
‘मानवाधिकार की रक्षा करना अपराध नहीं’, तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी पर UN अधिकारी ने जताई चिंता
नई दिल्ली, जून 27: संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने गुजरात की महिला कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को शनिवार को हिरासत में लिए जाने की निंदा करते हुए कहा है कि, 'मानवाधिकार की रक्षा करना कोई अपराध नहीं है'। यूनाइटेड नेशंस की विशेष दूत मैरी लॉलर ने तीस्ता सीतलवाड़ के समर्थन में और सरकार की कार्रवाई की निंदा करते हुए ये बड़ा बयान दिया है।

तीस्ता को यूएन अधिकारी का मिला साथ
यूनाइटेड नेशंस की विशेष दूत मैरी लॉलर ने तीस्ता के खिलाफ गुजरात सरकार के द्वारा की गई कार्रवाई पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा का, ‘तीस्ता नफरत और भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत आवाज हैं'। आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 में हुए गुजरात दंगे के लिए उन लोगों को फटकार लगाई थी, जो लगातार इस मुद्दे को उछालते जा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के एक दिन बाद ही गुजरात पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते ने मुंबई से तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में ले लिया। वहीं, तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिए जाने के कुछ ही घंटे बाद भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने समाचार एजेंसी एएनई को दिए इंटरव्यू में तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा संचालित एनजीओ को 2002 के गुजरात दंगों के बारे में पुलिस को आधारहीन जानकारी देने के लिए दोषी ठहराया।

अमित शाह ने क्या कहा था?
भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि, ‘मैंने फैसले को बहुत ध्यान से पढ़ा है। फैसले में स्पष्ट रूप से तीस्ता सीतलवाड़ के नाम का उल्लेख है। उनके द्वारा चलाए जा रहे एनजीओ, मुझे एनजीओ का नाम याद नहीं है, उसने पुलिस को दंगों के बारे में आधारहीन जानकारी दी थी'। आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात दंगों से संबंधित मामलों में पीएम मोदी, जो उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे, और अन्य को एसआईटी की मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका में जकिया जाफरी की अपील को "योग्यता रहित" बताकर खारिज कर दिया था। आपको बता दें कि, जकिया जाफरी कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा हैं, जो दंगों में मारे गए थे।
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सुप्रीम कोर्ट ने की थी कड़ी टिप्पणी
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि, मामले की सह-याचिकाकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं का शोषण किया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि, ऐसे कोई सबूत पेश नहीं किए गये, जिससे पता चले, कि गुजरात दंगा पूर्व साजिश के तहत अंजाम दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, राज्य प्रशासन के कुछ अधिकारियों की नाकामयाबी का मतलब साजिश नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, ‘साल 2006 से ये मामला चल रहा है और इस मामले में शामिल हर एक पदाधिकारी की ईमानदारी पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की गई, ताकि छिपे हुए उद्येश्य के लिए मामले को गरमाकर रखा जा सके।' इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कानून के दायरे में कार्रवाई करने की बात भी कही।

कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़?
तीस्ता सीतलवाड़ एक कथित भारतीय नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार हैं। वह सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस की सचिव हैं, जो 2002 के गुजरात दंगों की वकालत करने के लिए बनाई गई एक संस्था है। साल 2002 में हुए गुजरात दंगों को लेकर एसआईटी की रिपोर्ट में भारतीय नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। जिसके बाद गुजरात एसआईटी ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (DCB) ने सेवानिवृत्त राज्य डीजीपी आरबी श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया। जबकि कोर्ट में जकिया जाफरी का याचिका का समर्थन करने वाली मुंबई की कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात एटीएस ने गिरफ्तार किया है।

तीस्ता के दादा थे अटॉर्नी जनरल
61 साल की तिस्ता के दादा एम.सी.सीतलवाड़ देश के पहले अटार्नी जनरल थे। उनके एक बेटा जिब्रान और बेटी तामारा है। तीस्ता की सारी पढ़ाई मुंबई में ही हुई। तीस्ता का दावा है कि वे गुजरात में भड़के दंगों में मारे गए लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत हैं। पैसे में गड़बड़ करने के कथित आरोप में उनके खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश भी गुजरात हाई कोर्ट ने दिए थे।
चीन:
दुनिया
का
सबसे
बड़ा
'अदृश्य
पिंजरा',
जहां
140
करोड़
लोगों
की
हर
पल
निगरानी
होती
है