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UN में अमेरिका ने फिर इजरायल को बचाया, फिलिस्तीन को दिया बड़ा झटका

रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की आपात बैठक के बाद नॉर्वे, ट्यूनिशिया और चीन ने अपना अपना बयान पेश किया था, जिसमें दोनों तरफ से सीजफायर की मांग की गई थी।

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वॉशिंगटन/येरूशलम, मई 18: इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच यूनाइटेड नेशंस में अमेरिका ने एक बार फिर से इजरायल का मजबूती से साथ दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर अमेरिका ने साझा बयान जारी करने से रोक दिया है। पिछले एक हफ्ते में तीसरी बार अमेरिका ने फिलिस्तीन का यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में मजबूती से साथ दिया है। अमेरिका के इस कदम से फिलिस्तीन को बड़ा झटका लगा है। इजरायली मीडिया ने राजनयिकों के हवाले से इजरायल को यूएन में अमेरिका से मिले इस समर्थन की रिपोर्ट को पब्लिश किया है।

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UN में अमेरिका का 'वीटो पॉवर'

UN में अमेरिका का 'वीटो पॉवर'

रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की आपात बैठक के बाद नॉर्वे, ट्यूनिशिया और चीन ने अपना अपना बयान पेश किया था, जिसमें दोनों तरफ से सीजफायर की मांग की गई थी, लेकिन अमेरिका ने इसे होने से रोक दिया। हालांकि, अमेरिकी दूतावास की तरफ से इसको लेकर कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है। माना जा रहा था कि संयुक्त राष्ट्र में इजरायल की आलोचना हो सकती थी, लेकिन अमेरिका ने ऐसा नहीं होने दिया। दरअसल, इजरायल लगातार कह रहा है कि वो सिर्फ हमास के हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर रहा है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि 'अमेरिका शांति समझौते के लिए कूटनीतिक कोशिशें कर रहा है और इस संघर्ष को खत्म करने के लिए अमेरिका की तरफ से अथक प्रयास किए जा रहे हैं।' वहीं, अमेरिका ने कहा कि 'अमेरिकी प्रतिनिधि हैदी आमर तेल अवीव गये हैं और संघर्ष विराम के लिए इजरायल और फिलिस्तीनी अधिकारियों से बात कर रहे हैं।'

इजरायल पर रॉकेट अटैक बंद हो

इजरायल पर रॉकेट अटैक बंद हो

अमेरिका के राजदूत थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि 'फिलिस्तीन चरमपंथी संगठन को तत्काल इजरायल पर रॉकेट हमला करना बंद कर देना चाहिए नहीं तो इजरायल को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है'। दरअसल, अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि चरमपंथी हमले के खिलाफ इजरायल को अपनी आत्मरक्षा का पूरा हक है। इजरायल डिफेंस फोर्स ने अपने बयान में कहा है कि वो सिर्फ आतंकियों को ही अपने टार्गेट पर ले रहा। उसका इरादा आम फिलिस्तीनियों को निशाना बनाने की नहीं है। कल एक वीडियो जारी करते हुए इजरायल डिफेंस फोर्स ने कहा था कि हमास के आतंकियों ने उन इलाकों में अपने ठिकाने बना रखे हैं, जहां भारी आबादी है।

संयुक्त राष्ट्र में क्या हुआ?

संयुक्त राष्ट्र में क्या हुआ?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान 15 देशों में से 14 देशों ने इजरायल-फिलिस्तीन के बीच हिंसक झड़प पर संयुक्त राष्ट्र से बयान जारी करने की मांग की थी। संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक किसी भी बयान को जारी करने से पहले सभी देशों की सहमति जरूरी होती है और अगर एक भी देश उस बयान का विरोध कर दे तो फिर संयुक्त राष्ट्र उस बयान को जारी नहीं कर सकता है। 15 देशों में से 14 देश इस बयान को जारी करने के समर्थन में थे लेकिन अमेरिका ने बयान जारी करने का विरोध कर दिया। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इजरायल-फिलिस्तनी मुद्दे पर बयान जारी नहीं कर पाया। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वो लगातार शांति और संघर्ष विराम के लिए कोशिशें कर रहा है और उसे थोड़े और वक्त की जरूरत है।

यूएन में हो सकती थी निंदा

यूएन में हो सकती थी निंदा

माना जा रहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तरफ से इजरायल-फिलिस्तीन विवाद पर जारी होने वाले बयान में दोनों पक्षों की तरफ से होने वाली हिंसा की निंदा होने वाली थी और दोनों देशों से फौरन संघर्ष विराम करने की मांग की जाती लेकिन संयुक्त राष्ट्र बयान जारी नहीं कर पाया। आपको बता दें कि इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर अभी तक संयुक्त राष्ट्र में दो बैठके हों चुकी हैं और रविवार को तीसरी बैठक का आयोजन किया गया था लेकिन तीसरी बार भी अमेरिका के विरोध के चलते संयुक्त राष्ट्र बयान जारी नहीं कर पाया।

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English summary
Due to the US veto power, the United Nations has not been able to issue its statement on the Israel-Palestine conflict for the third consecutive time.
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