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नेपाल में सत्ता के लिए ‘तांडव’: संसद भंग करने के खिलाफ धरने पर दो-दो पूर्व प्रधानमंत्री

नेपाल में कम्यूनिस्ट पार्टी के अंदर सत्ता को लेकर छिड़ा संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री केपी ओली के संसद भंग करने के फैसले के बाद विरोधी उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं

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काठमांडू: नेपाल (Nepal) में कम्यूनिस्ट पार्टी (Communist Party) के अंदर सत्ता को लेकर छिड़ा संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री केपी ओली (KP Oli) के संसद भंग करने के फैसले के बाद विरोधी उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। आज फिर नेपाल के दो-दो पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पा कमल दहल और माधव कुमार ने सड़क पर उतरकार केपी ओली के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी में प्रधानमंत्री केपी ओली का विरोधी गुट उनके खिलाफ लगातार अपनी आवाज बुलंद किए हुआ है।

NEPAL

नेपाल में राजनीतिक उथलपुथल

पाल में पिछले कई महीनों से राजनीतिक उथल-पुथल चरम पर है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद भंग कर दिया। जिसके खिलाफ प्रचंड गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है। इन सबके बीच संसद भंग करने का जमकर विरोध किया जा रहा है। प्रधानमंत्री का विरोधी गुट संसद भंग करने को असंवैधानिक करार दे रहा है। 25 जनवरी को भी प्रचंड गुट ने प्रधानमंत्री के संसग भंग करने के फैसले का सड़कों पर उतरकर विरोध किया था। जिसमें नेपाल के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ हजारों लोग शामिल हुए थे। केपी ओली के विरोधियों का आरोप है कि प्रधानमंत्री ने कड़ी मेहनत से मिले लोकतांत्रिक गणराज्य प्रणाली को खतरे में डाल दिया है। पिछले प्रदर्शन के दौरान तीनों प्रधानमंत्रियों ने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री केपी ओली को सही करने की कोशिश की, लेकिन हम नाकाम रहे।

KP OLI

ओली को पार्टी से निकालने पर EC का रोक

कतंत्र लागू होने के बाद नेपाल के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब प्रधानमंत्री को ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया हो। लेकिन, नेपाल चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री को पार्टी से निकालने पर फिलहाल रोक लगा रखी है। चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि पार्टी के अंदर दोनों गुटों का फैसला कानून के खिलाफ है, लिहाजा नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर जो बदलाव किया गया है, वो असंवैधानिक है, और हम उसपर रोक लगा रहे हैं। नेपाल चुनाव आयोग ने अपने बयान में पिछले हफ्ते कहा था कि दोनों गुटों के निर्णय पार्टी के कानून के अनुरूप नहीं हैं। इसलिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थिति को अपडेट नहीं किया जा सकता है।

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में कलह क्यों?

2018 में केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने मिलकर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया था। दोनों नेता ने अपनी अपनी पार्टियों का एक पार्टी में विलय कर दिया था। सरकार बनाने के बाद केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रधानमंत्री बने। लेकिन, 2020 में जून के बाद दोनों नेताओं में अनबन की खबरें आने लगीं। बताया जा रहा है कि केपी शर्मा ओली अकेले ही सरकार के तमाम फैसले लेने लगे। यहां तक की मंत्रिमंडल विस्तार में भी केपी शर्मा ओली ने प्रचंड गुट से बात तक नहीं की। दोनों नेताओं के बीच मंत्रिमंडल में पदों के अलावा अलग अलग संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों को लेकर भी गहरे मतभेद हो गये थे। और फिर सत्ता बंटवारे को लेकर दोनों नेता आपस में भिड़ गये।

पिछले साल 20 दिसंबर को नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अचानक नेपाली संसद को भंग करके नए चुनावों की घोषणा कर दी थी। इसको लेकर पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड का खेमा उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। प्रचंड गुट के साथ पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल भी हैं। अब प्रचंड गुट ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिसपर नेपाल चुनाव आयोग ने फिलहाल रोक लगा दी है।

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English summary
In Nepal, there has been a growing struggle within the Communist Party over power. After Prime Minister KP Oli's decision to dissolve the Parliament, a front has been opened against him.
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