ब्रिटेन की संसद में मिली Brexit को मंजूरी, 31 जनवरी को EU से अलग हो जाएगा देश
लंदन। 31 जनवरी को ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन (ईयू) से अलग हो जाएगा और इसके साथ ही पिछले करीब चार सालों से ब्रेग्जिट की बहस पर भी लगाम लग जाएगी। ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स ने ईयू से बाहर निकलने के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के समझौते को गुरुवार को मंजूरी दे दी। इस समझौते के पक्ष में 330 वोट जबकि विरोध में 231 वोट पड़े। इन वोट्स के साथ ही अब ब्रिटेन का ईयू से निकलने का रास्ता साफ हो गया है।
साल 2016 में हुआ था जनमत संग्रह
अभी 'ईयू-यूके विदड्रॉवल एग्रीमेंट बिल' को ब्रिटेन की ऊपरी संसद हाउस ऑफ लॉर्ड्स और यूरोपीय संसद की ओर से मंजूरी मिलना भी जरूरी है। हालांकि इसे बस एक औपचारिकता माना जा रहा है। ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन 50 साल पुरानी अपनी सदस्यता खत्म करने की ओर बढ़ रहा है। ब्रेग्जिट यानी ब्रिटेन का ईयू से बाहर जाना। साल 2016 में ब्रेग्जिट पर एक जनमत संग्रह हुआ था। इसमें 52 प्रतिशत लोगों ने ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलने का समर्थन किया था। वहीं, 48 प्रतिशत लोग ब्रेग्जिट के विरोध में थे। इस जनमत संग्रह की वजह से तत्कालीन ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरुन की कुर्सी तक चल गई थी।
क्यों उठी थी Brexit की मांग
साल 2008 में ब्रिटेन भी आर्थिक मंदी की चपेट में आया था। महंगाई और बेरोजगारी से परेशान जनता मांग करने लगी थी कि ब्रिटेन को ईयू से अलग हो जाना चाहिए। इस मांग के पीछे तर्क ये था कि ब्रिटेन को हर साल ईयू के बजट के लिए नौ अरब डॉलर देने होते हैं। इसके अलावा फ्री वीजा पॉलिसी के कारण भी ब्रिटेन को नुकसान हो रहा है। ईयू से अलग होने की मांग करने वाले लोगों का मानना था कि ईयू ने ब्रिटेन की मंदी को दूर करने के लिए कुछ खास नहीं किया जबकि ब्रिटेन ने हमेशा ईयू के लिए काफी कुछ किया है। हाल ही में ब्रिटेन में चुनाव हुए और पीएम बोरिस जॉनसन की कंजर्वेटिव पार्टी के लिए ब्रेग्जिट सबसे बड़ा मुद्दा था।