UK-India Week 2018: उमंग बेदी बोले, अगले दो साल में भारत के 800 मिलियन लोग इंटरनेट से कनेक्ट होंगे
लंदन। यूके इंडिया वीक 2018 के पहले दिन के कॉन्क्लेव में डेली हंट के प्रेसिडेंट उमंग बेदी ने शिरकत की। उन्होंने फ्यूचर ऑफ क्रिएटिविटी इन इंडिया पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मोबाइल की बात करें तो अगर आप पूरे 180 टीवी सेट हैं, 90 मिलियन फ्लैट स्क्रीन हैं। ये सभी मल्टी फैमिली हाउसहोल्ड हैं। दूसरी चीज है डेटा की कीमत। जब आप इसे आप स्मार्टफोन से गुणा करें तो 150 मिलियन नये स्मार्टफोन हर साल आ रहे हैं। तो अगले दो साल में भारत के 800 मिलियन लोग इंटरनेट से कनेक्ट होंगे।
उमंग बेदी ने आगे कहा कि अब इंटरनेट से कनेक्ट होने वाले 800 मिलियन लोग कौन होंगे? क्या वो लोग जो हमारे जैसे होंगे जो इस पैनल में नहीं हैं? अगर आज के परिवेश में देखें तो लगभग आधे लोग इंटरनेट पर अंग्रेजी में कंटेंट कंज्यूम करते हैं। लेकिन अगले 2 साल बाद तस्वीर बदल जायेगी।
उन्होंने कहा कि, 10 में से 9 लोग अपनी लोकल भाषा में कंटेंट कंज्यूम करेंगे। वो होंगे टू-टियर और थ्री टियर शहरों के लोग। हमें जियो को धन्यवाद देना चाहिये, जिसकी वजह से डाटा की कीमत बहुत कम हो गई है। इसलिये ये सभी लोग मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट से जुड़ेंगे। जब आप आम व्यक्ति की भाषा में उससे बात करते हैं, तो आपसे सीधे तौर से जुड़ जाता है। भारत में 95 प्रतिशत विज्ञान गैर अंग्रेजी भाषा में होता है। यही आपके भविष्य को दर्शा रहा है।
इससे पहले बॉलीवुड अभिनेता विवेक ओबरॉय ने भारतीय मीडिया पर अपने विचार रखे। उन्होंने अपनी निजी जिंगदी के कुछ बेहतरीन पलों को शेयर करते हुए कहा कि मैं यूएस से लौटा और बॉलीवुड में कदम रख दिया। मैंने अपना डेब्यू किया ही था कि हर कोई कहने लगे कि तुम्हें तो तुम्हारे पापा ही लॉन्च किया है। मेरे इस डेब्यू के लिये लोगों ने कहा कि यह सबसे बड़ी गलती थी। जब मेरे पिता मेरी तारीफों के पुल बांध रहे थे, तब मुझे लगा कि मेरा क्या है। क्या मैं इसे डिजर्व करता हूं। तभी मैंने अपना सरनेम हटा दिया और 18 महीनों तक अलग-अलग फिल्म प्रोडक्शन हाउसेस के चक्कर काटे। 18 महीनों में मैंने बहुत स्ट्रगल किया, कि मुझे कोई रोल मिल जाये, लेकिन अंत में मुझे सफलता मिली। फिल्म का नाम था कंपनी। तब समय थियेटर का था, लेकिन आज मोबाइल का है।
लेकिन यह वो समय था जब बॉलीवुड में कुछ भी स्ट्रक्चर्ड नहीं था। आज समय बदल गया है। आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रोडक्शन हाउस भारत आ रहे हैं। हर रोज नई टेक्नोलॉजी रोज आ रही हैं। आज थियेटर के टिकट बिकने में समय नहीं लगता। थियेटर के टिकट बिकने में लाइन नहीं लगतीं, अधिकांश लोग स्मार्ट फोन के जरिये टिकट बुक करते हैं। यह तो रही टिकट की बात, लेकिन इससे भी आगे यह है कि अब वो समय आ गया है, जहां लोग थियेटर जाना नहीं चाहते। वे स्मार्ट फोन पर ही मूवी देखना पसंद करते हैं।
आज फिल्म बनती है, तो आधा पैसा थियेटर और सरकार ले जाती है। कुल मिलाकर फिल्म की कमाई का आधा पैसा ही प्रोड्यूसर के पास रह जाता है। ऊपर से डिस्ट्रीब्यूटर के पास जाने वाले हिस्से को हटा दें, तो आपको लगेगा कि हम यह बिजनेस कर ही क्यों रहे हैं। लेकिन अगर आप स्मार्टफोन पर फिल्म की बात करें, तो प्रोड्यूसर को भी उसकी लागत निकालने में आसानी होगी।
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