अमेरिका के सैटेलाइट सिस्टम की वजह से 11,000 किलोमीटर बैठे सैनिक हुए अलर्ट, बच गई मिसाइल हमले में जान
वॉशिंगटन। बुधवार को ईरान ने ईराक में स्थित अमेरिका के दूतावास को निशाना बनाया। ईरान की तरफ से एक दो नहीं बल्कि पूरी 16 मिसदलें दागी गई थीं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसके बाद कहा कि सात जनवरी को ईरान के हमलें में किसी भी अमेरिकी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। ईरान ने इराक में दो अमेरिकी संस्थानों पर मिसाइल हमला किया था। इस हमले से पहले ही सैनिक अपने-अपने बंकरों में चले गए थे।
पहले ही मिला मिसाइल का अलर्ट
ट्रंप ने बताया कि अमेरिकी मिलिट्री के पास जो 'अर्ली वॉर्निंग सिस्टम' है उसकी वजह से कई लोगों की जान जाने से बच गई। अर्ली वार्निंग सिस्टम के अलावा अमेरिका की एजेंसी नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (एनएसए) की वजह से भी अमेरिकी सेना को बड़ी मदद मिली। सैनिकों को ईरान की मिसाइलों के बारे में पहले से ही सूचना मिल गई थी। अमेरिकी मिलिट्री के पास स्पेस बेस्ड इंफ्रारेड सिस्टम यानी एसबीआईआरएस और चार जियोस्टेशनरी सैटेलाइट्स हैं। इन चार जियोस्टेशनरी सैटेलाइट्स में से दो सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में हैं तो दो सैटेलाइट्स ऐसे हैं जो सेंसर्स से लैंस हैं। ये सैटेलाइट्स हैं फिक्स्ड और मोबाइल ग्राउंड स्टेशंस वाले हैं। एसबीआईआरएस सैटेलाइट्स को लॉकहीड मार्टिन कॉर्प की ओर से तैयार किया गया है। ईरान ने 16 कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलें लॉन्च की थी। इनमें से 11 मिसाइलों ने इराक के अल-असद एयर बेस को निशाना बनाया था और साथ ही इरबिल में एक संस्थान को भी चपेट में लिया था।
अगले दो साल में दो नए सैटेलाइट्स
अमेरिकी एयरफोर्स ने साल 2011, 2013, 2017 और 2018 में इस तरह के चार सैटेलाइट्स लॉन्च किए थे। इसके अलावा 2020 और 2021 में ऐसे दो सैटेलाइट्स को लॉन्च किया जाने वाला है। इन सैटेलाइट्स से मिले डाटा को मिशन कंट्रोल स्टेशंस में भेजा जाता है जिसे 460वीं स्पेस विंग की तरफ से ऑपरेट किया जा रहा है। कोलोराडो में बकले एयरफोर्स बेस पर स्थित यह विंग अब यूएस स्पेशल फोर्स का हिस्सा है। अभी तक न पेंटागन और न ही यूएस एयरफोर्स की ओर से पुष्टि की गई है कि एसबीआईआरएस सैटेलाइट्स ने ईरान के हमले को फेल किया। मगर ये सैटेलाइट्स अब कोई राज नहीं रह गए हैं। साल 1991 में जब खाड़ी युद्ध शुरू हुआ था तो उस समय अमेरिकी मिलिट्री एक पुराने अर्ली वॉर्निंग सैटेलाइट्स जिसे डिफेंस सपोर्ट प्रोग्राम के तहत डेवलप किया गया था, उस पर ही निर्भर थी।
मजबूत इंटेलीजेंस सिस्टम सेना का हिस्सा
एनएसए, अमेरिका की वह एजेंसी है जो रक्षा संस्थानों पर हमले से जुड़ी कुछ खास इंटेलीजेंस के बारे में पता लगाकर, आतंकी साजिशों को विफल कर देती है। अर्ली वॉर्निंग सिस्टम और एनएसए की वजह से 11,000 किलोमीटर से अमेरिकी मिलिट्री को ईरान की मिसाइलों के बारे में पता लग सका था। एनएसए, दुनिया भर में जासूसी उपकरणों, सर्विलांस विमानों और सैटेलाइट की मदद से अमेरिका के दुश्मनों पर नजर रखती है। एजेंसी की मदद से ही इराक में अमेरिकी सैनिकों को चेतावनी मिल रही थी। यानी अमेरिकी सैनिकों को पता था कि ईरान ने उन्हें निशाना बनाकर मिसाइलें लॉन्च की हैं और वो मिसाइल कितनी देर बाद उन पर हमला करेगी। ईरान ने 16 कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलें लॉन्च की थी।
मिसाइलों की सर्विलांस वाला सेंटर
अमेरिकी एजेंसी एनएसए में डिफेंस स्पेशल मिसाइल और एस्ट्रोनॉटिक्स सेंटर एक डिपार्टमेंट है। साल 1964 में इस केंद्र की शुरुआत हुई थी और शीत युद्ध के दौरान ये रूस की मिसाइलों और अंतरिक्ष कार्यक्रम पर नजर रखता था। धीरे-धीरे इस केंद्र ने रूस के बाद चीन और दूसरे देशों द्वारा लॉन्च की गई मिसाइलों की सर्विलांस शुरू कर दी। यह एक प्रकार का अर्ली वॉर्निंग सेंटर है जो अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट और दुनिया के कई देशों में अमेरिका या उसके मित्र देशों के राडार के डाटा को इकट्ठा करके मिसाइलों की लॉन्चिंग की खबर देता है। पिछले करीब 55 वर्षों से ये केंद्र दिन के 24 घंटे, 365 दिन लगातार सक्रिय यानी सतर्क रहा है। वर्ष 1991 में पहले खाड़ी युद्ध में भी इस केंद्र ने अमेरिका और गठबंधन देशों की सेनाओं को काफी मदद दी थी।