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अर्दोआन की वजह से देश छोड़कर जाना चाहते हैं तुर्की के युवा?

तुर्की की आर्थिक स्थिति जिस तरह से दिन ब दिन गंभीर संकट की ओर बढ़ रही है अधिकतर युवा देश से बाहर जाकर नई ज़िंदगी शुरू करना चाहते हैं.

By BBC News हिन्दी
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बरना तुर्की की राजधानी अंकारा में पत्रकारिता में पीएचडी कर रही हैं.
BERNA AKDENIZ
बरना तुर्की की राजधानी अंकारा में पत्रकारिता में पीएचडी कर रही हैं.

अंकारा, 05 जनवरी। "मैं यहां रहना चाहती हूं क्योंकि यह मेरा घर है. लेकिन मैं जाना भी चाहती हूं क्योंकि मैं इंसान की तरह जीने को लेकर तरस गई हूं." यह कहना है तुर्की की राजधानी अंकारा की एक 28 वर्षीय शोध छात्रा बरना आकदेनिस का.

बरना सुन नहीं सकती हैं और उनका कॉकलीयर इम्प्लांट हुआ है जो न सुन सकने वाले लोगों को ध्वनियां सुनने में मदद करता है. लेकिन हाल ही में मेडिकल साज़ो-सामान के आयात में कमी के कारण उन्हें डर है कि वो कुछ भी सुन सकने में असमर्थ हो जाएंगी.

वो कहती हैं, "कॉकलीयर सप्लायर ने घोषणा की है कि वो जनवरी से अपने उत्पादों को आयात नहीं कर पाएंगे क्योंकि बढ़ती महंगाई और लीरा के बढ़ती विनिमय दर ने उनके मुनाफ़े को ख़त्म कर दिया है. इसलिए वे सरकार से अपने व्यवसाय के लिए बातचीत कर रहे हैं."

बरना ख़ुद ही सवाल करती हैं, "अगर वे समझौते पर नहीं पहुंचे तो मुझे इसकी आशंका को लेकर सोचते हुए भी डर होता है."

देश छोड़ना है या नहीं छोड़ना है? यह ऐसा कड़वा सवाल है जो आजकल तुर्की के अधिकतर लोगों के दिमाग़ में चल रहा है और ये सोचने वाले अधिकतर लोग युवा हैं.

तुर्की की अर्थव्यवस्था इस समय काफ़ी संघर्ष के दौर से गुज़र रही है. देश की मुद्रा लगातार नीचे गिर रही है और एक साल के अंदर इसने अपनी आधी क़ीमत गंवा दी है, महंगाई चरम पर है और क़ीमतें बढ़ रही हैं.

निम्न आय वाले परिवारों को बहुत दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन तुर्की का मध्य वर्ग भी ऐसा ही महसूस कर रहा है.

'मैं सुरक्षा चाहती हूं'

सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो देश से बाहर जाकर नई ज़िंदगी शुरू करना चाहते हैं और इसके नफ़े-नुक़साने के बारे में उन लोगों से पूछ रहे हैं जो बाहर जा चुके हैं.

बरना ने अभी तक देश छोड़ने का अंतिम फ़ैसला नहीं लिया है लेकिन वो यूरोप जाना चाहती हैं. इसके लिए उनका तर्क यह है कि वहां पर 'सुनने में असमर्थ लोगों को सरकार अधिक मदद करती है.'

वो कहती हैं, "मैं सुरक्षा चाहती हूं. मैं अपने जीवन में इस बात की गारंटी चाहती हूं कि मैं सुन सकने में समर्थ हो सकूंगी."

बरना उन युवा और पढ़े लिखे शहरी मध्य वर्ग के तुर्क लोगों में शामिल हैं जो विदेश जाकर अपनी ज़िंदगी जीना चाहते हैं.

ये उन प्रवासी लोगों से अलग हैं जो दशकों पहले ग्रामीण इलाक़ों में शिक्षा की कमी के कारण तुर्की से यूरोप में गए थे.

2020 में हुए एक सर्वे में पता चला था कि 70% युवा तुर्की छोड़ना चाहते हैं.
Getty Images
2020 में हुए एक सर्वे में पता चला था कि 70% युवा तुर्की छोड़ना चाहते हैं.

दक्षिणी तुर्की के गाज़ियानटेप के 28 वर्षीय हारून यमन 28 वर्षीय यूनिवर्सिटी ग्रैजुएट हैं, वो तुर्की की नई पीढ़ी से संबंध रखते हैं.

उनके पास टीवी, फ़िल्म और रेडियो में मीडिया डिग्री है. वो कहते हैं कि उन्होंने यूरोप जाने का विचार बना लिया है और उनकी नज़रें आयरलैंड पर टिकी हुई हैं.

2018 में ग्रैजुएशन के बाद हारून को अपनी पढ़ाई के क्षेत्र में नौकरी ढूंढने को लेकर संघर्ष करना पड़ा और वो अभी एक टेक्स्टाइल कंपनी के डिपो में काम कर रहे हैं. उनका सपना आयरलैंड के 'वर्क एंड स्टडी' कार्यक्रम के तहत वहां पर बसने का है.

वो कहते हैं, "मुझे इस देश के भविष्य से किसी आशा और किसी रोशनी की उम्मीद नहीं दिखाई देती है. इसी वजह से मैं देश छोड़ना चाहता हूं."

आयरिश कार्यक्रम में आवेदन के लिए फ़ीस की ज़रूरत पढ़ती है जिसका हारून ने आंशिक रूप से भुगतान करने का बंदोबस्त कर लिया है लेकिन तुर्की की मुद्रा लीरा के ज़बरदस्त तरीक़े से गिरने के कारण उनकी योजना को धक्का लगा है. अब उनको और रक़म जमा करने के लिए अधिक पैसा चाहिए ताकि वो यूरो में पूरा भुगतान कर सकें.

वो कहते हैं, "तुर्की में मेरा कोई सामाजिक जीवन नहीं है. मैं रोज़ाना 10 घंटे से अधिक काम करता हूं. मुद्रा संकट ने हमारी क्रय शक्ति को ख़त्म करके रख दिया है. हमारी बहुत सी समस्याएं हैं. सरकार की ग़लत नीतियों के कारण कई लोग ग़रीबी में चले गए हैं और इसने लोगों के बीच विभाजन पैदा किया है."

70% का देश से बाहर जाने का सपना

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार तुर्की छोड़ रहे अधिकतर लोगों की आयु 25 से 29 साल के बीच है.

तुर्की के सांख्यिकी संस्थान ने साल 2020 में प्रवासियों का आंकड़ा जारी करने की योजना को स्थगित कर दिया था जो कि सितंबर 2021 में प्रकाशित होना था.

2019 के आंकड़ों के मुताबिक़ 3,30,000 से अधिक लोगों ने देश छोड़ा था और यह बीते साल की तुलना में 2% अधिक था.

ताज़ा आंकड़ें अगर सामने आते हैं तो इस ट्रेंड में बढ़ोतरी की उम्मीद है.

प्रदर्शनकारी
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प्रदर्शनकारी

इस्तांबुल की येदिटेपे यूनिवर्सिटी और एमएके कंसल्टेंसी ने मिलकर अगस्त 2020 में एक सर्वे किया था जिसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि देश से कितने युवा बाहर जाना चाहते हैं.

इसमें भाग लेने वाले 76% लोगों का कहना था कि अगर उन्हें एक अस्थायी अवसर दिया जाता है तो वे विभिन्न देशों में जाकर रहना चाहते हैं.

उनसे यह भी पूछा गया था कि अगर उन्हें स्थाई नागरिकता किसी देश की दी जाती है तो वो क्या करेंगे? उनमें से 64% का कहना था कि वे उस ऑफ़र को देखेंगे.

कोरोना महामारी के दौरान दुनिया के अन्य देशों की तरह तुर्की को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था लेकिन हालिया मुद्रा संकट के कारण उसकी आर्थिक स्थिति को भारी झटका लगा है.

तुर्की के शिक्षाविद प्रोफ़ेसर इब्राहिम सिरकेजे ब्रिटेन में प्रवासी मामलों के विशेषज्ञ हैं उनका मानना है कि इस मामले में सामाजिक और राजनीतिक कारक काफी महत्वपूर्ण हैं.

उन्होंने बीबीसी से कहा, "यह निश्चित रूप से तुर्की से पलायन की एक नई लहर है."

अर्दोआन
Reuters
अर्दोआन

लोग चाहते हैं आज़ादी?

प्रोफ़ेसर इब्राहिम कहते हैं, "समाज का एक बड़ा तबका अपने भविष्य को लेकर नाउम्मीद है क्योंकि वे राजनीतिक सत्ता से ख़ुद को अलग महसूस करते हैं. इसमें व्यवसायी, उद्योगपति, कलाकार और स्कॉलर्स शामिल हैं."

राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के आलोचक उन पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने और विपक्ष को दबाने का आरोप लगाते हैं.

तुर्की के नागरिकों की यूरोपीय देशों में शरण लेने की संख्या बढ़ रही है.

यूरोपीय संघ के सांख्यिकीय निकाय यूरोस्टेट का कहना है कि बीते दशक के मुक़ाबले यह संख्या दोगुने से अधिक हो सकती है, 2019 में यह संख्या तक़रीबन 25,000 लोगों की थी.

दूसरी तरफ़ तुर्की ऐसा देश है जहां पर सबसे अधिक शरणार्थियों की संख्या है जिनमें सीरिया के अधिकतर शरणार्थी हैं.

तुर्की
Getty Images
तुर्की

प्रोफ़ेसर इब्राहिम कहते हैं, "आर्थिक सहयोग और विकास के लिए बने 38 देशों वाले संगठन OECD में यही इकलौता देश है जहां उसी के नागरिकों में से अधिकतर शरणार्थी बन रहे हैं, इनमें अफ़ग़ानिस्तान और सीरिया शामिल नहीं है. यह एक नए तरीक़े का ट्रेंड है."

"मैं इसे अर्दोआन-विरोधी निर्वासन कहूंगा. व्यावहारिक रूप से लोग उस ख़ास शासन और एक ख़ास राजनीतिक ढांचे से बच रहे हैं."

हालांकि तुर्की सरकार ने इस बात को ख़ारिज किया है कि देश के युवा क़ाबिल लोग देश से 'भाग रहे हैं.'

श्रम एवं सामाजिक सुरक्षा मंत्री वेदात बिलगिन ने अक्तूबर में एक कार्यक्रम में इस मुद्दे पर बोला था.

उन्होंने कहा था, "युवाओं में विदेश जाने का उत्साह अधिक होता है. यह एक प्राकृतिक इच्छा है. वे बाहर निकलकर दुनिया को जानना चाहते हैं."

हालांकि, शोध छात्रा बरना का कहना है कि अगर वो विदेश जाने को लेकर अपनी योजना पुख़्ता कर लेती हैं तो तुर्की को छोड़ना उनके लिए बेहद मुश्किल फ़ैसला होगा.

उन्होंने अपना परिवार शुरू करने का सपना देखा है जिसमें तुर्की वापस लौटने का भी है.

वो कहती हैं, "मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे मेरी मातृभूमि में बड़े हों. उन्हें तुर्की की प्राकृतिक सुंदरता को देखना चाहिए."

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English summary
Turkish youth want to leave the country because of Erdoan?
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