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अमेरिका ने भारत की निर्यात सब्सिडी पर उठाए सवाल, लगाया अमेरिकी मजदूरों को नुकसान पहुंचाने का आरोप

अमेरिका ने बुधवार को वर्ल्‍ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (डब्‍लूयटीओ) में भारत की निर्यात सब्सिडी को चुनौती दी है। अमेरिका ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसकी ओर से दी जाने वाली निर्यात सब्सिडी से अमेरिकी मजदूरों के हितों पर असर पड़ रहा है।

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वॉशिंगटन। अमेरिका ने बुधवार को वर्ल्‍ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (डब्‍लूयटीओ) में भारत की निर्यात सब्सिडी को चुनौती दी है। अमेरिका ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसकी ओर से दी जाने वाली निर्यात सब्सिडी से अमेरिकी मजदूरों के हितों पर असर पड़ रहा है। अमेरिका का कहना है कि इस तरह के प्रोग्राम से भेदभाव बढ़ता है और उससे अमेरिकी मजदूरों के हितों पर असर पड़ता है। यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव्‍स (यूएसटीआर) की ओर से कहा गया है कि भारत की ओर से चलाए जा रहे आधा दर्जन से भी ज्‍यादा कार्यक्रमों से भारतीय मजदूरों को आर्थिक फायदा होता है। इसकी वजह से वह‍ अपने सामानों को आधी कीमतों पर बेचते हैं। इससे अमेरिकी मजदूरों और उत्‍पादकों को नुकसान होता है।

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विदेश सचिव अमेरिका की यात्रा पर

यूएसटीआर की ओर से कहा गया है कि भारत की ओर से मर्चेंडाइस एक्‍सपोर्ट, एक्‍सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट्स स्‍कीम और सेक्‍टर स्‍पेसिफिक जैसी स्‍कीमें चलाई जा रही हैं जिसमें इलेक्‍ट्रॉनिट हार्डवेयर टेक्‍नोलॉजी पार्क स्‍कीम, स्‍पेशल इकोनॉमिक जोन, कैपिटल गुड्स स्‍कीम और ड्यूटी फ्री इंपोर्ट्स भी शामिल हैं। यूएसटीआर के रॉबर्ट लाइत्‍जर का कहना है कि ये स्‍कीम अमेरिकी मजदूरों के बीच भेदभाव को बढ़ावा देती हैं और इसके बाद भी उन्‍हें प्रतिस्‍पर्धा में रहना है। उन्‍होंने कहा कि यूएसटीआर अपने व्यापारिक सहयोगियों के साथ अमेरिका के व्यापारिक हितों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए वह विश्व व्यापार संगठन सहित अन्य मंचों पर निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार को बढ़ावा देगा।' बता दें कि लाइटहाइजर की तरफ से यह बयान उस समय आया है जबकि भारत के विदेश सचिव विजय गोखले अपनी पहली अमेरिकी यात्रा पर वहां पहुंचे हैं। उनका यूएसटीआर के साथ मिलने का कार्यक्रम भी पूर्वनिर्धारित है। एक बयान में यूएसटीआर ने यह आरोप लगाया है कि भारत की नीतियां कुछ खास टैक्स और फी को माफ कर देती हैं जिससे भारतीय निर्यातकों को लाभ मिलता है। इन नीतियों से स्टील, दवाइयां, केमिक, इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी प्रॉडक्ट्स, टेक्सटाइल आदि निर्यातकों को लाभ मिलता है। भारत सरकार के दस्तावेजों के मुताबिक हर साल इन नीतियों से भारतीय निर्यातकों को सात अरब डॉलर का लाभ होता है।

लगातार बढ़ता भारत का फायदा

यूएसटीआर के मुताबिक, ऐसी सब्सिडी स्कीम्स बाजार प्रतियोगिता में लाभार्थियों को अनुचित लाभ पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ खास विकासशील देशों को निर्यात में ऐसी सब्सिडी दिए जाने से छूट है। इन देशों में 2015 तक भारत भी शामिल था लेकिन अब वह इनमें शामिल नहीं है और उसने अपनी एक्सपोर्ट सब्सिडी को वापस भी नहीं लिया है। यूएसटीआर का यह भी आरोप है कि भारत ने इन सब्सिडी को हटाने के बजाए इन प्रोग्राम को और ज्यादा बढ़ावा दिया है। यूएसटीआर का आरोप है कि भारत ने 2015 के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम शुरू की थी जिसमें 8,000 से ज्यादा सामानों को शामिल किया गया है जिनकी संख्या इसके शुरू होने के समय इसकी आधी थी। इसी तरह साल 2000 से 2017 के बीच स्पेशल इकनॉमिक जोन से होने वाला एक्सपोर्ट 6,000 प्रतिशत बढ़ गया है। साल 2016 में भारत से होने वाला 30 प्रतिशत एक्सपोर्ट स्पेशल इकनॉमिक जोन्स से हो रहा है जिसकी कीमत लगभग 82 अरब डॉलर है। यूएसटीआर ने कहा है कि डब्‍लयूटीओ के नियमों के मुताबिक भारत और अमेरिका पहले आपसी विचार-विमर्श से इस मुद्दे को सुलझाएंगे लेकिन अगर ऐसा करने में दोनों देश असफल रहते हैं तो यूएसटीआर विश्व व्यापार संगठन के डिस्प्यूट सेटलमेंट पैनल से इस मामले की समीक्षा किए जाने का अनुरोध कर सकता है।

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English summary
US challenges India's export subsidy schemes at World Trade Organisation and calls it unfair for American workers.
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