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चीन और अमरीका के बीच किन शर्तों पर हुआ समझौता?

अमरीका और चीन ने आख़िरकार लंबे वक़्त से चले आ रहे 'ट्रेड वॉर' को कम करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर लिया है. दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव से ना सिर्फ़ स्थानीय बाज़ारों पर बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा था. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि 'ताज़ा समझौता अमरीका की अर्थव्यवस्था में 'बदलाव लाने वाला' साबित होगा'.

By BBC News हिन्दी
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चीन, अमरीका
AFP
चीन, अमरीका

अमरीका और चीन ने आख़िरकार लंबे वक़्त से चले आ रहे 'ट्रेड वॉर' को कम करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर लिया है.

दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव से ना सिर्फ़ स्थानीय बाज़ारों पर बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा था.

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि 'ताज़ा समझौता अमरीका की अर्थव्यवस्था में 'बदलाव लाने वाला' साबित होगा'.

वहीं चीन के नेताओं ने इस समझौते को 'हर तरह से फ़ायदे का सौदा' बताया है. उनका कहना है कि 'इससे दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने में मदद मिलेगी'.

समझौते के तहत चीन ने अपने अमरीकी आयात को 200 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का वादा किया है.

चीन ने बौद्धिक संपदा के क़ानूनों को और मज़बूत बनाने की भी बात कही है.

चीन के उप प्रधानमंत्री लियो ख़े और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप
Getty Images
चीन के उप प्रधानमंत्री लियो ख़े और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप

'अतीत की ग़लतियों को सही करने की कोशिश'

समझौते के तहत अमरीका कुछ चीनी उत्पादों पर लगाया गया उत्पाद शुल्क 50 फ़ीसदी तक कम करने पर राज़ी हुआ है.

हालांकि सीमा शुल्क का एक बड़ा हिस्सा अब भी पहले जैसा ही रहेगा. दोनों देशों के प्रतिनिधि और कारोबारी इस बारे में आगे की बात करेंगे.

यूएस चेंबर ऑफ़ कॉमर्स में चीनी केंद्र के अध्यक्ष जेरेमी वॉटरमैन ने कहा, "अभी बहुत काम बाकी है. अभी जो हुआ है, उससे ख़ुश होना चाहिए लेकिन आगे के फ़ैसलों के लिए ज़्यादा लंबा इंतज़ार नहीं करना चाहिए."

अमरीका और चीन साल 2018 से ही 'जैसे को तैसा' वाली रणनीति के तहत 'ट्रेड वॉर' में उलझे हुए थे.

इसका नतीजा 450 बिलियन डॉलर से ज़्यादा क़ीमत वाले उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क के रूप में देखने को मिला.

इन सबसे ना सिर्फ़ व्यापार का प्रवाह प्रभावित हुआ बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और निवेश पर भी असर देखा गया.

दोनों देशों ने इस समझौते पर वॉशिंगटन में नामी कारोबारियों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किया.

समझौते के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि इससे चीन और अमरीका के बीच ज़्यादा मज़बूत रिश्तों की नीव तैयार होगी.

ट्रंप ने कहा, "हम दोनों साथ मिलकर पिछली ग़लतियों को सही कर रहे हैं. हम मिलकर आर्थिक न्याय और सुरक्षा वाला भविष्य तैयार कर रहे हैं. समझौता तो अपनी जगह है ही, इससे भी ज़्यादा यह दुनिया में शांति लाने की एक कोशिश है."

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चीन, अमरीका
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चीन, अमरीका

समझौते की शर्तें क्या हैं?

  • चीन ने साल 2017 के मुक़ाबले अपना अमरीकी आयात कम से कम 200 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है. इसके लिए उसने कृषि आयात 32 बिलियन डॉलर, मैन्युफ़ैक्चरिंग आयात 78 बिलियन डॉलर, ऊर्जा के क्षेत्र में 54 बिलियन डॉलर का आयात और सेवा क्षेत्र में 38 बिलियन डॉलर आयात बढ़ाने का वादा किया है.
  • चीन ने बौद्धिक संपदा क़ानून को और कड़ा करने पर भी सहमति जताई है. इससे बौद्धिक संपदा के नियमों के उल्लंघन पर कंपनियों के लिए क़ानूनी कार्रवाई करना आसान हो जाएगा.
  • अमरीका ने 360 बिलियन डॉलर की क़ीमत वाले चीनी उत्पादों पर लगने वाला शुल्क 50 फ़ीसदी से घटाकर 25 फ़ीसदी तक करने का वादा किया है.

चीन के उप-प्रधानमंत्री लियो ख़े ने चीन की ओर से इस समझौते पर दस्तख़त किया. उन्होंने कहा कि इस समझौते की जड़ें 'बराबरी और आपसी सम्मान' में हैं.

उन्होंने चीन के आर्थिक मॉडल का बचाव किया और कहा, "चीन ने एक ऐसा राजनीतिक और ऑर्थिक मॉडल विकसित किया है जो इसकी राष्ट्रीय वास्तविकता के अनुकूल है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि चीन और अमरीका साथ मिलकर काम नहीं कर सकते. मेरा तो मानना है कि हमारे कई समान व्यावसायिक हित हैं. हमें उम्मीद है कि दोनों देश समझौते का ईमानदारी से पालन करेंगे."

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डोनल्ड ट्रंप
Reuters
डोनल्ड ट्रंप

विश्लेषण: 'अमरीका की महात्वाकांक्षा पूरी नहीं हुई'

  • दर्शिनी डेविड, बीबीसी की आर्थिक संवाददाता

वाइट हाउस ने इस समझौते को बेहतरीन बताते हुए इसकी तारीफ़ की है.

अब तक राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अमरीका की कंपनियों और नौकरियों को 'चीन की अनुचित स्पर्धा' से बचाने की कोशिश कर रहे थे.

इस 'बचाने की कोशिश' में जिन तरीकों का इस्तेमाल किया गया वो थे: आयात पर भारी भरकम टैक्स या अतिरिक्त शुल्क.

इससे फ़ायदा नहीं बल्कि दोनों देशों के उन्हीं कामगारों और कारोबारियों का नुक़सान हुआ जिन्हें दोनों देश बचाने की कोशिश कर रहे थे.

अभी चीन और अमरीका के बीच जो डील हुई है वो जीत से कहीं ज़्यादा, लंबे वक़्त से चले आ रहे ट्रेड वॉर को रोकने की कोशिश भर है.

दोनों देशों ने एक-दूसरे पर लगाए गए टैक्स में बहुत ज़्यादा छूट नहीं दी है. चीन से आयात किए जाने वाले लगभग दो-तिहाई उत्पादों पर शुल्क अब भी पहले जैसा ही है.

इसके अलावा कारोबार के चीनी तौर तरीकों जैसे कि 'साइबर थेफ़्ट' को लेकर अमरीका की चिंताएं अब भी जस की तस हैं.

वैश्विक व्यापार के नए नियम लिखने की ट्रंप की महात्वाकांक्षा अब भी पूरी हुई नहीं कही जा सकती.

BBC Hindi
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English summary
Under what conditions agreement between China and America happened?
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