क्या है वो 11 साल पुराना ट्वीट, जिसे लेकर काम के पहले दिन ही कॉन्ट्रोवर्सी में फंसे पराग अग्रवाल
वाशिंगटन, 30 नवंबर। दुनिया की दिग्गज माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर की कमान अब भारतीय मूल के अमेरिकी पराग अग्रवाल के हाथ में आ गई है। पराग को ट्विटर का नया सीईओ बनाया गया है लेकिन अपने कार्यकाल के पहले दिन ही पराग एक कॉन्ट्रोवर्सी में फंस गए हैं। सोशल मीडिया पर पराग अग्रवाल का करीब 11 साल पुराना एक ट्वीट वायरल हो रहा है जिसे लेकर लोगों ने उन्हें निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। आखिर क्यों हो रहा उनके पुराने ट्वीट पर विवाद? आइए जानते हैं।

क्यों वायरल हुआ पराग का पुराना ट्वीट
दरअसल, पराग अग्रवाल पर उनके पुराने ट्वीट को लेकर नस्लवाद का आरोप लग रहा है। अपने ट्वीट में उन्होंने व्हाइट पीपुल यानी गोरों और मुस्लिमों को लेकर कुछ ऐसा कहा था जिसे लेकर अमेरिकी दक्षिणपंथी पराग को ट्रोल कर रहे हैं। ट्विटर के नए सीईओ पराग ने 26 अक्टूबर, 2010 को कॉमेडियन आसिफ मांडवी के शो को लेकर एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने अमेरिकी व्हाइट लोगों को निशाने पर लिया था।

पराग ने अपने ट्वीट में क्या लिखा?
पराग ने अपने ट्वीट में लिखा था, 'अगर आप मुस्लिमों और चरमपंथियों के बीच अंतर नहीं कर सकते हैं तो मैं गोरे लोगों और नस्लवादियों के बीच भेद क्यों करूं?' पराग के इस ट्वीट से अमेरिकी दक्षिणपंथी लोग काफी नाराज हुए जिसके बाद उन्हें व्हाइट पीपुल विरोधी साबित करने की कोशिश किया जा रहा है। हालांकि अपने ट्वीट को लेकर उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि उनका स्टेटमेंट कॉमेडियन के शो को लेकर था।

कट्टरपंथियों को इस बात का डर
पराग अग्रवाल का ट्विटर विवाद में इसलिए आया क्योंकि वह अभी नए-नए कंपनी के सीईओ बने हैं और ट्विटर पहले से ही कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाता रहा है। अब उन्हें कंपनी के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के उत्तराधिकारी के तौर पर देख रहा है। ट्रोल्स का मानना है कि पराग अग्रवाल कट्टरपंथियों के खिलाफ ट्विटर पर और भी सख्त कदम उठाएंगे जिससे प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप और ज्यादा बढ़ जाएगी।

ट्विटर पर ट्रेंड हुए पराग
पराग अग्रवाल के खिलाफ ही अब ट्विटर पर #paragagrawalracist भी ट्रेंड हो रहा है। कट्टरपंथी इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को ट्विटर पर बैन कर दिया गया था। हालांकि अग्रवाल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनका ट्वीट किसी एक समुदाय या व्यक्ति के खिलाफ नहीं था। ट्वीट्स पर कुछ प्रतिक्रियाएं यह भी सवाल करती हैं कि ट्विटर एक दशक से अधिक पहले से नए सीईओ की टिप्पणी का हवाला देते हुए सेंसरशिप को कैसे संभालेगा।

कौन हैं पराग अग्रवाल?
पराग अग्रवाल भारत में पले-बढ़े हैं, उन्होंने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग की है। इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर साइंस में पीएचडी अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से की। 2018 में पराग ने एडम मेसिंगर ली थीं। वेबसाइट पर पराग अग्रवाल के बायो में लिखा है कि उन्होंने 2011 में एक विज्ञापन इंजीनियर के रूप में ट्विटर ज्वाइन किया था। ट्विटर जॉइन करने से पहले अग्रवाल ने माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च और याहू रिसर्च में कई पोजीशन पर काम किया है।
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