क्या अमेरिका के इस ऐलान के बाद भारत को मिलेगी NSG में एंट्री और पाकिस्तान का सपना होगा चकनाचूर!
अमेरिका ने एक ऐसा ऐलान किया है जिसने न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत की एंट्री के दरवाजे खोल दिए हैं। अमेरिका ने 22 मार्च को पाकिस्तान की सात कंपनियों को प्रतिबंधित किया और सिंगापुर में स्थित एक कंपनी को भी बैन कर दिया।
वॉशिंगटन। अमेरिका ने एक ऐसा ऐलान किया है जिसने न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत की एंट्री के दरवाजे खोल दिए हैं। अमेरिका ने 22 मार्च को पाकिस्तान की सात कंपनियों को प्रतिबंधित किया और सिंगापुर में स्थित एक कंपनी को भी बैन कर दिया। अमेरिका के इस अहम कदम ने जहां एनएसजी में पाकिस्तान की एंट्री के दरवाजे बंद कर दिए हैं तो वहीं भारत के लिए रास्तों को खोला है। भारत की एनएसजी एंट्री में चीन हमेशा रोड़ा अटकाता है और अब अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि चीन का इस पर क्या रुख रहता है।
क्या किया है अमेरिका ने
यूएस ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ इस बड़े कदम का ऐलान किया गया है। ब्यूरो की ओर से कहा गया है कि अमेरिका की सुरक्षा और विदेश नीति के लिए खतरे को देखते हुए दुनिया की 23 कंपनियों को बैन किया गया है जिसमें पाकिस्तान की सात कंपनियां शामिल है। ब्यूरो की ओर से कहा गया है कि अमेरिका ने पाकिस्तान की सात कंपनियो में से तीन को असुरक्षित परमाणु गतिविधियों के प्रसार में भागीदारी की वजह से लिस्ट में शामिल किया है। ब्यूरो ने कहा है कि इस तरह का कोई भी काम अमेरिका की विदेश नीति के हितों के खिलाफ है। ये सातों कंपनियां पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम से तालुक रखती है। अमेरिका ने 23 प्रतिबंधित कंपनियों की लिस्ट पिछले हफ्ते सार्वजनिक की है। इस लिस्ट में आठ कंपनियां पाकिस्तान की हैं तो 15 साउथ सूडान की हैं।
NSG की ओर बढ़े भारत के कदम
पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद भारत एनएसजी का मजबूत दावेदार बनकर उभरा है। भारत और पाकिस्तान दोनों एनएसजी का सदस्य नहीं है और भारत पिछले दो वर्षों से इसकी सदस्यता की कोशिश कर रहा है। पिछले वर्ष रूस ने भारत की सदस्यता को समर्थन दिया था लेकिन चीन हमेशा इसमें अड़ंगा डालता है। भारत वासेनार समझौते, एमटीसीआर और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप का सदस्य है।भारत की ही तरह पाकिस्तान ने भी एनएसजी की सदस्यता के लिए अप्लाई किया हुआ है।
पाक की वजह से चीन करता भारत का विरोध
चीन ने हमेशा से इस बात को कहता आया है कि किसी भी नॉन एनपीटी सदस्य को एनएसजी का सदस्य बनाने के मुद्दे पर चीन कभी अपना रुख नहीं बदलेगा। चीन का कहना है कि एनएसजी की सदस्यता के लिए नियम सभी देशों के लिए एक जैसे होने चाहिए। भारत एनपीटी का सदस्य नहीं है और उसी तरह से पाकिस्तान ने भी इसे साइन नहीं किया है। एनएसजी दुनिया भर में न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और मैटेरियल के एक्सपोर्ट पर नियंत्रण रखता है। साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि एटॉमिक एनर्जी का प्रयोग सिर्फ शांतिपूर्ण मकसद के लिए ही हो। चीन के मुताबिक एनएसजी सदस्यता पर किसी भी देश के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए और पाक की वजह से हमेशा भारत का विरोध होता रहा है।
तैयार हुआ था एक नया ड्राफ्ट
इससे पहले जनवरी 2017 में खबर आई थी कि एनएसजी के पूर्व चेयरमैन राफेल मैरियानो ने एक ऐसा ड्राफ्ट तैयार किया गया है जिसके बाद एनएसजी में भारत की एंट्री आसान हो जाएगी। इस नए ड्राफ्ट में भारत को तो एनएसजी में शामिल करने की वकालत की गई लेकिन पाक को इससे बाहर रखने की बात कही गई है। अमेरिकी मीडिया में भी कहा गया था कि मैरियानो ने दो पेज का एक डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है। इस डॉक्यूमेंट में साफ किया गया है कि कैसे नॉन-एनपीटी देश जैसे भारत और पाक को एनएसजी का मेंबर बनाया जा सकता है। मैरियानो एनएसजी के वर्तमान चेयरमैन सोंग यंग वान की तरफ से काम कर रहे हैं। ऐसे में उनके इस डॉक्यूमेंट को आधिकारिक दर्जा दिया गया है।