड़छाड़ किसी भी सूरत में संभव नहीं है।' संसद का कार्यकाल मई में खत्म हो रहा है और मध्य मई में नई सरकार का चुनाव हो जाएगा। सरकारी सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक मार्च के पहले हफ्ते में तारीखों का ऐलान हो सकता है। आम आदमी पार्टी के अलावा कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीएसपी समेत कई और दल ईवीएम के जरिए होने वाली वोटिंग प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते आए हैं।
एक्सपर्ट की पहचान सीक्रेट
आईजीए की ओर से इस बारे में जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया है कि आखिर लंदन में इस लाइव डेमॉनस्ट्रेशन की क्या वजह है। अभी तक उस साइबर एक्सपर्ट की पहचान के बारे में भी कोई भी जानकारी नहीं दी गई है जो इस प्रदर्शन को अंजाम देंगे। संगठन की ओर से जो इनवाइट भेजा गया है उसमें सुरक्षा का हवाला देते हुए एक्सपर्ट की पहचान बताने से इनकार कर दिया गया है। वहीं आईजीए ने एक्सपर्ट के हवाले से कहा है कि वह इस बात को साबित करेंगे कि ईवीएम को कैसे हैक किया जा सकता है। आईजेए की मानें तो अगर यह दावा सही साबित हुआ तो फिर चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल खड़ें होंगे।
साल 2004 से ईवीएम आधारित चुनाव
साल 2004 से भारत में चुनाव पूरी तरह से ईवीएम आधारित हैं और इन मशीनों के आने के साथ ही बैलेट पेपर से चुनाव कराने की परंपरा बंद हो गई। वहीं ब्रिटेन में अब भी बैलेट पेपर का प्रयोग होता है। भारत की तरह ईवीएम वहां प्रयोग नहीं होती है। पिछले तीन सालों से यहां ईवीएम के प्रयोग पर चर्चा चल रही है लेकिन खुफिया एजेंसियों और चुनाव आयोग ईवीएम फुलप्रुफ नहीं मानती हैं। उनका मानना है कि इनकी हैकिंग की जा सकती है। साथ ही यहां हर सीट पर मतदाताओँ की संख्या बहुत कम होती है, भारत की तरह यहां बहुत ज़्यादा मतदाता तो होते नहीं. इस वजह से यहां मतपत्रों की गिनती भी उतनी मुश्किल होती नहीं।
साल 1960 से दुनिया कर रही प्रयोग
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम वर्ष 1960 से दुनिया में मौजूद है। उस समय पंच कार्ड सिस्टम के जरिए वोट डाले जाते थे। सबसे पहले अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम का प्रयोग हुआ। वर्ष 1964 में अमेरिका के सात राज्यों में इसी सिस्टम के जरिए राष्ट्रपति चुनावों के लिए लोगों ने वोट डाले। भारत में पहली बार मई 1982 में केरल के परूर विधानसभा क्षेत्र में 50 पोलिंग बूथ्स पर पहली बार इनका प्रयोग हुआ था।