पेशावर आर्मी स्कूल और मलाला युसूफजई पर आतंकी हमले का मास्टरमाइंड टीटीपी चीफ फजउल्ला मारा गया
अमेरिकी ड्रोन हमले में तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के चीफ मुल्ला फजलउल्ला की मौत हो गई है। अमेरिकी मिलिट्री ऑफिसर की ओर से व्यॉइस ऑफ अमेरिका (वीओए) को इस बात की पुष्टि की गई है। इसके अलावा अफगानिस्तान की सरकार की ओर से भी बयान जारी कर कहा गया है कि फजलउल्ला की मौत हो गई है।
कुन्नार। अमेरिकी ड्रोन हमले में तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के चीफ मुल्ला फजलउल्ला की मौत हो गई है। अमेरिकी मिलिट्री ऑफिसर की ओर से व्यॉइस ऑफ अमेरिका (वीओए) को इस बात की पुष्टि की गई है। इसके अलावा अफगानिस्तान की सरकार की ओर से भी बयान जारी कर कहा गया है कि फजलउल्ला की मौत हो गई है। फजलउल्ला सात नवंबर 2013 को टीटीपी का चीफ बना था। उस समय अफगानिस्तान तालिबान के दो हिस्से हो गए थे और एक हिस्सा टीटीपी था जिसे फजलउल्ला लीड कर रहा था। सात मार्च 2018 को अमेरिकी विदेश विभाग ने उसे वॉन्टेड लिस्ट में डाला था।
13 जून को अमेरिका ने किए हमले
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक अफगानिस्तान की सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर उसकी मौत पर बयान दिया गया है। सरकार ने कहा है कि पाकिस्तान तालिबान का लीडर जिसने नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसूफजई पर साल 2012 में हमले का आदेश दिया था, वह गुरुवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया है। लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन ओ डॉनेल ने वीओए को बताया कि अमेरिका की ओर से 13 जून को अफगानिस्तान-पाकिस्तान बॉर्डर पर काउंटर-टेररिज्म स्ट्राइक चलाई गई थी। हालांकि अभी तक अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के किसी अधिकारी ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है कि यह स्ट्राइक सफल थी। अधिकारियों के मुताबिक फजलउल्ला ने अमेरिका और पाकिस्तान के खिलाफ कई हाई-प्रोफाइल आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। फजलउल्ला, दिसंबर 2014 में पाकिस्तान के पेशावर में स्थित आर्मी स्कूल पर हुएआतंकी हमले को मास्टरमाइंड था। इस हमले में 151 लोगों की मौत हो गई थी जिसमें 130 बच्चे थे। अमेरिका ने भी ध्यान दिया कि साल मलाला पर जानलेवा हमला करा ने वाला आतंकी कोई और नहीं बल्कि फजलउल्ला ही था।
शुरू किया था मुल्ला रेडियो
अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से मार्च में फजलउल्ला पर पांच मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया गया था। जिस समय यह इनाम घोषित हुआ उसका बेटा अमेरिका ड्रोन हमले में मारा गया था। अधिकारियों के मुताबिक फजलउल्ला की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं है। अभी तक टीटीपी की ओर से फजलउल्ला की मौत और हमलों के समय के बारे में कोई पुष्टि की गई है। फजलउल्ला ने स्वात घाटी में स्थित खैबर-पख्तूनख्वा में साल 2006 में मुल्ला रेडियो नाम से एक रेडियो चैनल भी शुरू किया था। इस चैनल के जरिए वह पश्चिमी देशों के जेहाद को लेकर रवैये के बारे में सबको बताता था। उसका मानना था कि इलेक्ट्रॉनिक मीडियम के जरिए होने वाला कम्यूनिकेशन जेहाद को आगे बढ़ाने का सबसे बड़ा जरिया होता है। वह गैर-कानूनी तरीके से एफएम चैनल चलाता था और उसने उसे मुल्ला रेडिया या मौलाना रेडिया नाम दिया हुआ था। मोटरसाइकिलों और ट्रकों पर लगे ट्रांसमीटर्स के जरिए एफएम सिग्नल के जरिए रात में उसके जेहादी भाषण का ब्रॉडकास्ट होता था।