भारत सरकार और ट्विटर विवाद के बीच अमेरिका का बयान- हम पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थक
नई दिल्ली। ट्विटर पर गलत जानकारी साझा करने, भ्रम और नफरत फैलाने वाले अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई के लिए भारत सरकार ने ट्विटर को निर्देश दिया था, जिसके बाद सरकार के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए ट्विटर ने कई ऐसे अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई की जो गलत और भड़काऊ जानकारी साझा कर रहे थे। भारतीय अधिकारियों के साथ ट्विटर के अधिकारियों की बैठक के बाद अमेरिका की ओर से कहा गया है कि वह दुनियाभर में लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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अमेरिका
बोला-
हम
अभिव्यक्ति
की
आजादी
के
समर्थक
अमेरिका
के
विदेश
मंत्रालय
के
प्रवक्ता
नेड
प्राइस
ने
कहा
कि
मैं
कहना
चाहता
हूं
कि
हम
अभिव्यक्ति
की
आजादी
के
साथ
लोकतांत्रिक
मूल्यों
का
पूरी
दुनिया
में
समर्थन
करते
हैं।
मुझे
लगता
है
कि
जब
ट्विटर
की
नीतियों
की
बात
आती
है
तो
हम
इसे
ट्विटर
पर
खुद
ही
छोड़
देते
हैं।
अमेरिका
की
ओर
से
ट्विटर
पर
यह
बयान
ऐसे
समय
आया
है
जब
भारत
सरकार
और
ट्विटर
के
बीच
250
ट्विटर
हैंडल
को
ब्लॉक
करने
को
लेकर
विवाद
चल
रहा
है।
भारत
सरकार
का
मानना
है
कि
1300
से
अधिक
अकाउंट
और
पोस्ट
ने
26
जनवरी
को
ट्रैक्टर
रैली
के
दौरान
हिंसा
को
भड़काने
की
कोशिश
की
थी।
सरकार
की
ओर
से
ट्विटर
को
इन
अकाउंट
की
लिस्ट
देकर
इन्हें
ब्लॉक
करने
के
लिए
कहा
गया
था।
मीडिया
पर
प्रतिबंध
लगाने
से
इनकार
बुधवार
को
ट्विटर
ने
एक
ब्लॉग
पोस्ट
करके
इस
बात
की
सफाई
दी
है
कि
आखिर
क्यों
वो
कुछ
ट्विटर
अकाउंट
को
ब्लॉक
नहीं
कर
रहा
है।
कंपनी
की
ओर
से
कहा
गया
है
कि
हम
इस
बात
पर
भरोसा
नहीं
करते
हैं
कि
जो
कार्रवाई
हमसे
करने
को
कहा
गया
है
वह
भारतीय
कानून
के
अनुसार
है।
किसी
भी
सूरत
में
अभिव्यक्ति
की
आजादी
को
छीना
नहीं
जा
सकता
है।
लिहाजा
न्यूज
मीडिया,
पत्रकारों,
एक्टिविस्ट
और
नेताओं
के
हैंडल
को
ब्लॉक
नहीं
किया
जा
रहा
है।
ऐसा
किया
जाता
है
तो
हमारा
मानना
है
कि
यह
भारतीय
संविधान
के
मौलिक
अधिकार
अभिव्यक्ति
की
आजादी
का
उल्लंघन
होगा।
स्वदेशी
ट्विटर
'Koo'
ट्विटर
की
ओर
से
इस
बयान
के
बाद
आईबी
मिनिस्ट्री
ने
स्वदेशी
सोशल
मीडिया
प्लेटफॉर्म
कू
की
ओर
रुख
कियाजोकि
हर
दिन
लोकप्रिय
हो
रहा
है।
बता
दें
कि
सरकार
की
ओर
से
ट्विटर
को
जिन
अकाउंट
को
ब्लॉक
करने
के
लिए
लिस्ट
दी
गई
थी
उसके
बाद
ट्विटर
की
ओर
से
कुछ
अकाउंट
को
ब्लॉक
कर
दिया
गया
है।
साथ
ही
कंपनी
की
ओर
से
कहा
गया
है
कि
हम
अभिव्यक्ति
की
आजादी
का
समर्थन
करते
रहेंगे।
हम
भारतीय
कानून
के
अनुसार
विकल्प
की
तलाश
कर
रहे
हैं।
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