ऑस्ट्रेलिया में लगी आग को इस तरह समझें
ऑस्ट्रेलिया में जंगल की आग थमने का नाम नहीं ले रही है. ऑस्ट्रेलिया के कुछ इलाक़े बुरी तरह आग की चपेट में हैं और लाखों हेक्टयर इलाक़े इसे प्रभावित हुए हैं. रिकॉर्ड तोड़ने वाला तापमान और महीनों का सूखा पूरे ऑस्ट्रेलिया में जंगल की आग का कारण बना है. आग से निपटने की कोशिश कर रहे हज़ारों फायरफाइटर्स और वॉलिंटियर्स को बारिश ने थोड़ी राहत दी है
ऑस्ट्रेलिया में जंगल की आग थमने का नाम नहीं ले रही है.
ऑस्ट्रेलिया के कुछ इलाक़े बुरी तरह आग की चपेट में हैं और लाखों हेक्टयर इलाक़े इसे प्रभावित हुए हैं.
रिकॉर्ड तोड़ने वाला तापमान और महीनों का सूखा पूरे ऑस्ट्रेलिया में जंगल की आग का कारण बना है.
आग से निपटने की कोशिश कर रहे हज़ारों फायरफाइटर्स और वॉलिंटियर्स को बारिश ने थोड़ी राहत दी है लेकिन फिर भी ये आपदा का अंत नहीं है.
सितंबर से ऑस्ट्रेलिया के कई इलाक़ों में आग लगी है. पिछले हफ़्ते ये आग और तेज़ हुई है.
अब तक 24 लोग मारे जा चुके हैं जिनमें तीन फायरफाइटर वॉलेंटियर्स भी शामिल हैं.
इसके अलावा 63 लाख हेक्टेयर जंगल और पार्क आग में जल चुके हैं.
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न्यू साउथ वेल्स
ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य न्यू साउथ वेल्स (एनएसडब्लयू) है. यहां लगभग 50 लाख हेक्टेयर इलाक़े में आग लग चुकी है और 1300 घर तबाह हो गए हैं.
हज़ारों लोगों को अपना घर छोड़कर शिविरों में जाना पड़ा है.
ऑस्ट्रेलिया में आग फैलने का एक बड़ा कारण मौसम भी रहा है. गर्म, शुष्क मौसम के साथ तेज़ हवाएं आग के लिए बिल्कुल अनुकूल स्थितियां बना रही हैं.
सोमवार को न्यू साउथ वेल्स में 130 जगह आग लगी हुई थी. झाड़ियों वाले इलाक़े, जंगल से ढँके पर्वत और राष्ट्रीय पार्क सभी इसकी चपेट में आ गए थे.
आग 40 डिग्री तापमान और तेज़ हवाओं के कारण और ज़्यादा भड़क गई. इससे आग बुझा रहे फायरफाइटर्स के लिए भी हालात और मुश्किल हो गए.
न्यू साउथ वेल्स का छोटा सा शहर बालमोरल आग से सबसे ज़्यादा प्रभावित है. यहां 22 दिसंबर को आग के चलते कई घर नष्ट हो गए.
अब जनवरी आ जाने के बाद भी हालात ख़तरनाक बने हुए हैं और न्यू साउथ वेल्स में आपातकाल लागू हो गया है. यहां पर पार्क, जंगल के बीच रास्ते और कैंपिंग ग्राउंड बंद कर दिए गए हैं और छुट्टी बिताने आए लोगों को न्यू साउथ वेल्स तट के आसपास का 260 किमी का इलाक़ा ख़ाली करने के लिए कहा गया है.
सोमवार को कुछ बारिश हुई थी जिससे कुछ लोग अपने घरों में लौट सकते हैं और प्रभावित इलाक़ों में मदद पहुंचाई जा सकती है.
लेकिन, अधिकारियों ने आगाह किया है कि ख़तरा अभी टला नहीं है. आने वाले हफ़्ते में तापमान बढ़ सकता है और आग भड़क सकती है.
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ऑस्ट्रेलिया के लिए चुनौती बनी जंगलों की आग
आग से प्रभावित दूसरे राज्य
विक्टोरिया राज्य में आठ लाख हेक्टेयर ज़मीन आग में जल चुकी है.
यहां नवंबर 2019 के अंत में शुरू हुई आग ने हाल के कुछ दिनों में ज़्यादा तबाही मचाई है. इसमें दो लोगों की जान जा चुकी है और ईस्ट गिप्सलैंड में 43 घर जल चुके हैं.
मेलाकूटा शहर में रहने वाले लोग 31 दिसंबर को घर छोड़कर बीच पर चले गए थे. हवा की दिशा बदलने के कारण ही यहां आग बीच तक नहीं पहुंच पाई.
स्विस-आधारित समूह एयरविजुअल के अनुसार ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा प्रमुख वैश्विक शहरों में वायु गुणवत्ता के मामले में शुक्रवार को तीसरी सबसे ख़राब जगह पाई गई.
आगे मौसमे के तेज़ हवाओं, आंधी, बिजली गिरने से बेहद गर्म और शुष्क होने की आशंका है. इससे आग लगने का ख़तरा और बढ़ सकता है.
पहले से ज़्यादा भयंकर आग
ऑस्ट्रेलिया में इस बार लगी आग आमतौर पर लगने वाली जंगल की आग से ज़्यादा विशाल है.
2019 में अमेज़न की जंगल की आग में न्यू साउथ वेल्स में क़रीब नौ लाख हेक्टेयर का नुक़सान हुआ था. 2018 में कैलिफॉर्निया की आग में आठ लाख हेक्टेयर का नुक़सान हुआ था.
लेकिन, न्यू साउथ वेल्स की आग से प्रभावित ज़मीन का कुल क्षेत्र दक्षिण इंग्लैंड के अधिकांश हिस्से के बराबर होगा.
हालांकि, ऑस्ट्रेलिया में पहले भी जंगल की आग फैलने की घटना होती रही है लेकिन इस बार की आग बेहद विशाल और ख़तरनाक है.
आग लगने के लिए कई बार लोगों को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है लेकिन अक्सर ये प्राकृतिक कारणों से भी होती है जैसे कि सूखी झाड़ियों पर बिजली गिरने से.
एक बार जब आग लग जाती है तो उसके आसपास के इलाक़े भी ख़तरे में आ जाते हैं. हवा के ज़रिए आग दूसरे इलाक़ों तक फैलती जाती है.
आग से बनने वाला धुंआ बादलों में इकट्ठा होता है जिससे बिजली गिरने की स्थितियां बनती हैं. फिर बिजली गिरने से दूसरी जगह आग पकड़ जाती है.
सितंबर 2019 में आग के चलते मारे गए लोगों की संख्या पिछले सालों के मुक़ाबले ज़्यादा है.
फरवरी 2009 में ऑस्ट्रेलिया में लगी सबसे घातक आग को 'काला शनिवार' माना जाता है. इस आग में विक्टोरिया में 180 लोग मारे गए थे.
अगर आग के घरों और अन्य संपत्तियों तक पहुंचने का गंभीर ख़तरा होता है तो प्रशासन लोगों से समय रहते निकलने की अपील करता है, क्योंकि आग बहुत तेज़ी से फैलती है. उसके फैलने की गति कई लोगों के भागने की गति से भी तेज़ होती है.
क्या जलवायु परिवर्तन वजह है
ऑस्ट्रेलिया में कई लोग ये सवाल पूछ रहे हैं.
वैज्ञानिकों ने कई बार चेतावनी दी है कि गर्म और शुष्क मौसम के कारण लगने वाली आग के मामले और ज़्यादा बढ़ेंगे. ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में कुछ सालों से सूखे के हालात हैं, जिससे आग पकड़ना और फैलना आसान हो जाता है.
आंकड़े दिखाते हैं कि ऑस्ट्रेलिया का तापमान 1910 के बाद से एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. ब्यूरो ऑफ मेटिअरोलजी के मुताबिक़ 1950 के बाद से तापमान ज़्यादा गर्म होना शुरू हुआ है.
ऑस्ट्रेलिया ने दिसंबर में दो बार अपने तापमान का रिकॉर्ड तोड़ा था. 17 दिसंबर को औसत अधिकतम तापमान 40.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. इसके अगले दिन (18 दिसंबर) तापमान 41.9 डिग्री सेल्सियस था. दोनों दिन 2013 के 40.3 डिग्री सेल्सियस तापमान का रिकॉर्ड टूटा था.
दिसंबर के अंत में हर राज्य में 40 डिग्री से ऊपर तापमान दर्ज किया गया था. इसमें तस्मानिया राज्य भी शामिल है जो आमतौर पर अन्य इलाक़ों के मुक़ाबले ठंडा रहता है.
गर्म हवाओं के पीछे प्राकृतिक कारण
गर्म हवाओं के पीछे का प्राकृतिक कारण हिंद महासागर द्विधुव्र की स्थिति है. इसमें समुद्र के पश्चिमी आधे हिस्से में समुद्र का सतही तापमान गर्म है और पूर्व में ठंडा है.
इन दोनों तापमानों के बीच का अंतर पिछले 60 सालों में सबसे ज़्यादा शक्तिशाली है.
इसके कारण पूर्वी अफ़्रीका में औसत से ज़्यादा बारिश हुई है और बाढ़ आई है. वहीं दक्षिण-पूर्वी एशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखा पड़ा है.
मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ऑस्ट्रेलिया में गर्म तापमान और आग का ख़तरा आग भी बना रहेगा.